प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की यात्रा पर यूके पहुंच गए हैं। लंदन में भारतीयों ने पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया। यह प्रधानमंत्री मोदी का ब्रिटेन का चौथा दौरा है। कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी पहली बार यूके जा रहे हैं। यह दौरा इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी में भारत और यूके के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर साइन किए जाएंगे। इस एग्रीमेंट पर 6 मई को दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी।
पर यह FTA क्या होता है? असल में यह एक समझौता होता है, जिसे दो देश एक-दूसरे के बीच कारोबार को आसान बनाने के लिए करते हैं। इस समझौते के तहत, दोनों देश एक-दूसरे के प्रोडक्ट्स पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी, टैरिफ या टैक्स को कम करते हैं या खत्म करते हैं। भारत और यूके के बीच FTA को लेकर तीन साल से बात चल रही थी।
हाल ही में मोदी कैबिनेट ने FTA को मंजूरी दी थी। समझौते पर साइन के बाद इसे ब्रिटिश संसद से मंजूरी लेनी होगी। तब जाकर यह समझौता लागू होगा।
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इससे बदल क्या जाएगा?
- भारत के लिए: यूके में एक्सपोर्ट होने वाले भारत के 99% प्रोडक्ट्स पर कोई ड्यूटी नहीं लगेगी। इससे भारतीय सामान ब्रिटेन में सस्ता बिकेगा। टेक्सटाइल, फुटवियर, ऑटो कंपोनेंट, ज्वैलरी, फर्नीचर, खेल से जुड़े सामान, केमिकल और मशीनरी जैसे सेक्टर्स को फायदा होगा, क्योंकि अभी इन पर ब्रिटेन में 4% से 16% तक टैरिफ लगता है।
- यूके के लिए: ब्रिटेन के 90% सामान पर टैरिफ कम होगा। स्कॉच व्हिस्की और जिन पर इम्पोर्ट ड्यटी 150% से घटकर 75% हो जाएगी। अगले 10 साल में यह और कम होकर 40% होगी। यूके में बनी कार भारत लाने पर 100% टैरिफ लगता है, वह घटकर 10% हो जाएगा। इसके अलावा, यूके से आने वाले कॉस्मैटिक, चॉकलेट, बिस्किट और मेडिकल डिवाइस पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा।
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पर इससे लोगों को क्या फायदा होगा?
भारत और यूके के बीच हुए इस FTA से दोनों देशों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा। खासकर यूके में रहने वाले भारतीयों को। साथ ही भारत में ठेका लेने वाली यूके की कंपनियों को भी फायदा होगा।
इस समझौते के तहत, भारतीय योग इंस्ट्रक्टर, शेफ, म्यूजिशियन और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स को अस्थाई प्रवेश देगा। साथ ही ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल को अगले तीन साल सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशन देने से छूट मिलेगी। इससे सालाना 4 हजार करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है।
वहीं, ब्रिटिश कंपनियां भारत में 2 अरब रुपये तक के टेंडर में बोली लगा सकेंगी। ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि इससे सालाना 4 लाख करोड़ रुपये का टेंडर मिलेगा।
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डील को करने का मकसद क्या?
इस डील को करने का मकसद दोनों देशों के बीच होने वाले कारोबार को आसान बनाना है। इसके साथ ही दोनों के बीच 2030 तक 120 अरब डॉलर का कारोबार करने का टारगेट भी रखा गया है। अभी दोनों देशों के बीच करीब 20 अरब डॉलर का कारोबार होता है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 में भारत ने यूके को 14.5 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। वहीं, यूके से 8.6 अरब डॉलर का इम्पोर्ट हुआ था। 2023-24 की तुलना में भारत का एक्सपोर्ट 12.6% और इम्पोर्ट 2.3% बढ़ा था।
इससे पहले 2023-24 में दोनों देशों के बीच 21.34 अरब डॉलर और 2022-23 में 20.36 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।
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ब्रिटिश PM ने इसे 'बड़ी जीत' बताया
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने दोनों देशों के बीच हुए इस FTA को 'बड़ी जीत' बताया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच यह ऐतिहासिक समझौता रोजगार और विकास के लिए 'बड़ी जीत' है, क्योंकि टैरिफ में कटौती से कपड़े, जूते और खाने-पीने का सामान सस्ता होगा।
स्टार्मर ने कहा, 'भारत के ऐतिहासिक समझौता ब्रिटेन के लिए बड़ी जीत है। इससे पूरे ब्रिटेन में हजारों नौकरियां पैदा होंगी, कारोबारियों के लिए नए मौके बनेंगे और देश के हर कोने में विकास को गति मिलेगी।' उन्होंने कहा कि इस समझौते से ब्रिटिश नागरिकों की जेब में ज्यादा पैसा आएगा।
ब्रिटिश सरकार को उम्मीद है कि इस डील से उसकी GDP 56 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा तक बढ़ सकती है।