1 फरवरी केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में साल 2025 का बजट पेश करेंगी। इस बजट पर सभी की नजर है। साथ ही करदाता भी इस बजट का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि इस बजट में कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। भारत सरकार टैक्स फाइल करने के नियमों को सरल बनाने की योजना बना रही है, ताकि करदाताओं के लिए इसे कम मुश्किल हो और पिछले दशक में 120 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ चुके आयकर से जुड़े विवादों को कम किया जा सके।
एक रिपोर्ट के अनुसार, 1961 के आयकर अधिनियम में सुधार के प्रस्ताव पर काम आखिरी चरणों में है और इस महीने के बीच में सार्वजनिक रूप से इसपर चर्चा के लिए इस प्रस्ताव को जारी किया जा सकता है। संशोधित अधिनियम को सरकार के आगामी बजट में प्रस्तुत किया जाएगा, जो फरवरी की शुरुआत में आने की संभावना है।
नियमों में क्यों किया जा रहा है सुधार
इन सुधारों का उद्देश्य आयकर कानून की भाषा को सरल बनाना और जानकारी को स्पष्ट करने के लिए किया जा है, जिसे फार्मूला और टेबल्स से किया जाएगा। हालांकि, इन प्रस्तावित परिवर्तनों में टैक्स दर और नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
भारत सरकार दशकों से अपने टैक्स कानूनों को आधुनिक बनाने के प्रयास कर रही है, ताकि करदाताओं पर नौकरशाही का बोझ कम किया जा सके और कर अनुपालन को बढ़ावा दिया जा सके। पिछले एक दशक में टैक्स संबंधित विवाद 10.5 ट्रिलियन रुपए (123 अरब डॉलर) तक बढ़ गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में घोषणा की थी कि इन नियमों को ज्यादा से ज्यादा करदाता के लिए आसान बनाने के कानूनों की व्यापक समीक्षा छह महीनों में पूरी की जाएगी।
हो सकते हैं ये बदलाव
आगामी बजट 2025 में आयकर दाखिल करने के नियमों को आसान बनाने के लिए कई प्रस्तावित बदलाव पेश किए जा सकते हैं। इनमें मुश्किल आय गणना बुनियादी ढांचे को फार्मूलों से बदलना, वित्तीय वर्ष और मूल्यांकन वर्ष की जगह एक ही कर वर्ष की परिभाषा अपनाना और करदाताओं के लिए जानकारी को टेबल (तालिका) के रूप में देना करना शामिल है।
इसके अलावा, करदाताओं द्वारा अपनी आयकर रिटर्न के साथ जमा किए जाने वाले अतिरिक्त फॉर्मों की संख्या को घटाया जा सकता है और इन्हें ऑनलाइन भी उपलब्ध किया जा सकता है। हालांकि इसपर अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।