भारत में जब तुर्किए को लेकर जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है तब उसके राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने X पर लिखा, 'पाकिस्तान-तुर्किए दोस्ती जिंदाबाद।' एर्दोआन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को 'प्यारा भाई' बताया। उन्होंने लिखा, 'तुर्किए और पाकिस्तान के बीच जैसा भाईचारा है, वैसा दुनिया के बहुत कम देशों में देखने को मिलता है। यह सच्ची दोस्ती के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है।' एर्दोआन ने वादा करते हुए कहा कि तुर्किए हमेशा अच्छे और बुरे समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा।
राष्ट्रपति एर्दोआन खुलकर पाकिस्तान का साथ तब भी दे रहे हैं, जब भारत में तुर्किए को लेकर जबरदस्त गुस्सा है। तुर्किए के साथ कारोबार बंद करने की अपील की जा रही है। कारोबारियों ने तुर्किए से आने वाले सेब खरीदने से मना कर दिया है। भारतीय पर्यटकों ने तुर्किए जाने का प्लान छोड़ दिया है। और तो और दिल्ली-मुंबई समेत 9 एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग जैसी सुविधाएं देने वाली तुर्किए की कंपनी Celebi का सिक्योरिटी क्लियरेंस भी कैंसिल कर दिया गया है।
तुर्किए पर फूटा भारतीयों का गुस्सा
शायद यह पहली बार है जब भारत में तुर्किए को लेकर इतना जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। इसकी वजह यह है तुर्किए ने भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया। भारत से लड़ने के लिए तुर्किए ने पाकिस्तान को ड्रोन भी दिए।
अब भारतीयों का कहना है कि फरवरी 2023 में जब तुर्किए में भयंकर भूकंप आया था, तब भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' चलाकर उसकी मदद की थी। मगर अब वह पाकिस्तान के साथ जाकर खड़ा हो गया। केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने तुर्किए का बायकॉट करने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय समझ गए हैं कि उनकी मेहनत की कमाई देश के दुश्मनों पर खर्च नहीं होनी चाहिए।
तुर्किए के अलावा भारतीयों का गुस्सा अजरबैजान पर भी फूटा है। अजरबैजान ने भी पाकिस्तान का साथ दिया था। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey, #SayNoToTurkey, #ZeroToleranceToTerrorism और #BoycottTurkeyAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
भारत के कैसे हैं कारोबारी रिश्ते?
भारत के तुर्किए और अजरबैजान के साथ बहुत कम कारोबार है। हालांकि, इनके साथ कारोबार करने में भारत को ही फायदा है, क्योंकि इन दोनों को ही भारत बेचता ज्यादा है और खरीदता कम है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते दो साल से तुर्किए के साथ होने वाले कारोबार में गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत और तुर्किए के बीच 67,859 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इसमें से भारत ने करीब 44 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया था, जबकि 24 हजार करोड़ रुपये का आयात किया था।
बीते 5 साल के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि भारत और तुर्किए में सबसे ज्यादा कारोबार 2022-23 में 1.11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। तब से अब तक भारत-तुर्किए के कारोबार में 39 फीसदी की गिरावट आई गई है।
इसी तरह, अजरबैजान के साथ भी भारत का कारोबार बहुत ज्यादा नहीं है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत-अजरबैजान के बीच 731 करोड़ रुपये का कारोबार ही हुआ था। इसमें से 725 करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात था।
क्या खरीदते-बेचते हैं तीनों?
तुर्किए को भारत मिनरल फ्यूल, इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट और पार्ट्स, ऑर्गनिक केमिकल, फार्मा प्रोडक्ट्स, प्लास्टिक, रबर, कॉटन, फाइबर, आयरन और स्टील बेचता है। वहीं, तुर्किए से मार्बल, सेब, गोल्ड, सब्जियां, मिनरल ऑयल, केमिकल, आयरन और स्टील खरीदता है।
भारत, अजरबैजान को तंबाकू, चाय, कॉफी, अनाज, केमिकल, प्लास्टिक, रबर, कागज और सेरेमिक प्रोडक्ट्स बेचता है, जबकि उससे चारा, ऑर्गनिक केमिकल, परफ्यूम और लेदर जैसा सामान ही खरीदता है।
इसके अलावा, भारतीय कंपनियों ने तुर्किए में 12.6 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। भारतीय कंपनियों की तुलना में तुर्किए की कंपनियां भारत में 21 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश कर चुकी हैं।
टूरिज्म पर क्या कहते हैं आंकड़े?
हर साल लाखों भारतीय पर्यटक घूमने के लिए तुर्किए और अजरबैजान की यात्रा करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 2023 में 3 लाख भारतीय तुर्किए और 2 लाख भारतीय अजरबैजान घूमने के लिए गए थे। माना जाता है कि इन दोनों देशों में भारतीयों ने करीब 4 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस हिसाब से देखा जाए तो हर भारतीय पर्यटक ने औसतन 1 लाख रुपये तक खर्चा किया था।
वहीं, तुर्किए में अभी करीब 3 हजार भारतीय नागरिक ही रहते हैं, जिनमें 200 छात्र हैं। इसी तरह अजरबैजान में सिर्फ 1,500 भारतीय ही रहते हैं।