सेमीकंडक्टर का जमाना, दुनिया की तुलना में कहां खड़ा है भारत?
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• NEW DELHI 16 Aug 2025, (अपडेटेड 16 Aug 2025, 8:24 AM IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश को आत्मनिर्भरता का संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि 21वीं सदी, तकनीक की सदी है, भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होगा।

सेमीकंडक्टर में भारत 2025 के अंत तक आत्मनिर्भर होगा। (Photo Credit: Sora, AI)
जिस फोन का इस्तेमाल करके आप यह खबर पढ़ रहे हैं, या जिस कंप्यूटर से यह खबर लिखी गई है, उसे आप तक पहुंचाने का काम जिस युक्ति के जरिए होता है, उसमें सेमीकंडक्टर का अहम रोल होता है। इसे हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का 'प्राण' या 'दिल' कह सकते हैं। डिजिटल दुनिया में अगर यही न हो तो न आप अपनी गाड़ी में गाने सुन पाएंगे, न गाड़ी स्टार्ट कर पाएंगे। न आपका फोन चलेगा, न ही आपके घर का चार्जिंग सिस्टम काम करेगा। दुनिया सेमीकंडक्टर माइक्रोचिप की गुलाम हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से यही ऐलान किया है कि साल के अंत तक भारत में मेड इन इंडिया माइक्रोचिप या सेमीकंडक्टर का निर्माण होने लगेगा।
कुछ 3 से 4 साल पहले की बात है। दुनिया कोविड की मार से जूझ रही थी, सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन ठप हो गया था, दुनिया के आधे से ज्यादा उद्योग डांवाडोल हो गए थे। गाड़ी बनाने वाली कंपनियों से लेकर मोबाइल फोन तक बनाने वाली कंपनियों को अरबो डॉलर का नुकसान हुआ था। चीन, अमेरिका, उत्तर कोरिया और ताइवान जैसे देशों में हाहाकार मच गया था, यहीं सबसे ज्यादा ऐसे चिप बनाए जाते हैं। कारों का उत्पादन तक प्रभावित हुआ था। भारत में लोगों के लिए कारों का इंतजार, थोड़ा और लंबा हो गया था।
अगर यकीन न हो तो कभी अतीत की उन खबरों पर गौर कीजिए, जब सिलिकॉन की चिप का प्रोडक्शन थमा हो। गाड़ियों का उत्पादन रुकता है, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट की किल्लत होने लगती है, खिलौनों से लेकर मोबाइल फोन तक की मैन्युफैक्चरिंग घट जाती है। आइए जानते हैं क्यों देश की सरकार इसे बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, पीएम मोदी ने क्या कहा था, भारत सेमी कंडक्टर के निर्माण में कहां खड़ा है, कितनी जरूरी है देश के लिए यह डिवाइस?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर पर क्या कहा?
आत्मनिर्भरता की दम पर सेना बिना रुके अपना काम करती रही। डिफेंस में हम आत्मनिर्भरता का लक्ष्य लेकर चले, उसके नतीजे दिखने लगे हैं। 21वीं सदी टेक्नोलॉजी ड्रिवन है। जिन देशों ने टेक्नोलॉजी में महारत हासिल की, वे शिखर पर पहुंच गए। हम जब टेक्नोलॉजी के आयामों की बात करता हूं। मैं यहां किसी सरकार की आलोचना नहीं कर रहा। देश में 50-60 पहले सेमी कंडक्टर को लेकर विचार शुरू हुआ। आज सेमीकंडक्टर जब दुनिया की ताकत बन गया, 50-60 पहले वो फाइलें अटक-लटक गई। सेमीकंडक्टर के विचार की भ्रूण हत्या हो गई। कई देश सेमीकंडक्टर में महारत हासिल करके राज कर रहे हैं। आज हम उस बोझ से मुक्त होकर सेमीकंडक्टर के काम को आगे बढ़ाया है। इसी साल के अंत तक मेड इन इंडिया चिप्स भारत में आ जाएगी।
सेमीकंडक्टर जरूरी क्यों हैं?
भारत में सेमीकंडक्टर जरूरतें बढ़ रही हैं। सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल हमारे फोन, कंप्यूटर, टीवी, सैटेलाइट्स और यहां तक कि रक्षा प्रणालियों तक में होता है। आकार में उंगलियों के बीच भी गुम हो जाने वाले ये चिप्स, डिजिटल दुनिया की नींव हैं। ये चिप्स लाखों-करोड़ों माइक्रो चिप्स से बने होते हैं, ये ट्रांजिस्टर हैं, जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल को नियंत्रित करते हैं। ये डेटा को स्टोर, प्रोसेस और ट्रांसफर करते हैं। दिमाग के लिए जो काम न्यूरॉन्स करते हैं, वही काम सेमीकंडक्टर का किसी डिवाइस के लिए होता है।
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भारत में कितना बड़ा है सेमीकंडक्टर का बाजार?
दुनिया डिजिटल हो रही है। भारत सेमीकंडक्टर आयात करता है। सेमीकंडक्टर बनाने के लिए एक बेहद जरूरी धातु पैलेडियम है, जिसका भंडार रूस के पास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दोहरा चुके हैं कि भारत में साल 2026 तक, 80 अरब डॉलर के सेमी कंडक्टर की खपत भारत में होने लगी। 2030 तक यह आंकड़ा 110 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
जाहिर सी बात है कि देश की आय का एक बड़ा हिस्सा, आयात पर खर्च होगा। भारत इसीलिए दुनिया की बड़ी कंपनियों को सेमीकंडक्टर बनाने के लिए न्योता देना चाहता है। जब भारतीय इंजीनियर इंटेल, टीएमएमसी और माइक्रोन जैसी कंपनियों के लिए चिप बना रहे हैं तो क्यों न ये चिप, भारत में ही बनें। ये चिप, अमेरिका, कोरिया और ताइवान जैसे देशों में बनते हैं।
सेमी कंडक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की तैयारी क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 अगस्त को इंजियन सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत चार नए सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी। ये प्रोजेक्ट्स सिक्सेम, कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया (CDIL, 3डी ग्लास सॉल्यूशंस और एडवांस्ड सिस्टम इन पैकेज (ASIP) टेक्नोलॉजीज के हैं। इनसे करीब 4,600 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 2,034 नौकरियां पैदा होंगी। अब तक 10 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें 1.60 लाख करोड़ रुपये का निवेश 6 राज्यों में होगा।
सिक्सेम और 3डी ग्लास ओडिशा में, सीडीआईएल पंजाब में और एएसआईपी आंध्र प्रदेश में यूनिट लगाएंगे। सिक्सेम देश का पहला सिलिकॉन कार्बाइड बेस्ड कंपाउंड सेमीकंडक्टर प्लांट बनाएगा, जिसकी क्षमता 60,000 वेफर्स और 9.6 करोड़ यूनिट्स होगी। यह मिसाइल, इलेक्ट्रिक वाहन और सौर इनवर्टर के लिए उत्पाद बनाएगा।
3डी ग्लास दुनिया की सबसे उन्नत पैकेजिंग तकनीक लाएगा। एएसआईपी 9.6 करोड़ यूनिट्स की क्षमता के साथ मोबाइल और ऑटोमोबाइल उत्पाद बनाएगा। सीडीआईएल पंजाब में अपनी यूनिट का विस्तार करेगा। ये प्रोजेक्ट्स भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।
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सेमीकंडक्टर उद्योग में आत्मनिर्भर होना जरूरी क्यों है?
- हेल्थ सेक्टर, कम्युनिकेशन, डिफेंस और स्पेस सेक्टर के डिवाइस की रीढ़
- स्मार्ट डिवाइस, AI, और क्लाउड कंप्यूटिंग की बढ़ती जरूरतों के लिए अनिवार्य
- दुनिया का 60% से ज्यादा सेमीकंडक्टर उत्पादन ताइवान में होता है
- आपूर्ति श्रृंखला में हमेशा जोखिम की आशंका बनी रहती है
- चीन ताइवान के व्यापार में दखल देता है, चिप आपूर्ति बाधित होती रहती है
भारत में कितना बड़ा है सेमीकंडक्टर का बाजार?
- साल 2023: 23 अरब डॉलर
- साल 2024-25: 45 से 50 अरब डॉलर
- साल 2030: 100 से 110 अरब डॉलर होने की उम्मीद

भारत सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्रता के लिए क्या कर सकता है
- सेमीकंडक्टर उपकरण के कुछ हिस्से भारत बना सकता है
- केमिकल, खनिज और गैस कंस्ट्रक्शन के संसाधनों का इस्तेमाल
- AI, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और इंटरनेट में काम के अनगिनत अवसर हैं
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) है क्या?
देश में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन दिसंबर 2021 में ₹76,000 करोड़ के बजट के साथ शुरू हुआ था। इसका मकसद देश में चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करना था। देश में पैकेजिंग और टेस्टिंग यूनिट की जरूरत तेजी से बढ़ रही थी, ऐसे में इसके जरिए देश में ही स्टार्टअप्स और चिप डिजाइनिंग की दिशा में काम करना लक्ष्य तय किया गया। युवा इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी गई। दुनियाभर को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया।
ISM के लिए 4 अलग-अलग स्कीमें भी शुरू की गई हैं
- सेमीकंडक्टर फैब्स स्कीम: चिप निर्माण के लिए 50% वित्तीय सहायता योजना
- डिस्प्ले फैब्स स्कीम: AMOLED और LCD डिस्प्ले के लिए वित्तीय योजना
- कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स और ATMP/OSAT स्कीम: पैकेजिंग और टेस्टिंग के क्षेत्र में वित्तीय मदद
- डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम: ₹1000 करोड़ के साथ स्टार्टअप्स को रिसर्च-डेवलेपमेंट और डिजाइन टूल्स के लिए मदद देना
भारत में कहां-कहां हैं सेमी कंडक्टर प्रोजेक्ट?
- माइक्रोन टेक्नोलॉजी
शुरुआत: जून 2023, सानंद, गुजरात
निवेश: ₹22,516 करोड़
सुविधा: असेंबल, टेस्टिंग, मार्किंग, पैकेजिंग
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स
शुरुआत: फरवरी 2024, धोलेरा, गुजरात
निवेश: ₹91,000 करोड़
सुविधा: पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन - CG पावर + रेनेसास
शुरुआत: फरवरी 2024, सानंद, गुजरात
निवेश: ₹7,600 करोड़
सुविधा: 15 मिलियन चिप्स/दिन (प्रस्तावित) - टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट
शुरुआत: फरवरी 2024, मोरीगांव, असम
निवेश: ₹27,000 करोड़
सुविधा: 48 मिलियन चिप्स/दिन। (प्रस्तावित) - केन्स सेमीकॉन
शुरुआत: सितंबर 2024, सानंद, गुजरात
निवेश: ₹3,307 करोड़
सुविधा: 6.33 मिलियन चिप्स/दिन (प्रस्तावित) - HCL-फॉक्सकॉन JV
शुरुआत: मई 2025, जेवर, उत्तर प्रदेश
निवेश: ₹3,700 करोड़
सुविधा: 15 मिलियन चिप्स/दिन (प्रस्तावित)
(सोर्स: PIB)
सेमीकॉन इंडिया क्या है?
सेमीकॉन इंडिया प्रोजेक्ट का मकसद भारत को दुनिया के सेमीकंडक्टर हब के तौर पर विकसित करना है। साल 2022 में बेंगलुरु, 2023 में गांधी नगर, 2024 में ग्रेटर नोएडा और 2 से 4 सितंबर के बीच में नई दिल्ली में इसे आयोजित किया जाएगा। 18 देशों से 300 से ज्यादा कंपनियों को बुलावा भेजा जाएगा। जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया की साझेदारी के साथ इस कार्यक्रम को आयोजित किया जाएगा। 8 से ज्यादा देशों के साथ चर्चा की जाएगी। 2030 तक 10 लाख कुशल कर्मचारियों की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उपलब्धियां जो भारत ने हासिल कीं
- 2025 में भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन के लिए तैयार होगी
- सरकारी चिप डिजाइन योजना के तहत स्टार्टअप को ₹107 करोड़ का निवेश मिला
- मध्य प्रदेश का IT कैंपस तैयार हो रहा है, 150 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1 लाख वर्ग फीट का प्लांट तैयार होगा
- ड्रोन, रोबोट और कंप्यूटर जैसे उपकरण बनेंगे
- भारत आयात पर निर्भरता कम कर रहा है
- iCET और SEMI की मदद से भारत रिसर्च पर जोर दे रहा है
- नए सेमी कंडक्टर प्लांट और ट्रेनिंग सेंटर होने से लाखों नौकरियों के अवसर पैदा हो रहे हैं
दुनिया की तुलना में कहां खड़ा है भारत?
- साल 2025 में कमाई तगड़ी कमाई करने वाले देश
- ताइवान: 349 अरब डॉलर
- चीन: 206.70 अरब डॉलर
- अमेरिका: 123.82 अरब डॉलर
- दक्षिण कोरिया: 86.13 अरब डॉलर
- जापान: 22.27 अरब डॉलर बिलियन
(आंकड़े: स्टैटिका और इकोनॉमिक टाइम्स से लिए गए हैं)
भारत अभी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में उभरता खिलाड़ी है। 2025 तक आत्मनिर्भर होने की दिशा में पहला कदम बढ़ाएगा।
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