logo

ट्रेंडिंग:

मिडल-ईस्ट में तनाव, तेल की बढ़ती कीमतों का भारतीय शेयर बाजार पर भी असर

वैश्विक स्तर पर चल रही गतिविधियों का असर भारतीय शेयर बाजार पर दिखाई दे रहा है। जानिए सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट के बड़ी वजहें।

Image of Indian Share Market and oil price rise

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: AI Image)

सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट देखी गई, जहां सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरावट की बड़ी वजह मिडल-ईस्ट में बढ़ते तनाव, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों पर पूरी तरह से विश्वास न होना, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और आईटी सेक्टर में कमजोरी मानी जा रही है।

 

सुबह 9:40 बजे के आसपास Sensex लगभग 808 अंकों की गिरावट के साथ 81,599 पर और निफ्टी करीब 217 अंकों की कमी के साथ 24,895 पर कारोबार कर रहा था। यह गिरावट करीब 1% के आसपास रही, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बन गया। इस तेज गिरावट के चलते BSE पर लिस्टिड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग दो लाख करोड़ रुपये घटकर 44.75 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि दोपहर होते इस गिरावट में थोड़ी कमी आती हुई दिखाई दी।

 

यह भी पढ़ें: इजरायल-ईरान तनाव का असर नहीं! रूस से जमकर तेल खरीद रहा भारत

क्या है शेयर बाजार में गिरावट की वजह?

इस गिरावट की कई वजहें थीं, जो घरेलू से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रभावों से जुड़ी थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे प्रमुख वजह अमेरिकी हवाई हमले, जिसने ईरान के परमाणु सेंटर को निशाना बनाया। इस कार्रवाई से कच्चे तेल की कीमतों में अचानक तेजी आई और वैश्विक तनाव भी बढ़ा। ईरान ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है, जिससे ऊर्जा आपूर्ति पर खतरा मंडरा रहा है। ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और 'होर्मुज की खाड़ी' जैसी महत्वपूर्ण तेल आपूर्ति मार्ग को बंद करने की बात कही गई है। यदि ऐसा होता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर भारी असर पड़ेगा, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।

 

तेल की बढ़ती कीमतों का असर सिर्फ ऊर्जा कंपनियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महंगाई के दबाव से भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसी संस्थाओं के निर्णयों पर भी असर पड़ सकता है। अमेरिका में ब्याज दरें कम करने की संभावनाएं अब और टल सकती हैं, जिससे विदेशी निवेश पर असर बढ़ सकता और शेयर बाजार पर दबाव और बढ़ेगा।

इसके अलावा विशेषज्ञों का कहना है कि आईटी सेक्टर भी इस गिरावट की एक बड़ी वजह बना। अमेरिका की दिग्गज कंपनी एक्सेंचर के शेयरों में शुक्रवार को 7% की गिरावट आई, जिसकी वजह से भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों पर भी असर पड़ा।

 

निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1% से ज्यादा की गिरावट देखी गई। इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक और OFSS जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही। रेपोर्ट्स में बताया गया है कि एक्सेंचर के नए ऑर्डर्स की कमी और भविष्य को लेकर कमजोर अनुमान से निवेशकों में निराशा फैली है। कंपनी ने यह भी कहा कि अमेरिका में सरकारी खर्च में कटौती की वजह से आईटी सेक्टर को दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

 

यह भी पढ़ें: सरकार का टैक्स कलेक्शन तो बढ़ा लेकिन कुल रेवेन्यू घट कैसे गया?

वैश्विक बाजार का भी पड़ा है असर

इसके साथ-साथ वैश्विक बाजारों की कमजोर रहना भी भारतीय शेयर बाजार पर असर डाल रही है। जापान का निक्केई इंडेक्स और एशिया-पेसिफिक क्षेत्र के अन्य शेयर बाजार भी लाल निशान में रहे। यूरोप के बाजारों के संकेत भी कमजोर दिखाई दिए, जो इस बात का संकेत था कि पूरी दुनिया में निवेशक फिलहाल सतर्क रुख अपनाए हुए हैं। इसकी वजह एक्स्पर्ट्स यह बता रहे हैं कि यूरोप और जापान ऊर्जा के लिए बाहरी देशों पर निर्भर हैं, इसलिए तेल की कीमतों में तेजी से इन क्षेत्रों पर और ज्यादा असर पड़ता है।

 

इन सभी घटनाओं ने मिलकर भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित किया है। विदेशी निवेशक सतर्क हैं, घरेलू निवेशक असमंजस में हैं और छोटे निवेशक बाजार की गिरावट से चिंतित हैं।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap