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अप्रैल से अगस्त में GST कलेक्शन घटकर हुआ 1.86 लाख करोड़

पिछले साल के अगस्त की तुलना में तो सरकार का टैक्स का कलेक्शन बढ़ा है लेकिन पिछले चार महीनों पर नजर डालें तो यह घटा है क्योंकि अप्रैल में टैक्स कलेक्शन 2.37 लाख करोड़ रुपये था।

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प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: Khabargaon

सरकार ने सोमवार को बताया कि अगस्त 2025 में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले साल अगस्त की तुलना में इसमें 6.5% की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि, जुलाई 2025 की तुलना में जीएसटी संग्रह कम रहा क्योंकि जुलाई में जीएसटी संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये था। इस साल अप्रैल में जीएसटी ने 2.37 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड बनाया, जो अब तक का सबसे ज्यादा संग्रह है।

 

केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों की तरह इस बार भी संग्रह अच्छा रहा है, लेकिन रिफंड में कुछ कमी देखी गई है। आने वाले महीनों में जीएसटी दरों में बदलाव और ऑनलाइन गेमिंग जैसे क्षेत्रों से आय कम होने का असर देखना होगा।'

 

जीएसटी का ट्रेंड

वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो पिछले साल की तुलना में 9.4% ज्यादा है। पांच साल पहले 2020-21 में यह 11.37 लाख करोड़ रुपये था। इस साल पूरे महीने का औसत कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2023-24 में 1.68 लाख करोड़ और 2022-23 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था। जीएसटी में रजिस्टर्ड करदाताओं की संख्या भी 2017 में 65 लाख से बढ़कर 2025 में 1.51 करोड़ हो गई है।

जीएसटी में बड़े बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी सुधारों की घोषणा की, इसे 'दिवाली का तोहफा' बताया। सरकार जीएसटी 2.0 लाने की तैयारी में है, जिसमें दो मुख्य टैक्स रेट होंगे: रोजमर्रा की चीजों पर 5% और अन्य उत्पादों पर 18%। 12% और 28% की दरें खत्म करने का प्रस्ताव है। हानिकारक उत्पादों पर 40% टैक्स लगेगा।

 

खाने-पीने की चीजें, दवाइयां, मेडिकल उपकरण, किताबें, हेयर ऑयल और टूथब्रश जैसी जरूरी चीजों पर 0% या 5% टैक्स होगा। एसी, टीवी और फ्रिज जैसे मध्यम वर्ग के सामान 18% टैक्स स्लैब में आएंगे। ऑटोमोबाइल और सीमेंट, जो अभी 28% टैक्स में हैं, उनके लिए नई दरें स्पष्ट नहीं हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी कम करने का प्रस्ताव भी है।

 

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जीएसटी 2.0 से टैक्स सिस्टम को और आसान करने की कोशिश है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है आम लोगों और व्यवसायों को फायदा होगा। 

 

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