25 पर्सेंट महंगी हो गई नोटों की छपाई, एक साल में खर्च हो गए 6372 करोड़
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• DELHI 29 May 2025, (अपडेटेड 29 May 2025, 4:08 PM IST)
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय साल 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट में बताया है कि नोटों की छपाई में सालाना आधार पर होने वाला खर्च 25 प्रतिशत बढ़ गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo credit: PTI
किसी भी देश में करेंसी नोटों की छपाई में काफी खर्च करना पड़ता है। भारत में भी हर साल करेंसी नोटों की छपाई पर काफी खर्च किया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है जिसमें करेंसी नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च को भी बताया गया है। इस वित्तीय साल 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाला खर्च सालाना आधार पर 25 प्रतिशत तक बढ़ गया है। देश में नोटों की छपाई पर होने वाला खर्च 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया है। यह खर्च पिछले वित्तीय साल में 5,101.4 करोड़ रुपये था। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2024-25 वित्तीय साल के दौरान मार्केट में प्रचलन में मौजूद बैंक नोट का मूल्य 5 प्रतिशत और इनकी मात्रा 6 प्रतिशत बढ़ी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 वित्तीय साल में 500 रुपये के नोटों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया गया है। इस साल 500 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत (कुल मूल्य के हिसाब से) रही है यानी जितना भी नकद पैसा चलन में है, उसमें सबसे ज्यादा रकम 500 रुपये के नोटों के रूप में है। हालांकि, यह हिस्सेदारी पिछले साल की तुलना में थोड़ी कम हुई है। संख्या के हिसाब से (नोटों की कुल गिनती) 500 रुपये के नोट सबसे ज्यादा हैं और इनकी हिस्सेदारी 40.9 प्रतिशत रही। इसके बाद सबसे ज्यादा 10 रुपये के नोट रहे, जिनकी हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत रही। इसका अर्थ है कि रोजमर्रा के लेन-देन में छोटे नोटों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है।
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वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक रिपोर्ट
— ReserveBankOfIndia (@RBI) May 29, 2025
Annual Report for the Year 2024-25
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छोटे नोटों का ज्यादा इस्तेमाल
संख्या के हिसाब से प्रचलन में नोटों की संख्या में 10, 20 और 50 रुपये की हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही है। मई 2023 के बाद से 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करना शरू कर दिया गया था। जब 200 के नोटों को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा हुई उस समय प्रचलन में मौजूद 2000 रुपये के नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। 2000 रुपये के नोटों में 98.2 प्रतिशत नोट 31 मार्च 2025 तक बैंक सिस्टम में वापस आ गए। इसके अलावा सिक्के भी मुद्रा के रूप में प्रचलन में हैं। पिछले वित्तीय साल में प्रचलन में मौजूद सिक्कों का मूल्य 9.6 प्रतिशत बढ़ा है और इनकी संख्या में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ई-रुपी का इस्तेमाल भी मुद्रा के रूप में किया जाता है। 2024-25 वित्तीय साल में ई-रुपी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है और इनके कुल मूल्य में 334 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे पता चलता है की पारंपरिक नोटों और सिक्कों के साथ लोग अब डिजिटल लेन-देन की और बढ़ रहे हैं।
इस समय कौन-कौन से नोट चलन में हैं?
इस समय प्रचलन में मौजूद मुद्रा में तीन चीजें शामिल हैं। इसमें बैंक नोट, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) और सिक्के शामिल हैं। वर्तमान में दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट प्रचलन में हैं। सिक्कों की बात करें तो 50 पैसे और एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के प्रचलन में मौजूद हैं। इस रिपोर्ट में जाली मुद्रा के संबंध में भी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 वित्तीय साल में जितने भी नकली नोट पकड़े गए हैं उनमें 4.7 प्रतिशत नोट सीधे रिजर्व बैंक में पकड़े गए हैं।
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बड़े मूल्य के जाली नोट बढ़े
वित्तीय साल 2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग की बढ़ोतरी हुई है। बैंक नोट छापने के लिए अभी भी विदेशी तकनीक का इस्तेमाल बढ़े स्तर पर किया जाता है। इस बारे में रिजर्व बैंक ने कहा, 'नए बैंक नोट बनाने के लिए नई और उन्नत सुरक्षा विशेषताओं वाली प्रक्रिया को सक्रियतापूर्वक आगे बढ़ा रहे हैं। विदेशी स्त्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए पिछले कुछ सालों से बैंक नोट छापने के लिए स्वदेशीकरण पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'लगातार किए जा रहे प्रयासों से बैंक नोट छापने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी प्राथमिक कच्चे माल, यानी बैंक नोट के लिए कागज, सभी प्रकार की स्याही (ऑफसेट, नंबरिंग, इंटैग्लियो और रंग बदलने वाली इंटैग्लियो स्याही) और अन्य सभी सुरक्षा संबंधी चीजें अब घरेलू स्तर पर खरीदी जा रही हैं।'
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