बेगूसराय विधानसभा गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित एक शहरी नगर है। यह बिहार का एक औद्योगिक शहर है, जिसे राज्य के वित्तीय नगर के रूप में जाना जाता है। बेगूसराय जिले की मुख्यालय भी है। यह मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है, जहां के लोग मैथिली और हिंदी भाषा बोलते हैं।
बेगूसराय बिहार के सबसे औद्योगिकीकृत क्षेत्रों में से एक है। यहां बरौनी रिफाइनरी है, जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। बरौनी में ही एक थर्मल पावर प्लांट भी है, जिससे क्षेत्र में बिजली आती है। इसके अलावा बेगूसराय में हिंदुस्तान फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियों में जिले के हजारों लोग नौकरी करते हैं।
जिला मुख्यालय होने की वजह से यहां शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, जीडी कॉलेज आदि प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं। इलाके में महाकाल मंदिर, पहाड़ी गाछी महावीर मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
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मौजूदा समीकरण?
बेगूसराय विधानसभा सीट पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुए थे। शुरुआत में यहां कांग्रेस और सीपीआई का दबदबा रहा था लेकिन साल 2000 के बाद से बीजेपी ने इस सीट को अपना गढ़ बना लिया है। पिछले सात चुनावों में से बीजेपी ने छह चुनावों में जीत हासिल की है। 2000 के बाद बस एक बार 2015 में कांग्रेस के उम्मीदवार ने बेगूसराय जीती थी।
बेगूसराय विधानसभा के सामाजिक समीकरण की बात की जाए तो यह एक शहरी सीट है। शहरी सीट होने के नाते बीजेपी ने यहां अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। बेगूसराय विधानसभा में 14 फीसदी मस्लिम, 16 फीसदी राजपूत, 10 फीसदी शाह, 8.2 फीसदी पासवान, महतो 8 फीसदी और 2.2 फीसदी यादव हैं। बीजेपी ने समय के साथ में सभी जातियों को अपने पाले में करने में कामयाबी हासिल की है।
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2020 में क्या हुआ था?
बेगूसराय विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी के कुंदन कुमार ने कांग्रेस की अमिता भूषण को दिलचस्प मुकाबले में हराया था। हार का अंतर 4,554 वोटों का था। बीजेपी के कुंदन कुमार ने 39.66 फीसदी वोट पाते हुए 74,217 वोट हासिल किया था, जबकि अमिता भूषण को 69,663 वोट मिले। वहीं, इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP की प्रत्याशी संजू कुमारी को 5,531 वोट मिले थे। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार राजेश कुमार को 18,002 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक कुंदन कुमार बेगूसराय से पहली बार के विधायक हैं। वह उपेंद्र प्रसाद सिंह के बेटे हैं। जिले में उनकी सक्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें 2020 में अपनी उम्मीदवार बनाया था। कुंदन कुमार की पढ़ाई की बात की जाए तो उन्होंने 2004 में पुणे के इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से मैंनेजमेंट और मीडिया में ग्रेजुएशन किया था।
कुंदन कुमार के 2020 के चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और व्यवसाय है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 9 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
बेगूसराय विधानसभा सीट पर सबसे पहले साल 1952 में चुनाव हुए थे। शुरू के तीन चुनाव कांग्रेस ने जीती थी। इसके बाद एक चुनाव निर्दलीय और तीन चुनाव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीते थे। यहां से जेडीयू और आरजेडी कभी अपना खाता नहीं खोल पाई हैं। विधानसभा में अभी तक कुल 18 चुनाव हो चुके हैं। इसमें से 8 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी और 3 बार सीपीआई ने चुनाव जीता है। इस सीट की संख्या 146 है। यह विधानसभा सीट बेगूसराय लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।
1952- सरयू प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
1957- मेदनी पासवान (कांग्रेस)
1962- राम नारायण सिंह (कांग्रेस)
1967- भोला सिंह (निर्दलीय)
1969- सरयू प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
1972- भोला सिंह (सीपीआई)
1977- भोला सिंह (कांग्रेस)
1980- भोला सिंह (कांग्रेस)
1985- भोला सिंह (कांग्रेस)
1990- बासुदेव सिंह (सीपीआई)
1995- राजेंद्र प्रसाद सिंह (सीपीआई)
2000- भोला सिंह (बीजेपी)
2005- भोला सिंह (बीजेपी)
2005- भोला सिंह (बीजेपी)
2009- श्रीकृष्णा प्रसाद सिंह (बीजेपी)
2010- सुरेंद्र मेहता (बीजेपी)
2015- अमिता भूषण (कांग्रेस)
2020- कुंदन कुमार (बीजेपी)