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क्या था श्रीलंका में 3,800 करोड़ का अडानी का प्रोजेक्ट?

श्रीलंका में अडानी ग्रीन एनर्जी ने 3,800 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसके तहत, अडानी ग्रुप श्रीलंका में दो पावर प्रोजेक्ट में निवेश करने वाली थी।

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गौतम अडानी। (File Photo Credit: PTI)

अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी श्रीलंका में विंड एनर्जी प्रोजेक्ट से पीछे हट गई है। अडानी ग्रीन एनर्जी यहां ऐसे दो प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। इसके तहत, अडानी ग्रीन एनर्जी अगले 20 साल में इन प्रोजेक्ट्स के तहत विंड एनर्जी के लिए 44 करोड़ डॉलर (करीब 3,800 करोड़ रुपये) निवेश करने वाली थी।


अडानी ग्रीन एनर्जी के इस प्रोजेक्ट पर शुरू से ही सवाल उठ रहे थे। स्थानीय लोगों के अलावा कई राजनीतिक हस्तियां भी इसका विरोध कर रही थीं। पिछले महीने ही श्रीलंका की सरकार ने अडानी ग्रीन एनर्जी के साथ हुए पावर पर्चेस एग्रीमेंट को रद्द कर दिया था। ये समझौता पिछले साल हुआ था।

क्या था ये प्रोजेक्ट?

ये प्रोजेक्ट विंड एनर्जी से जुड़ा था। ये प्रोजेक्ट श्रीलंका के मन्नार और पुनेरीन गांव में बनना था। इसके तहत अगले 20 साल में अडानी ग्रीन एनर्जी 3,800 करोड़ रुपये का निवेश करती। इसके तहत 484 मेगावॉट बिजली बनाई जाती। 

 

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क्या था इस पर विवाद?

2021 में इस प्रोजेक्ट को लेकर गौतम अडानी ने श्रीलंका का दौरा भी किया था। तब उन्होंने श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से भी मुलाकात की थी। इस प्रोजेक्ट की जानकारी 2022 में सामने आई थी। तब श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB) के अध्यक्ष फर्डिनेंडो ने दावा किया था कि राजपक्षे ने उन्हें बताया था कि ये प्रोजेक्ट अडानी ग्रुप को देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उनपर दबाव बनाया था। हालांकि, बाद में फर्डिनेंडो ने इस बयान को वापस ले लिया था और इस्तीफा दे दिया था।


अडानी ग्रुप ने एक बयान जारी कर कहा था, 'श्रीलंका में निवेश करने का मकसद पड़ोसी की जरूरतों को पूरा करना है। एक कॉर्पोरेट के तौर पर हम इसे उस साझेदारी का एक जरूरी हिस्सा मानते हैं, जिसे हमारे दोनों देशों ने साझा किया है।'


इस प्रोजेक्ट पर सवाल महंगी बिजली को लेकर भी उठे थे। इस प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिका में तर्क दिया था कि श्रीलंकाई सरकार ने 0.0826 डॉलर प्रति किलोवॉट की दर से बिजली खरीदने का समझौता किया था। इसे घटाकर 0.005 डॉलर किया जाना चाहिए।

 

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स्थानीय लोग क्यों थे विरोध में?

अडानी के इस प्रोजेक्ट का स्थानीय और पर्यावरण कार्यकर्ता भी विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि इससे मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ने का खतरा है। इसके साथ ही पक्षियों पर भी खतरा है। पर्यावरण चिंताओं को लेकर अदालत में भी कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि प्रोजेक्ट को मंजूरी देते समय पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा गया।

सरकार बदलने का भी पड़ा असर!

श्रीलंका में सरकार बदलने का असर भी इस प्रोजेक्ट पर दिखा। श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके ने इस प्रोजेक्ट को रद्द करने का वादा किया था। उनका दावा था कि इस प्रोजेक्ट से श्रीलंका की संप्रभुता को खतरा है। इसी साल जनवरी में दिसानायके सरकार ने अडानी ग्रीन एनर्जी के साथ हुए समझौते की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था।

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