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जापान से आगे निकले हम, क्या फिर 'सोने की चिड़िया' बन पाएगा भारत?

भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत ने जापान को पछाड़ दिया है। कुछ सालों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

हम चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया है कि जापान को पछाड़कर भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने बताया कि अगले ढाई-तीन साल में हम जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। उन्होंने कहा, 'हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमारी अर्थव्यवस्था अब 4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है। यह हमारा डेटा नहीं है। यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का डेटा है। आज भारत, जापान से भी बड़ा है।'


IMF के आंकड़ों के मुताबिक, अब भारत की GDP 4.19 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 357 लाख करोड़ रुपये हो गई है। अब हमसे अमेरिका और चीन ही हैं। अमेरिका की GDP 30.51 ट्रिलियन और चीन की 19.23 ट्रिलियन डॉलर है।


किसी भी देश की आर्थिक सेहत कैसी है, इसका पता उसकी GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद से ही लगता है। GDP से पता चलता है कि एक साल में किसी देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की वैल्यू कितनी रही? इससे ही पता चलता है कि सालभर देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा प्रदर्शन किया? किस सेक्टर में कितनी तेजी आई?

 

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क्या कहता है भारत की GDP का डेटा?

IMF ने इसी महीने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया है कि भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अगले दो साल में भारत की GDP हर साल 6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इससे 2028 तक भारत की GDP 5.58 ट्रिलियन डॉलर के पार चली जाएगी। 


दूसरी तरफ, जर्मनी की GDP में इस साल कोई ग्रोथ होने की उम्मीद नहीं है। अगले साल भी जर्मनी की GDP में सिर्फ 0.9 फीसदी की दर से बढ़ने का ही अनुमान है। 2028 तक जर्मनी की अर्थव्यवस्था 5.25 ट्रिलियन डॉलर होगी। 


जापान की अर्थव्यवस्था पर भी ट्रेड वॉर का असर देखने को मिलेगा और 2025 और 2026 में उसकी GDP मात्र 0.6 फीसदी की दर से ही बढ़ने की उम्मीद है।


टैरिफ और ट्रेड वॉर के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था के भी धीमी रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। 2025 में अमेरिका की GDP 1.8 फीसदी और 2026 में 1.7 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। अगले दो साल में फ्रांस की GDP भी 0.6 से 1 फीसदी तक बढ़ने का ही अनुमान है। यूनाइटेड किंगडम की GDP 2025 में 1.1 और 2026 में 1.4 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।


IMF के मुताबिक, अभी दुनियाभर की GDP लगभग 114 ट्रिलियन डॉलर है। भारतीय करंसी के हिसाब से यह रकम 9,675 लाख करोड़ रुपये होती है। इसमें भारत की GDP 4.19 ट्रिलियन डॉलर यानी 356 लाख करोड़ रुपये है। इस हिसाब से आज दुनिया की GDP में भारत की हिस्सेदारी 3.67 फीसदी है। 2030 तक दुनियाभर की GDP बढ़कर 144 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 12,292 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगी। तब भारत की GDP भी बढ़कर 6.76 ट्रिलियन डॉलर (576 लाख करोड़ रुपये) पहुंच जाएगी। दुनिया की GDP में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़कर 4.68 फीसदी हो जाएगी।

 

 

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कभी सोने की चिड़िया था भारत

भारत कभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करता था। साल 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन ने 'A Millennial Perspective' नाम से एक किताब लिखी थी। इस किताब में उन्होंने दुनिया की अर्थव्यवस्था के इतिहास का एनालिसिस किया था। उन्होंने बताया था कि अगर डॉलर की कीमत को 1990 को भाव पर रखकर आंका जाए, तो साल 1000 में भारत की GDP 3,375 करोड़ डॉलर रही होगी। 


उस वक्त दुनिया की GDP में भारत की हिस्सेदारी लगभग 33 फीसदी थी। यानी, दुनिया की एक तिहाई अर्थव्यवस्था अकेले भारत से चलती थी। उस वक्त चीन की GDP 2,655 करोड़ डॉलर थी और उसकी हिस्सेदारी 22 फीसदी के आसपास थी।


एंगस मैडिसन अपनी किताब में बताते हैं कि 14वीं और 15वीं सदी के बीच चीन की GDP भारत से ज्यादा थी। हालांकि, 16वीं सदी में भारत फिर ऊपर आ गया। 18वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने भारत में पैर पसारने शुरू कर दिए। साल 1757 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर न सिर्फ सत्ता जमाई, बल्कि कारोबार पर भी कब्जा कर लिया। इससे एक तरफ तो भारत की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट आई लेकिन दूसरी तरफ चीन को इससे फायदा भी हुआ। साल 1820 में भारत की GDP 11,141 करोड़ डॉलर थी। तब चीन की GDP लगभग दोगुनी 22,860 करोड डॉलर हो गई थी। 


18वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की GDP में भारत की एक-चौथाई हिस्सेदारी थी। अंग्रेजों ने भारत को इतना लूटा कि 1950 तक यह हिस्सेदारी घटकर 4 फीसदी पर आ गई। 


आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 1950 में भारत और चीन की GDP में बहुत ज्यादा अंतर नहीं था। तब भारत की GDP 22,222 करोड़ डॉलर और चीन की 23,990 करोड़ डॉलर थी। उस समय दुनिया की GDP में भारत की हिस्सेदारी 4.2 और चीन की 4.5 फीसदी थी। हालांकि, उसके बाद भारत की तुलना में चीन की GDP कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ी। आज के वक्त में दुनिया की GDP में भारत की हिस्सेदारी 3.6 फीसदी तो चीन की 17 फीसदी से ज्यादा है।

 

 

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लेकिन प्रति व्यक्ति आय में हम पीछे

हम भले ही चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हों, लेकिन हम अब भी प्रति व्यक्ति आय में बहुत पीछे हैं। IMF के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति आय 2.88 हजार डॉलर है, यानी 2.44 लाख रुपये। इसकी तुलना में जापान में सालाना प्रति व्यक्ति 33.96 हजार डॉलर यानी 28.81 लाख रुपये है। 


अब जापान में प्रति व्यक्ति आय इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि भारत की आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है, जबकि उसकी 12.45 करोड़। इतनी बड़ी आबादी होने के कारण GDP ज्यादा लोगों में बंटती है और प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है। 


अगर हम इसकी तुलना चीन से करें तो ज्यादा फर्क पता चलता है। चीन की आबादी भी लगभग भारत के बराबर ही है। वहां प्रति व्यक्ति आय 13.69 हजार डॉलर (करीब 11.60 लाख रुपये) है। चीन की अर्थव्यवस्था भारत से 5 गुना ज्यादा है और प्रति व्यक्ति आय 7 गुना ज्यादा। 


भारत ने 2047 तक खुद को विकसित देश की कैटेगरी में लाने का लक्ष्य रखा है। प्रति व्यक्ति आय उसमें बहुत मायने रखती है। देखा जाए तो अभी अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसकी प्रति व्यक्ति 89.11 हजार डॉलर यानी 75 लाख रुपये से ज्यादा है। वहीं, भारत की सालाना आमदनी ढाई लाख रुपये के आसपास है।

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