गोल्ड लोन पर RBI की नई गाइडलाइन, छोटा लोन लेने वालों पर क्या असर होगा?
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• DELHI 02 Jun 2025, (अपडेटेड 02 Jun 2025, 9:20 PM IST)
आरबीआई ने गोल्ड लोन को लेकर नई गाइडलाइन को प्रस्तावित किया है। जानिए क्या हैं गाइडलाइन्स और इनसे छोटे उधारकर्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है?

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI
भारत में गोल्ड लोन का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। यह लाखों लोगों, खासकर छोटे किसानों, दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायियों के लिए आर्थिक रूप से एक महत्वपूर्ण सहारा है। लेकिन इस बाजार में अनियमितताओं को देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल 2025 में नए दिशा-निर्देशों का मसौदा जारी किया है। इन नियमों का उद्देश्य कर्ज प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, उधारकर्ताओं की सुरक्षा करना और अनुचित तौर-तरीकों को रोकना है।
ये नियम खास तौर पर छोटे उधारकर्ताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए गोल्ड लोन पर निर्भर हैं। हालांकि, इन नियमों से छोटे और अन्य उधारकर्ताओं पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। खबरगांव आपको इस लेख में बता रहा है कि गोल्ड लोन को लेकर आरबीआई की नई गाइडलाइन्स क्या हैं और उनके क्या प्रभाव पड़ने वाले हैं?
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बढ़ा है गोल्ड लोन
गोल्ड लोन भारत में वित्तीय समावेशन के लिए एक अहम कड़ी है। लोग अपनी सोने की ज्वेलरी या बैंक द्वारा जारी सिक्कों को गिरवी रखकर जल्दी और आसानी से कर्ज ले सकते हैं। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनके पास औपचारिक आय का प्रमाण या क्रेडिट स्कोर नहीं होता। दिसंबर 2024 क तुलना में जनवरी 2025 तक, गोल्ड लोन का वितरण पिछले साल की तुलना में 76.9% बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस वृद्धि का कारण सोने की कीमतों में तेजी और इसकी आसान उपलब्धता है।
हालांकि, आरबीआई ने पिछले 12-16 महीनों की जांच में पाया कि गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में कई खामियां हैं। जैसे- सोने को ठीक से चेक कर पाने में कमी, कर्ज चुका पाने में अक्षमता की स्थिति में गोल्ड की नीलामी की कठिन प्रक्रिया, लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) अनुपात की अनदेखी, थर्ड पार्टी एजेंटों द्वारा कर्ज के लिए सोर्सिंग और मूल्यांकन।
इन समस्याओं को हल करने के लिए, आरबीआई ने 9 अप्रैल, 2025 को ‘लेंडिंग अगेंस्ट गोल्ड कोलैटरल डायरेक्शन्स, 2025’ नामक मसौदा जारी किया। ये नियम बैंकों, एनबीएफसी, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) पर लागू होंगे।
क्या हैं नए नियम?
आरबीआई के मसौदे में नौ प्रमुख बदलाव प्रस्तावित हैं, जो कर्ज प्रक्रिया को और पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए हैं:
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लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) अनुपात 75% तक सीमित: पहले कोविड-19 के दौरान कुछ कर्जों के लिए 90% तक एलटीवी की अनुमति थी, लेकिन अब इसे 75% तक सीमित कर दिया गया है। यानी, अगर आपके सोने की कीमत 1 लाख रुपये है, तो आपको अधिकतम 75,000 रुपये का कर्ज मिलेगा।
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बैकग्राउंड की जांच: कर्ज देने वाले बैंकों या एनबीएफसी को इस बात की गहनता से जांच करनी होगी कि सोने का मालिक कौन है और सोने की शुद्धता का स्तर क्या है। उधारकर्ताओं को सोने की रसीद या लिखित घोषणा देनी होगी।
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कैश पर लिमिट: सोने के कर्ज में नकद वितरण को 20,000 रुपये तक सीमित किया गया है, जो आयकर अधिनियम की धारा 269SS के अनुरूप है।
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कर्ज के उपयोग की मॉनिटरिंग: कर्जदाताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्ज का पैसा उसी उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जा रहा है जिसके लिए लोन लिया गया है। इसके लिए विस्तृत रिकॉर्ड रखना होगा।
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नीलामी में पारदर्शिता: अगर उधारकर्ता कर्ज चुकाने में चूक करता है, तो सोने की नीलामी की प्रक्रिया पारदर्शी होगी। उधारकर्ताओं को पहले सूचना दी जाएगी।
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सख्त प्रक्रिया: कर्ज देने से पहले उधारकर्ता की आय और कर्ज चुकाने की क्षमता की जांच अनिवार्य होगी।
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कर्ज रिन्यू करने और टॉप-अप की शर्तें: कर्ज का नवीनीकरण या अतिरिक्त कर्ज तभी मिलेगा जब मौजूदा कर्ज ‘मानक’ श्रेणी में हो और 75% एलटीवी सीमा में हो। पहले, केवल ब्याज चुकाकर कर्ज बढ़ाया जा सकता था, लेकिन अब पूरे मूलधन और ब्याज का भुगतान करना होगा।
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स्टैंडर्ड गोल्ड पर कर्ज: कर्ज केवल 22 कैरेट या उससे अधिक शुद्धता वाले सोने के गहने, आभूषण और बैंक द्वारा बेचे गए सिक्कों (अधिकतम 1 किलोग्राम, जिसमें 50 ग्राम तक सिक्के) की एवज में मिलेगा। चांदी के गहने और बैंक द्वारा बेचे गए 925 शुद्धता वाले सिक्के भी जमानत के रूप में स्वीकार किए जाएंगे।
छोटे उधारकर्ताओं पर प्रभाव
ये नए नियम छोटे उधारकर्ताओं, जैसे किसानों, दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायियों, पर कई तरह से असर डाल सकते हैं। ये लोग अक्सर आपातकालीन जरूरतों, जैसे मेडिकल खर्च, खेती या छोटे व्यवसाय के लिए सोने के कर्ज पर निर्भर रहते हैं।
इन नियमों की वजह से छोटे उधारकर्ताओं को कई तरह के लाभ होंगे जैसे आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक 2 लाख से कम के लोन के लिए नियमों में कुछ ढिलाई बरतने की बात कही गई है जाहिर है यह छोटे उधारकर्ताओं के लिए आसानी से लोन उपलब्ध करा सकेगा। हालांकि, अब सोने की कुल कीमत का 75 प्रतिशत ही लोन मिल सकेगा इसलिए छोटी राशि का लोने लेने वाले लोगों को कम ही लोन मिलेगा।
बैंकों और एनबीएफसी के लिए एक समान नियम होने से उधारकर्ताओं के लिए कन्फ्यूजन खत्म होगा। तीसरी बात आसानी से लोन की उपलब्धता होने की वजह से साहूकारों या स्थानीय लोगों से अधिक दर पर लोन लेने से जोखिम से बच सकेंगे।
क्या होंगी परेशानियां?
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कम कर्ज राशि: 75% एलटीवी सीमा से उधारकर्ताओं को पहले की तुलना में कम कर्ज मिलेगा। उदाहरण के लिए, 1 लाख रुपये के सोने पर अब 75,000 रुपये ही मिलेंगे, जो उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में कमी कर सकता है।
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अधिक दस्तावेज: आय का प्रमाण और स्वामित्व सत्यापन जैसे नियम अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिए मुश्किल हो सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों के पास सोने की रसीद नहीं होती।
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नकद की सीमा: 20,000 रुपये की नकद सीमा उन उधारकर्ताओं के लिए समस्या हो सकती है जिनके पास बैंक खाता नहीं है या जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहां बैंकिंग सुविधाएं सीमित हैं।
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नवीनीकरण की लागत: पूरे कर्ज (मूलधन और ब्याज) का भुगतान करने की शर्त से नवीनीकरण महंगा हो सकता है।
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