Apple अमेरिकी कंपनी है तो अमेरिका में क्यों नहीं बनाती iPhone?
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• NEW DELHI 16 May 2025, (अपडेटेड 17 May 2025, 6:08 AM IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Apple को iPhone का प्रोडक्शन भारत में बंद करने को कहा है। ट्रंप ने कंपनी के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वह अमेरिका में ही iPhones बनाए। ऐसे में जानते हैं कि अगर ऐसा होता है तो इसका असर क्या होगा? साथ ही जानेंगे कि Apple अमेरिका में iPhones क्यों नहीं बनाती है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का वादा कर सत्ता में आए डोनाल्ड ट्रंप अब कारोबारी व्यवस्था को बिगाड़ने पर लगे हैं। अब उन्होंने Apple के सीईओ टिम कुक से कहा है कि उनकी कंपनी भारत में iPhone का प्रोडक्शन न करे। भारत की बजाय अमेरिका में ही iPhone बनाए। कतर के दोहा में ट्रंप ने टिम कुक से बातचीत का जिक्र किया।
ट्रंप ने कहा, 'कल मुझे टिम कुक से थोड़ी परेशानी हुई। मैंने उनसे कहा, टिम, तुम मेरे दोस्त हो। मैंने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा किया है। तुम 500 अरब डॉलर का निवेश लेकर आए है लेकिन मेरे सुनने में आ रहा है कि तुम पूरा प्रोडक्शन भारत में कर रहे हो। अगर तुम भारत का ख्याल रखना चाहते हो तो मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो।' ट्रंप ने टिम कुक को सलाह दी है कि वह भारतीय मार्केट के लिए भारत में iPhone बनाएं लेकिन अमेरिकी बाजार में मेड इन इंडिया iPhone बंद होने चाहिए।
ट्रंप ने दावा किया कि टिम कुक ने उनसे अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाने का वादा किया है। हालांकि, Apple की तरफ से अभी तक इसे लेकर कुछ कहा नहीं गया है। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि Apple भारत में निवेश करना जारी रखेगा और यहां iPhone का प्रोडक्शन करता रहेगा।
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अमेरिका में नहीं बनते iPhones
Apple की शुरुआत 1976 में हुई थी। यह अमेरिकी कंपनी है, जिसे स्टीव जॉब्स ने स्टीव वोजनियाक और रोनाल्ड वेन के साथ मिलकर शुरू किया था। आज Apple दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसकी मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।
Apple ने जून 2007 में पहला iPhone लॉन्च किया था। तब से अब तक इसके 16 मॉडल आ चुके हैं। कुछ ही महीनों में कंपनी iPhone 17 सीरीज लॉन्च करने वाली है। हालांकि, Apple एक भी iPhone अमेरिका में नहीं बनाती है। Apple अपने सबसे ज्यादा iPhones चीन में बनाता है। कुछ सालों में Apple ने भारत में भी प्रोडक्शन बढ़ाया है। भारत में हर साल करीब 4 करोड़ iPhones बन रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि Apple अपने 15% iPhones भारत में बना रहा है।
साल 2017 में Apple ने भारत में iPhone का प्रोडक्शन शुरू किया था। Apple के तीन बड़े सप्लायर- Foxconn, Pegatron और Wistron हैं। Foxconn और Pegatron का मैनुफैक्चरिंग प्लांट तमिलनाडु के चेन्नई में है, जबकि Wistron का प्लांट कर्नाटक के बेंगलुरु में है। सबसे ज्यादा iPhone ताइवानी कंपनी Foxconn बनाती है। भारत में 67% iPhones यही कंपनी बनाती है। Foxconn तो अब तेलंगाना में Airpods भी बनाने लगी है।
S&P ग्लोबल मार्केट के मुताबिक, 2024 में अमेरिका में 7.59 करोड़ iPhones बिके थे। इनमें से ज्यादातर भारत से एक्सपोर्ट हुए थे। इस साल अकेले मार्च में ही कंपनी ने भारत से 31 लाख iPhones एक्सपोर्ट किए हैं। रिपोर्ट बताती है कि फरवरी 2025 तक तीन महीने में Apple ने 81.9% iPhones भारत से एक्सपोर्ट किए थे। मार्च 2025 में भारत से एक्सपोर्ट होने वाले iPhones में 97.6% की बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह यह है कि ट्रंप के आने के बाद चीन पर काफी ज्यादा टैरिफ लग गया है, इसलिए Apple ने भारत में iPhones का प्रोडक्शन बढ़ा दिया।
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अमेरिका में क्यों नहीं बनते iPhones?
अब सवाल उठता है कि Apple खुद अमेरिकी कंपनी है लेकिन उसके iPhones अमेरिका में क्यों नहीं बनते हैं? तो इसकी वजह यह है चीन और भारत में लेबर कॉस्ट कम होने के साथ-साथ सप्लाई चेन भी दुरुस्त है। इसकी तुलना में अमेरिका में लेबर कॉस्ट और मैनुफैक्चरिंग कॉस्ट काफी ज्यादा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की तुलना में भारत, चीन और वियतनाम जैसे देशों में लेबर कॉस्ट बहुत कम है। 2022 में अमेरिका में एक कामगार की सालाना औसतन सैलरी 32 हजार डॉलर थी, जबकि चीन में यह 13 हजार डॉलर ही थी। भारत में तो एक कामगार की सालाना औसतन सैलरी 2 हजार डॉलर के आसपास ही है।
भारत और चीन में एक iPhone को असेंबल करने की लेबर कॉस्ट सिर्फ 30 डॉलर है। अगर यही काम अमेरिका में किया जाए तो इसके लिए 300 डॉलर खर्च करना होगा।
Apple के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने 2011 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत में कहा था कि अमेरिका में अच्छे स्किल वर्कर्स की कमी है। उन्होंने कहा था, 'चीन में Apple की फैक्ट्रियों में 7 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं और इनके लिए 30 हजार इंजीनियर हैं। आप अमेरिका में इतने लोगों को काम पर नहीं रखते हैं।' 2017 में फॉर्च्यून को दिए इंटरव्यू में टिम कुक ने कहा था, 'सस्ते लेबर कॉस्ट की वजह से हम चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि स्किल्ड और ट्रेन्ड कर्मचारियों की वजह से है। एक ही जगह पर स्किल और क्वालिटी मिलने के कारण हम वहां हैं।'
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अगर US में शिफ्ट किया प्रोडक्शन तो...?
अगर Apple अपना प्रोडक्शन भारत से अमेरिका शिफ्ट करता है तो इससे उसका ही बहुत बड़ा नुकसान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में बनने वाले 1,000 डॉलर के iPhone की लागत 450 डॉलर होती है। एक iPhone बनाने के लिए कई देशों से पार्ट्स आते हैं। अलग-अलग देशों से आने वाले पार्ट्स को असेंबल कर भारत में iPhone बनाया जाता है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, एक iPhone बनाने के लिए Apple अमेरिका की क्वालकॉम और ब्रॉडकॉम जैसी कंपनियों से 80 डॉलर में कंपोनेंट्स मंगाती है। ताइवान से 150 डॉलर में चिप आती है। साउथ कोरिया से 90 डॉलर में OLED स्क्रीन और मेमोरी चिप आती हैं। जापान ने 85 डॉलर में कैमरा आता है। जर्मनी, वियतना और मलेशिया से 45 डॉलर बाकी छोटे-मोटे पार्ट्स आते हैं।
GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि Apple अगर अमेरिका में ही प्रोडक्शन करता है तो भारत पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। वह इसलिए क्योंकि 1,000 डॉलर के iPhone में भारत का शेयर सिर्फ 30 डॉलर का है। यानी, एक iPhone की लागत का 3% भी नहीं। हालांकि, इससे रोजगार पर बहुत असर पड़ेगा क्योंकि चीन में 3 लाख और भारत में 60 हजार कामगार Apple की फैक्ट्री में काम करते हैं।
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Apple पर भी पड़ेगा इसका असर
अगर Apple अपना सारा प्रोडक्शन अमेरिका में करता है तो न सिर्फ कंपनी, बल्कि अमेरिकियों पर भी इसका उल्टा असर पड़ेगा। कंपनी को अपनी सारी मैनुफैक्चरिंग और असेंबलिंग यूनिट को अमेरिका ले जाना पड़ेगा। अमेरिका में इसे बनाना होगा। इसमें 4-5 साल का समय भी लगेगा और अरबों डॉलर का खर्चा भी आएगा। टेलीकॉम इक्विपमेंट मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (TEMA) के अध्यक्ष एनके गोयल ने बताया कि Apple ने पिछले साल 22 अरब डॉलर के iPhone भारत में बनाए थे। भारत में Apple की तीन मैनुफैक्चरिंग यूनिट है और वह दो और खोलने का प्लान कर रहा है। ऐसे में ट्रंप की बात कंपनी के लिए चिंता बढ़ा सकती है।
इतना ही नहीं, अमेरिका में प्रोडक्शन करने से iPhone की कीमत भी काफी बढ़ जाएगी। भारत और चीन में लेबर और मैनुफैक्चरिंग कॉस्ट सस्ती होने के कारण ही अमेरिका में iPhone की कीमत 1,000 डॉलर है। अगर इसे अमेरिका में ही बनाया जाता है तो इसकी कीमत 3,000 डॉलर तक पहुंच सकती है।
KPMG के पूर्व पार्टनर जयदीप घोष ने ANI को बताया, 'भारत के लिए Apple का इकोसिस्टम काफी है। 2024-25 में Apple ने भारत में 1.75 लाख करोड़ रुपये के iPhones बनाए थे, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 1.20 लाख करोड़ रुपये था।' उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका या किसी यूरोपीय देश में iPhones का प्रोडक्शन करता है तो इससे लेबर कॉस्ट बढ़ेगा और आखिरकार इसका बोझ ग्राहकों पर ही आएगा।
ऐसे में अगर iPhones की कीमत बढ़ती है तो इसकी बिक्री पर असर पड़ सकता है। पिछले कुछ साल में iPhones की बिक्री में थोड़ी गिरावट भी आई है, जिसका असर उसके रेवेन्यू पर भी पड़ा है। 2022 की तुलना में 2024 में iPhones की बिक्री से होने वाली कमाई 2 फीसदी कम हो गई है। 2022 में Apple को iPhones की बिक्री से 205 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई हुई थी।
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