logo

ट्रेंडिंग:

4 की जगह अब 2 स्लैब; नए GST से सरकार को कितना नफा-नुकसान? समझिए गणित

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई GST काउंसिल की मीटिंग में GST में बदलाव को मंजूरी मिल गई है। केंद्र का कहना है कि इससे खपत बढ़ेगी। वहीं, राज्यों का कहना है कि इससे उनको घाटा होगा।

nirmala sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (Photo Credit: PTI)

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) अब पूरी तरह बदल गया है। पहले इसमें 4 स्लैब होते थे लेकिन अब 2 ही होंगे। पहले 5%, 12%, 18% और 28% की स्लैब थीं। अब सिर्फ 5% और 18% स्लैब ही होगी। इसके अलावा 40% की भी स्लैब होगी, जो सिगरेट-तंबाकू और लग्जरी आइटम्स पर लगेगा। GST की यह नई दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी। 


नए वाले GST से आम आदमी के रोजमर्रा के काम में इस्तेमाल होने वाली चीजें सस्ती हो जाएंगी। खाने-पीने के सामान से लेकर छोटी गाड़ियां और बीमा करवाना तक सस्ता हो जाएगा।


विपक्ष का कहना है कि नए GST से घाटा होगा। राज्यों ने केंद्र से मुआवजे की मांग की थी। हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि चीजें सस्ती होने से खपत बढ़ेगी और इससे घाटे की भरपाई हो जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि घाटे की भरपाई के लिए बीड़ी-सिगरेट और पान-तंबाकू पर 28% GST के साथ-साथ कंपनसेशन सेस भी लगेगा। 

 

यह भी पढ़ें-- रोटी-कपड़ा और मकान, तीनों सस्ते; नए वाले GST से क्या बदलेगा?

नुकसान पर सरकार का क्या है कहना?

सरकार ने GST में जो बदलाव किया है, उससे अब बहुत सारी चीजों पर टैक्स कम हो जाएगा। 


अब तक जिन चीजों पर 28% GST लगता था, अब उन पर 18% ही लगेगा। इसी तरह अब तक जिन चीजों पर 12% या 18% टैक्स लगता था, उन पर 5% GST लगेगा। वहीं, बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो पहले 5% GST के दायरे में आती थीं, उन पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।


रेवेन्यू सेक्रेटरी अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि इस बदलाव से 48 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने आगे कहा कि इसे 'रेवेन्यू लॉस कहना सही नहीं होगा।'


कम टैक्स का मतलब आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा होगा और वह ज्यादा खर्च करेगा, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 


सरकार का मानना है कि यह वित्तीय रूप से टिकाऊ होगा। उन्होंने कहा कि इससे बाजार में उछाल आएगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे किसी बड़े वित्तीय प्रभाव की उम्मीद नहीं है।

 

...लेकिन नुकसान तो होगा?

सरकार मान रही है कि टैक्स कम होने से पैसा आएगा और खर्चा बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। सरकार का यह भी मानना है कि ज्यादा खपत होगी और कुछ ही समय में इस घाटे की भरपाई हो जाएगी।


हालांकि, राज्यों का कहना है कि GST में बदलाव से रेवेन्यू का नुकसान होगा। GST काउंसिल की मीटिंग से पहले विपक्षी पार्टियों की सरकार वाले 8 राज्य- हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्रियों ने बैठक की थी। इन राज्यों का तर्क है टैक्स में फेरबदल से रेवेन्यू में कमी आएगी।


जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इससे उनका रेवेन्यू 10 से 12 फीसदी कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पहलगाम अटैक के कारण टूरिज्म सेक्टर पर बुरा असर पड़ा है। उन्होंने केंद्र से मदद की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम यह कैसे मान सकते हैं कि GST में सुधार से आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम हो जाएगा और उसके लिए चीजें किफायती हो जाएंगी।


झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्णा किशोर का कहना है कि GST में बदलाव से उनके राज्य को सालाना 2 हजार करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। 


उन्होंने दावा किया कि 2017 से 2024-25 तक 16,408 करोड़ का घाटा हुआ और 2029 तक यह बढ़कर 61,670 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कोयले और स्टील का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है लेकिन इसकी 75% से 80% खपत दूसरे राज्यों में होती है। इसलिए इससे मिलने वाले GST का फायदा उन राज्यों को हो जाता है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को सालाना कम से कम 2 हजार करोड़ की मदद करनी चाहिए।


इस मीटिंग के बाद आठों राज्यों ने एक साझा बयान जारी कर बताया था कि GST में बदलाव से सालाना 85 हजार करोड़ से 2 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान होने का अनुमान है।

 

यह भी पढ़ें-- अपनी कमाई राज्यों में क्यों और कैसे बांटती है केंद्र सरकार? समझिए गणित

 

कितना घाटा हो सकता है?

19 अगस्त को GST में सुधार से पड़ने वाले असर को लेकर SBI ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया था कि GST में बदलाव से सालाना 1.1 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।  


इसके लिए SBI ने कैलकुलेशन किया था। SBI ने रिपोर्ट में बताया था कि अभी सरकार को GST से 6% रेवेन्यू 5% वाली स्लैब से मिलता है। 5% रेवेन्यू 12% से, 74% रेवेन्यू 18% से और 15% रेवेन्यू 28% वाली स्लैब से आता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर को 100 रुपये GST से मिल रहा है तो उसमें से 6 रुपये 5%, 5 रुपये 12%, 74 रुपये 18% और 15 रुपये 28% वाली स्लैब से मिलता है। 


SBI ने अपनी रिपोर्ट में दो सिनेरियो बताए थे और इस हिसाब से नुकसान का अनुमान लगाया था। SBI ने बताया था कि अब चूंकि दो ही स्लैब होंगी और एक 40% टैक्स लग्जरी आइटम्स पर लगेगा, इसलिए अगर माना जाए कि सरकार को 11% रेवेन्यू 5% वाली स्लैब से और 84% रेवेन्यू 18% वाली स्लैब से और 5% रेवेन्यू 40% टैक्स से मिलता है तो इससे सालाना 1.1 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।

 


दूसरे सिनेरियो में यह नुकसान थोड़ा कम होगा। इसमें अनुमान लगाया गया था कि अगर सरकार को GST से मिलने वाला 11% रेवेन्यू 5% वाली स्लैब, 82% रेवेन्यू 18% वाली स्लैब और 7% रेवेन्यू 40% स्लैब से मिलता है तो इस स्थिति में सालाना 60 हजार करोड़ रुपये तक का घाटा हो सकता है। 


दोनों सिनेरियो के आधार पर SBI ने अनुमान लगाया था कि GST में बदलाव से सरकार को सालाना औसतन 85 हजार करोड़ रुपये तक का घाटा हो सकता है।

 

यह भी पढ़ें-- सबसे बड़ी इकॉनमी कैसे बनी इतनी कर्जदार? US पर बढ़ते कर्ज की कहानी

कैसे होगी इसकी भरपाई?

1 जुलाई 2017 को जब GST लागू किया गया था तो केंद्र सरकार ने राज्यों को मुआवजा देने का वादा किया था। यह मुआवजा राज्यों को 5 साल तक मिलना था। जून 2022 में इसकी मियाद पूरी हो गई थी। हालांकि, इसे सरकार ने 4 साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दिया।


GST लागू होने से राज्यों को होने वाली घाटे की भरपाई के लिए कंपनसेशन सेस लगाया था। यह कंपनसेशन सेस लग्जरी आइटम्स और पान-तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट जैसी चीजों पर लगता है। यह 1 से 290% तक होता है। इससे केंद्र को जो रेवेन्यू मिलता है, उसे राज्यों को बांटा जाता था।


अब जब GST में स्लैब 4 से घटाकर 2 कर दी है तो इससे राज्यों को घाटा होने का डर है। हालांकि, केंद्र सरकार कह रही है कि खपत बढ़ने से कुछ साल में घाटे की भरपाई हो जाएगी।


लेकिन केंद्र सरकार ऐसा कैसे कह रही है? दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था खपत पर बहुत ज्यादा निर्भर है। 2024-25 में देश की GDP में खपत का योगदान 61.4% था। अब सरकार को उम्मीद है कि टैक्स कम होने से लोग ज्यादा खर्च करेंगे जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नया GST लागू होने के दो साल बाद GDP में 0.5% की ग्रोथ हो सकती है।


SBI की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025-26 में सभी राज्यों को स्टेट GST यानी SGST से 10 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिल सकता है। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार से भी 4.1 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे।


केंद्र सरकार GST तो साझा करती ही है। इसके साथ-साथ अपने टैक्स का 41% भी राज्यों से साझा किया जाता है। SBI की रिपोर्ट कहती है कि GST का 50 फीसदी राज्यों को सीधा मिलता है। इसके अलावा केंद्र के टैक्स से 41% हिस्सा भी मिलता है। इस हिसाब से GST से मिलने वाले हर 100 रुपये में से राज्य सरकारों को सीधे-सीधे 70.5 रुपये मिलते हैं।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap