आजकल जब भी आप किसी नई डीजल गाड़ी को खरीदते हैं, तो एक चीज जरूर सुनने को मिलती है – 'इसमें यूरिया डालना पड़ता है।' बहुत से लोगों को यह बात थोड़ी अजीब लगती है, क्योंकि यूरिया तो आमतौर पर खाद में इस्तेमाल होता है। हालांकि असल में यह यूरिया, जिसे तकनीकी रूप से AdBlue या डीजल एग्जॉस्ट फ्लूइड (DEF) कहते हैं, गाड़ियों के इंजन को साफ-सुथरा और पर्यावरण को साफ रखने में अहम भूमिका निभाता है। भारत में, भारत स्टेज (BS) VI उत्सर्जन मानदंड अप्रैल 2020 से शुरू होने वाले नए वाहनों के लिए AdBlue को लागू किया गया था।
यूरिया का इस्तेमाल इंजन में कैसे होता है?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यूरिया का इस्तेमाल गाड़ी के इंजन के अंदर नहीं होता। यह काम करता है गाड़ी के एग्जॉस्ट सिस्टम में। नई डीजल गाड़ियों में एक तकनीक होती है, जिसे कहते हैं Selective Catalytic Reduction (SCR)। SCR तकनीक का मकसद नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) गैस को कम करना होता है। यह गैस डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं में पाई जाती हैं और यह पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक होती हैं।
यह भी पढ़ें: पुराने वाहनों पर सख्त हुई हरियाणा सरकार, नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल
जब गाड़ी चलती है, तो यूरिया (AdBlue) को एग्जॉस्ट पाइप में एक खास जगह पर स्प्रे किया जाता है। वहां, एग्जॉस्ट की गर्मी से यह यूरिया अमोनिया में बदल जाता है। फिर यह अमोनिया NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड) गैसों के साथ केमिकल रिएक्शन करता है और उन्हें पानी (H₂O) और नाइट्रोजन (N₂) में बदल देता है, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं।
इंजन पर इसका क्या होता है असर?
हालांकि यूरिया सीधे इंजन में काम नहीं करता लेकिन इसके इस्तेमाल से इंजन पर कई अंदरूनी फायदे होते हैं। जैसे, SCR सिस्टम गाड़ी के इंजन को ज्यादा अच्छे तरीके से चलाने की सुविधा देती है, इसलिए इंजन को कम ताकत में भी अच्छा प्रदर्शन करने की आजादी मिलती है। इससे गाड़ी की माइलेज बेहतर हो सकती है।
साथ ही SCR की वजह से इंजन को साफ-सुथरा वातावरण मिलता है। इसकी वजह से उसे ज्यादा गर्मी या दबाव में चलने में कोई रुकावट नहीं होती, जिससे पावर आउटपुट अच्छा होता है।
पुराने समय में गाड़ियों में EGR (Exhaust Gas Recirculation) तकनीक होती थी, जिससे इंजन में कार्बन जमा होता था और इंजन जल्दी घिसता था। SCR तकनीक से यह दिक्कत काफी हद तक कम हो जाती है, जिससे इंजन ज्यादा समय तक ठीक चलता है।
RC 15 साल से ज्यादा चलेगा क्या?
भारत में नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) आमतौर पर 15 साल के लिए मान्य होता है। उसके बाद अगर गाड़ी ठीक हालत में हो, तो उसका रिन्यूअल कराया जा सकता है। अब सवाल यह है कि जिन गाड़ियों में यूरिया और SCR जैसी तकनीकें हैं, क्या उनकी RC की वैधता अवधि बढ़ सकती है?
यह भी पढ़ें: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों को नहीं मिलेगा तेल, आपको मिलेगा या नहीं?
बता दें कि फिलहाल ऐसा कोई नियम नहीं है। सरकार RC की वैधता तकनीक के आधार पर नहीं, बल्कि गाड़ी की उम्र और उसकी फिटनेस के आधार पर तय करती है। यानी अगर आपकी गाड़ी अच्छी स्थिति में है, प्रदूषण नहीं फैला रही है और फिटनेस टेस्ट में पास हो जाती है, तो 15 साल बाद आप उसका रजिस्ट्रेशन रिन्यू करा सकते हैं।
हालांकि, यज बात सच है कि SCR तकनीक और यूरिया की मदद से गाड़ियां लंबे समय तक अच्छी स्थिति में बनी रहती हैं। इससे गाड़ियों का फिटनेस पास होना आसान हो सकता है लेकिन RC की मूल अवधि में कोई बदलाव नहीं होता।