वायर और केबल सेक्टर में भी अब जमकर घमासान होने वाला है क्योंकि अब अडानी ग्रुप ने इस बिजनेस में उतरने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद पॉलीकैब, KEI, हैवेल्स और आरआर केबल जैसी प्रमुख वायर और केबल कंपनियों के शेयरों में गुरुवार, 20 मार्च को 13 फीसदी तक भारी गिरावट आई है। यह गिरावट तब आई जब अडानी समूह ने एक नया संयुक्त उद्यम 'प्रणीता इकोकेबल्स' बनाकर इस क्षेत्र में एंट्री करने की घोषणा की। कच्छ कॉपर लिमिटेड ने प्रणीता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड नाम से वायर एंड केबल बिजनेस शुरू करने का फैसला किया है जिसमें दोनों ही कंपनी के पास 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। विश्लेषकों का मानना है कि अडानी की एंट्री से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे मौजूदा कंपनियों के बाजार हिस्सेदारी और मुनाफे पर दबाव पड़ सकता है।
बता दें कि वायर और केबल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी पॉलीकैब भी 9.6 प्रतिशत की तेज गिरावट के साथ 4,920 रुपये पर आ गई, जिसकी वैल्यू 20 मार्च को 75,000 करोड़ रुपये से नीचे चली गई। यह गिरावट 19 मार्च को 5 प्रतिशत की मजबूत तेजी के बाद आई, जब यह 5,438.40 रुपये पर बंद हुआ। इस बीच केईआई इंडस्ट्रीज के शेयर 13 प्रतिशत से अधिक गिरकर 2,855.15 रुपये प्रति शेयर के आसपास आ गए।
यह भी पढ़ें- शेयर मार्केट की सलाह देने वाले हेमंत घई को क्यों लौटाने होंगे 6 करोड़?
धड़ाधड़ गिए शेयर के दाम
वहीं, हैवेल्स इंडिया में 5.3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई और यह 1,473.65 रुपये पर कारोबार कर रहा था, जिससे इसकी कुल मार्केट वैल्यू 95,000 करोड़ रुपये से कम हो गई। आरआर केबल में भी 4.75 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 872.80 रुपये पर आ गया।
अडानी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी कच्छ कॉपर लिमिटेड ने प्रणीता वेंचर्स के साथ मिलकर प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड का गठन किया है। 50-50 भागीदारी के रूप में संरचित संयुक्त उद्यम, धातु उत्पादों, केबल और तारों के निर्माण, विपणन और वितरण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
यह भी पढ़ें- फ्रॉड रोकने के लिए बड़ा कदम, UPI पर खत्म हो सकता है ‘कलेक्ट कॉल'
बाकी कंपनियों पर क्या होगा असर?
अडानी ग्रुप का केबल और वायर उद्योग में प्रवेश पॉलीकैब, हैवेल्स और केईआई पर कई तरह से प्रभाव डाल सकता है। अडानी के मौजूदगी से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा तेज हो जाएगी। ये कंपनियां पहले ही एक संगठित बाजार में काम कर रही थीं लेकिन अब एक बड़े और वित्तीय रूप से मजबूत खिलाड़ी के आने से उनकी बाजार हिस्सेदारी पर दबाव पड़ सकता है।
कीमतों पर असर
अगर अडानी ग्रुप आक्रामक प्राइसिंग रणनीति अपनाता है, तो पॉलीकैब, हैवेल्स और केईआई को भी कीमतें घटानी पड़ सकती हैं। इससे उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है, खासकर जब इन कंपनियों की लागत स्थिर बनी रहेगी। अभी हाल ही में इन कंपनियों के शेयरों में 13% तक की गिरावट देखी गई। यह दर्शाता है कि निवेशकों को डर है कि अडानी के आने से इन कंपनियों की बिक्री और लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।