भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को एक बड़ा झटका तब लगा जब IndusInd Bank के शेयरों में 25% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट इतनी तेज थी कि बैंक के शेयर लोअर सर्किट तक पहुंच गए और इसका भाव 52 सप्ताह के सबसे निचले स्तर 674.55 रुपए पर आ गया।
निवेशक और बाजार विशेषज्ञों के लिए यह एक बड़ा झटका था, क्योंकि यह बैंक के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक थी। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे इंडसइंड बैंक के शेयरों को इतना नुकसान उठाना पड़ा?
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गड़बड़ी की शुरुआत कैसे हुई?
इस पूरे विवाद की जड़ बैंक के डेरिवेटिव्स अकाउंटिंग में गड़बड़ी से जुड़ी हुई है। बैंक की आंतरिक समीक्षा में यह पाया गया कि उसने विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) लेन-देन से जुड़ी जोखिम कम करने की प्रक्रिया, जिसे हेजिंग कहा जाता है, की लागत को गलत तरीके से आंका। इस गलती की वजह से बैंक को लगभग 1,600 से 2,000 करोड़ रुपए तक का संभावित नुकसान झेलना पड़ सकता है, जो कि उसके कुल नेट वर्थ का करीब 2.35% हिस्सा है।
यह मामला तब सामने आया जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सितंबर और अक्टूबर 2024 में डेरिवेटिव्स से जुड़े नए नियम लागू किए। जब बैंक ने इन नए नियमों के अनुसार अपने वित्तीय दस्तावेजों की समीक्षा की, तब यह गलती सामने आई। अंत में बैंक ने इस गड़बड़ी को स्वीकार करते हुए 10 मार्च 2025 को अपने एक्सचेंज फाइलिंग में इस जानकारी को सार्वजनिक किया।
निवेशकों का भरोसा क्यों टूटा?
इस खुलासे के तुरंत बाद ही निवेशकों में घबराहट फैल गई। पहले से ही बैंक का प्रदर्शन कमजोर माना जा रहा था और इस नई जानकारी ने निवेशकों का भरोसा और कमजोर कर दिया। बीते एक साल में इंडसइंड बैंक के शेयर पहले ही 42% तक गिर चुके थे, और इस नए झटके ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
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इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के मौजूदा CEO के कार्यकाल को तीन साल की बजाय सिर्फ एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया। इस फैसले ने यह संकेत दिया कि बैंक के ऊपरी मैनेज्मेन्ट में स्थिरता को लेकर भी सवाल हैं। इससे भी निवेशकों की चिंता बढ़ गई और वे तेजी से अपने शेयर बेचने लगे।
बाजार और बैंकिंग सेक्टर पर असर
इंडसइंड बैंक की इस गिरावट का असर पूरे बैंकिंग सेक्टर पर पड़ा। Nifty Bank Index में 0.7% की गिरावट आई, जबकि Nifty 50 भी 0.27% नीचे चला गया। इसका मतलब यह है कि केवल इंडसइंड बैंक ही नहीं, बल्कि अन्य बैंकिंग स्टॉक्स पर भी इस खबर का नकारात्मक प्रभाव पड़ा।