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दुनिया पर टैरिफ लगाकर कितना कमा रहा है ट्रंप का अमेरिका?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताकर टैरिफ पर टैरिफ बढ़ाए जा रहे हैं। इससे अमेरिका को अभी कमाई तो खूब हो रही है लेकिन इससे अमेरिका और अमेरिकियों पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

donald trump tarrif

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से टैरिफ का बम फोड़ दिया है। उन्होंने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए हैं। इससे 10% से 41% तक टैरिफ बढ़ा दिया गया है। इसमें भारत का नाम भी है। भारत से अमेरिका आने वाले सामान पर ट्रंप ने 25% टैरिफ लगाया है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान पर 19% टैरिफ लगा है। साउथ एशिया में सिर्फ पाकिस्तान ही है, जिस पर अमेरिका ने सबसे कम टैरिफ लगाया है।

 

ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही टैरिफ लगाए जा रहे हैं। ट्रंप कहते हैं कि दुनिया के ज्यादातर देश बहुत टैरिफ लेते हैं, जबकि अमेरिका कम टैरिफ लगाता है, इससे हमें व्यापार घाटा होता है। ट्रंप दावा करते हैं कि व्यापार घाटा अमेरिका की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

 

ट्रंप टैरिफ को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका मानना है कि जितना टैरिफ आप लगाओगे, उतना ही हम भी लगाएंगे। इसे ही 'रेसिप्रोकल टैरिफ' कहा जाता है। टैरिफ असल में किसी भी सामान के इम्पोर्ट यानी आयात पर लगने वाला टैक्स होता है। अगर कोई कंपनी किसी देश से कोई सामान आयात कर रही है तो उस पर लगने वाला टैरिफ वह अपने देश की सरकार को देगी। टैरिफ लगाया इसलिए जाता है ताकि घरेलू बाजार में विदेश से आने वाला सामान सस्ता न बिके।

 

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टैरिफ बढ़ाकर क्या होगा?

ट्रंप कहते हैं कि टैरिफ इसलिए बढ़ा रहे हैं, क्योंकि अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है। व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश से इम्पोर्ट यानी आयात ज्यादा हो और उसे एक्सपोर्ट यानी निर्यात कम हो।

 

इसे ऐसे समझिए कि अमेरिका किसी देश से 100 रुपये का सामान खरीद रहा है लेकिन उसे बेच सिर्फ 50 रुपये का रहा है तो इस हिसाब से अमेरिका का व्यापार घाटा 50 रुपये हो गया। ट्रंप इसी व्यापार घाटे को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं।

 

ट्रंप दावा करते हैं कि अमेरिका में कम टैरिफ लगता है, इस कारण दूसरे देश यहां अपना सामान सस्ते में बेच लेते हैं। मगर दूसरे देशों में टैरिफ बहुत ज्यादा है।

 

अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी से फरवरी के बीच अमेरिका का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा चीन के साथ रहा है। चीन के साथ कारोबार करने में अमेरिका को 102 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। उसके बाद मेक्सिको है, जिसके साथ उसका व्यापार घाटा 79 अरब डॉलर से ज्यादा रहा। भारत से कारोबार में अमेरिका को 25.6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।

 

लेकिन क्या टैरिफ लगाने से कुछ फायदा हुआ? आंकड़े बताते हैं कि टैरिफ से अमेरिका का व्यापार घाटा थोड़ा कम जरूर है। मसलन, जनवरी में कनाडा के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 11 अरब डॉलर से ज्यादा था। मार्च में ट्रंप ने कनाडा के इम्पोर्ट पर 25% टैरिफ लगा दिया था। नतीजा यह हुआ कि मई में कनाडा के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा कम होकर 2.7 अरब डॉलर पर आ गया। इसी तरह जनवरी में चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा जनवरी में 31.7 अरब डॉलर था, जो मई में घटकर लगभग 14 अरब डॉलर हो गया।

 

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अमेरिका और उसका व्यापार घाटा
अमेरिकी सरकार के मुताबिक, दुनिया के जिन 15 देशों के साथ वह सबसे ज्यादा कारोबार करता है, उनके साथ वह हमेशा घाटे में रहता है।
देश व्यापार घाटा
चीन 102 अरब डॉलर
मेक्सिको 79 अरब डॉलर
आयरलैंड 77 अरब डॉलर
वियतनाम 65 अरब डॉलर
स्विट्जरलैंड 48 अरब डॉलर
ताइवान 44 अरब डॉलर
जर्मनी 35 अरब डॉलर
जापान 29 अरब डॉलर
भारत 29 अरब डॉलर
कनाडा 26 अरब डॉलर
साउथ कोरिया 25 अरब डॉलर
थाईलैंड 23 अरब डॉलर
इटली 18 अरब डॉलर
मलेशिया 13 अरब डॉलर
इंडोनेशिया 10 अरब डॉलर
Source: www.census.gov

अमेरिका इससे कमा कितना रहा है?

ट्रंप कई बार खुले तौर पर दावा कर चुके हैं कि टैरिफ से अमेरिका को हर दिन 2 अरब डॉलर का फायदा हो रहा है। हालांकि, उनके इस दावे में दम तो नहीं है लेकिन इतना सच जरूर है कि टैरिफ के कारण अमेरिका को फायदा तो हो रहा है।

 

टैरिफ लगाकर अमेरिका हर दिन खूब कमा रहा है। अमेरिका का ट्रेजरी डिपार्टमेंट कमाई का हिसाब-किताब हर दिन और हर महीने के हिसाब से जारी करता है। हालांकि, डेली और मंथली रिपोर्ट में टैरिफ की जगह कस्टम ड्यूटी लिखा जाता है।

 

जिस तरह से भारत में वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च तक रहता है। उसी तरह अमेरिका का वित्त वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक रहता है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट की जून तक की मंथली रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर से जून के बीच टैरिफ से अमेरिका को 108 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई हुई है। इन्हीं आंकड़ों की तुलना करें तो अक्टूबर 2023 से जून 2024 के बीच टैरिफ से 55.6 अरब डॉलर की कमाई हुई थी। इसका मतलब हुआ कि टैरिफ से होने वाली कमाई लगभग दोगुनी हो गई है।

 

अब अगर हम इसे हर महीने के हिसाब से देखें तो जुलाई में अमेरिका को टैरिफ से जितनी कमाई हुई है, वह अब तक का रिकॉर्ड है। जुलाई में अमेरिका को टैरिफ से 29 अरब डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू मिला है। यह आंकड़े 30 जुलाई तक के हैं।

 

ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उन्होंने मार्च से टैरिफ लगाना शुरू कर दिया था। उसके बाद अप्रैल से जुलाई के बीच ही अमेरिका को लगभग 94 अरब डॉलर की कमाई टैरिफ से हो चुकी है। अगर अकेले जुलाई के आंकड़ों से अनुमान लगाया जाए तो अमेरिका को औसतन हर दिन 1 अरब डॉलर का टैरिफ मिला है।

 

ट्रंप के आने के बाद टैरिफ से अमेरिका की कमाई
ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका की टैरिफ से होने वाली कमाई 4 गुना तक बढ़ गई है।
महीना टैरिफ से कमाई
जनवरी 7.34 अरब डॉलर
फरवरी 7.24 अरब डॉलर
मार्च 8.16 अरब डॉलर
अप्रैल 15.63 अरब डॉलर
मई 22.17 अरब डॉलर
जून 26.63 अरब डॉलर
जुलाई 29.03 अरब डॉलर
Source: www.fiscal.treasury.gov

 

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कमाई हो रही तो क्या यह अच्छी बात है?

जिस तरह से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। उसी तरह से टैरिफ के भी दो पहलू हैं। इसका एक पहलू तो यह है कि इससे घरेलू मार्केट में विदेशी मार्केट ज्यादा सस्ता नहीं बिकता। हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह है कि ज्यादा टैरिफ से महंगाई बढ़ती है, क्योंकि आमतौर पर इसका खामियाजा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है। टैरिफ ज्यादा देना पड़ता है तो विदेशी सामान की कीमत भी बढ़ जाती है।

 

उदाहरण के लिए, अगर कोई अमेरिकी किसी देश से 100 डॉलर का सामान खरीदती है। अब उस पर 25% टैरिफ लगा है। तो वहां से सामान इम्पोर्ट करने पर अमेरिकी कंपनी को 25% टैरिफ यानी 25 डॉलर अपनी सरकार को देना होगा। अब कंपनी अपना मुनाफा और सबकुछ जोड़कर उसे बेचेगी तो इससे उस सामान की कीमत लगभग दोगुनी भी हो सकती है।

 

अब यह भी समझ लीजिए कि टैरिफ बढ़ाकर ट्रंप सरकारी खजाना तो भर लेंगे लेकिन इसका उल्टा असर अमेरिका की GDP और अमेरिकियों पर पड़ेगा।

 

टैक्स फाउंडेशन की रिपोर्ट बताती है कि अगर ट्रंप के टैरिफ लागू रहते हैं तो इससे महंगाई बढ़ेगी। टैरिफ की वजह से 2025 में हर अमेरिकी परिवार पर सालाना 1,270 डॉलर का बोझ पड़ेगा। अगर टैरिफ अगले साल भी लागू रहे तो हर परिवार को सालाना औसतन 1,619 डॉलर ज्यादा खर्च करना होगा।

 

दूसरी बात यह कि टैरिफ से कमाई तो बढ़ जाएगी लेकिन GDP में कमी आनी शुरू हो जाएगी। टैक्स फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि ट्रंप के टैरिफ लागू रहे तो अगले 10 साल में अमेरिका को 2.4 ट्रिलियन डॉलर का रेवेन्यू ज्यादा मिलेगा लेकिन इससे उसकी GDP में 0.8% की कमी आ जाएगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि दूसरे देशों से सामान खरीदने वाली अमेरिकी कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाएगी। अब इससे निपटने के लिए कंपनियां या तो सामान महंगा बेचेंगी या मुनाफा कम उठाएंगीं। दोनों ही हालत में अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो जाती है।

 

अब इसका एक पहलू यह भी है कि टैरिफ बढ़ने से आयात कम हो जाता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर लंबे समय तक यह सब चलता है तो आयात कम हो जाएगा और आखिरकार इससे कमाई भी कम हो जाएगी।

 

ट्रंप के टैरिफ का असर दिखने भी लगा है। कमाई भले ही हो रही हो लेकिन GDP गिर रही है। 2025 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च में अमेरिका की GDP में 0.3% की गिरावट आई है। इतना ही नहीं, इस साल के आखिरी तक 5 लाख अमेरिकियों की नौकरी जाने की आशंका भी है। और तो और अमेरिका के मंदी में जाने का खतरा भी है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट कहती है कि अगर सब कुछ ठीक नहीं हुआ तो इस साल अमेरिका के मंदी में जाने की 40% संभावना है।

 

कुल मिलाकर, अमेरिकी कंपनियां जो इम्पोर्ट करेंगी, उसका टैरिफ ट्रंप सरकार को देंगी, पैसा सरकारी खजाने में जाएगा और आखिरकार उसकी भरपाई अमेरिकियों से होगी।

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