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कैसे इलेक्ट्रिक बनेगा इंडिया? समझें क्या है भारत में EV का फ्यूचर

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है लेकिन EV के मामले में थोड़ा पीछे है। हालांकि, अब भारत में इलेक्ट्रिक कारों का क्रेज बढ़ रहा है और सरकार भी इसकी तैयारी कर रही है। ऐसे में जानते हैं कि EV का मार्केट कितना है? और क्या है इसका फ्यूचर?

electric passenger car

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

मोदी सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मैनुफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए एक नई स्कीम लेकर आई है। इसके तहत, अगर कोई ऑटो कंपनी भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, तो उसे विदेशी कारों के आयात पर छूट मिलेगी। इतना निवेश करने वाली कंपनी हर साल 8 हजार गाड़ियां विदेश से आयात कर सकेगी और इस पर उसे सिर्फ 15% इम्पोर्ट ड्यूटी देनी होगी। अभी यह ड्यूटी 70% से 100% के बीच है।


भारत में ही इलेक्ट्रिक पैसेंजर गाड़ियों की मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने यह नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत, ऑटो कंपनियों को अप्रूवल मिलने के तीन साल के भीतर मैनुफैक्चरिंग शुरू करना होगा। 


अधिकारियों ने बताया कि ऐप्लीकेशन विंडो खुलने के बाद ऑटो कंपनियां सिर्फ एक बार ही आवेदन कर सकेंगे। आवेदन करने के लिए 120 दिन का समय रहेगा। बताया जा रहा है कि कुछ ही हफ्तों में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। 

 

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क्या है सरकार का प्लान?

  • सरकार का मकसद क्या?: भारत में ही इलेक्ट्रिक पैसेंजर गाड़ियों की मैनुफैक्चरिंग बढ़ाना मकसद है। ऑटो कंपनियों को कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इससे भारत में मैनुफैक्चरिंग प्लांट बनाना होगा। अप्रूवल मिलने के 3 साल के भीतर मैनुफैक्चरिंग शुरू करनी होगी।
  • कंपनियों को क्या मिलेगा?: भारत में निवेश करने वाली कंपनियों को 8,000 गाड़ियां विदेश से आयात करने पर सिर्फ 15% इम्पोर्ट ड्यूटी देनी होगी। यह छूट 5 साल तक उन 35,000 डॉलर (करीब 30 लाख रुपये) की गाड़ियों पर मिलेगी। एक कंपनी को 6,484 करोड़ रुपये तक की छूट मिलेगी।
  • कंपनियों को क्या करना होगा?: आवेदन करना होगा। ऐप्लीकेशन विंडो 120 दिन खुली रहेगी। आवेदन करते समय 5 लाख रुपये जमा कराने होंगे, जो नॉन-रिफंडेबल होंगे। आवेदन वही कंपनियां कर सकेंगे, जिनका मैनुफैक्चरिंग रेवेन्यू 10,000 करोड़ रुपये होगा। साथ ही कंपनी का अचल संपत्तियों में 3,000 करोड़ का निवेश होना चाहिए।
  • भारत को क्या मिलेगा?: अगले 3 साल तक इलेक्ट्रिक कार की मैनुफैक्चरिंग में लगने वाले 25% पार्ट्स भारत में ही बनाने होंगे। तकनीकी भाषा में इसे डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) कहा जाता है। 5 साल के भीतर यह 50% करना होगा। यानी, मैनुफैक्चरिंग तो भारत में होगी ही, उसमें लगने वाले पार्ट्स भी भारतीय होंगे।

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भारत में कितना बड़ा है EV का मार्केट?

अब दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चलन बढ़ रहा है। इसकी दो वजह है। पहली तो यह कि पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन पर चलने वाली गाड़ियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। दूसरी वजह यह कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल-डीजल पर चलने वाली गाड़ियों की तुलना में ज्यादा किफायती भी होती हैं। 


चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है। कमाई बढ़ने के साथ-साथ अब गाड़ियों की बिक्री भी बढ़ती जा रही है। इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने में भारत अभी थोड़ा पीछे है लेकिन आंकड़ें बताते हैं कि अब EV की बिक्री भी खूब हो रही है। 

 


IBEF की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में भारत में 15 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिकी थीं। 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 49.25% ज्यादा था। हालांकि, इसमें से ज्यादातर थ्री-व्हीलर थीं। S&P ग्लोबल की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अभी EV का मार्केट बहुत छोटा है। 2024 में जितनी कारें बिकी थीं, उनमें से सिर्फ 2.5% ही इलेक्ट्रिक थीं। 


फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के मुताबिक, 2023 की तुलना में 2024 में 20% ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं। FADA के मुताबिक, 2024 में करीब 1 लाख इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं, जबकि 2023 में 82,688 कारों की बिक्री हुई थी। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2024 में 40 लाख से ज्यादा कारों की बिक्री हुई थी और इनमें से सिर्फ 2.4% ही इलेक्ट्रिक थीं। इससे पहले 2023 में बेची गई कुल कारों में से 2.1% ही इलेक्ट्रिक थीं।


हालांकि, सरकार ने 2030 तक 30% प्राइवेट कार, 70% कमर्शियल व्हीकल, 40% बसें और 80% टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर तक ले जाने का टारगेट रखा है। अगर ऐसा होता है तो भारत की सड़कों पर 8 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां इलेक्ट्रिक होंगी।

 

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कितना मजबूत है EV का इन्फ्रास्ट्रक्चर?

इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा तभी मिलेगा, जब इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। अभी पेट्रोल-डीजल पंप तो हैं लेकिन चार्जिंग स्टेशन उतने ज्यादा नहीं हैं, जो लोगों को इलेक्ट्रिक की तरफ जाने को मजबूर करे। हालांकि, अच्छी बात यह है कि अब भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए पब्लिक चार्जिंग स्टेशन भी तेजी से बढ़ रहे हैं।


पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने चार्जिंग स्टेशन की आंकड़ा संसद में रखा था। इसमें सरकार ने बताया था कि अभी देशभर में 25,202 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन हैं। सबसे ज्यादा 5,765 स्टेशन कर्नाटक में है। फिर महाराष्ट्र है, जहां 3,728 स्टेशन बने हैं। इसके बाद दिल्ली में 1,989 और उत्तर प्रदेश में 1,941 स्टेशन बन चुके हैं। हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में चार्जिंग स्टेशन बन चुके हैं। यहां तक कि लद्दाख में भी 1 स्टेशन बनकर तैयार हो गया है। दो साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी तेजी से बढ़ा है। 21 मार्च 2023 तक देश में सिर्फ 6,586 चार्जिंग स्टेशन ही थे। 

 


इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 से 2024 के बीच भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी बढ़ा है। IEA का डेटा बताता है कि 2024 तक भारत में करीब 75 हजार चार्जिंग स्टेशन हैं। हालांकि, इनमें 47 हजार से ज्यादा स्टेशन स्लो चार्जर वाले हैं। स्लो चार्जर में एक गाड़ी को चार्ज होने में 6 से 8 घंटे लगते हैं। यह आमतौर पर घरों और दफ्तरों में हैं। बाकी 28 हजार के आसपास फास्ट चार्जर वाले स्टेशन हैं, जहां कम समय में गाड़ी को चार्ज किया जा सकता है। 

 

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क्या कुछ फ्यूचर है भारत में EV का?

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्रेज बढ़ रहा है। हाल ही में एक सर्वे हुआ था, जिसमें शामिल 83% ने कहा था कि वह इस दशक के आखिर तक इलेक्ट्रिक कार खरीदेंगे। यह दिखाता है कि अब भारतीयों में पेट्रोल-डीजल की बजाय इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्रेज बढ़ रहा है।


गोवा में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्रेज सबसे ज्यादा है। यहां पिछले साल खरीदी गई 14% से ज्यादा गाड़ियां इलेक्ट्रिक थीं। इसके बाद त्रिपुरा और चंडीगढ़ है। दिल्ली में पिछली साल जितनी कारें बिकीं, उनमें से 10.72% इलेक्ट्रिक थीं।


S&P ग्लोबल की रिपोर्ट बताती है कि भारत में EV का प्रोडक्शन भी बढ़ रहा है। 2022 में देशभर में EV का प्रोडक्शन 50 हजार के आसपास था। 2024 में यह बढ़कर 1.25 लाख से भी ज्यादा हो गया है। अनुमान है कि 2030 तक भारत में EV का प्रोडक्शन 13 लाख से ज्यादा होगा। ऐसा अनुमान है कि 2030 तक जितनी पैसेंजर कार बनेंगी, उनमें से लगभग 20% इलेक्ट्रिक होंगी।


फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट का अनुमान है कि भारतीय EV मार्केट 2022 में 3.21 अरब डॉलर का था, जो 2029 तक बढ़कर 113.99 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब हुआ कि EV मार्केट में हर साल 66 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ होने की उम्मीद है।

 


2025 को इलेक्ट्रिक व्हीकल का साल माना जा रहा है और वह इसलिए क्योंकि इस साल कई बड़ी कंपनियां EV लेकर आ रहीं हैं। इसी साल मारुति सुजुकी अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार eVitara लॉन्च करने वाली है। इसकी रेंज 500 किलोमीटर तक होगी और इसकी कीमत 15 लाख रुपये के आसपास हो सकती है। ह्यूंडई भी क्रेटा EV लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। टाटा मोटर्स भी इस साल सिएरा, हैरियर और सफारी का इलेक्ट्रिक वर्जन पेश करेगी, जिसकी कीमत 20 लाख रुपये से ज्यादा होगी। मर्सिडीज भी इस साल अपने कई हाई-एंड मॉडल को इलेक्ट्रिक वर्जन में भारत में उतराने जा रही है। 


हालांकि, अभी भी भारत को इलेक्ट्रिक होने में बहुत चुनौतियों का सामना करना है। भारत ने 2030 तक 30% इलेक्ट्रक कारों का टारगेट रखा है और S&P ग्लोबल का मानना है कि इस टारगेट को पूरा करने के लिए EV का पेनेट्रेशन रेट बढ़ाना होगा। अभी भारत में EV का पेनेट्रेशन रेट सालाना 2% के आसपास है। इसका मतलब हुआ कि हर साल भारत की सड़कों पर सिर्फ 2% इलेक्ट्रिक कारें ही बढ़ रहीं हैं। अगर 30% का टारगेट पूरा करना है तो यह पेनेट्रेशन रेट सालाना 3.8% के आसपास होना चाहिए। 

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