जून के आखिरी हफ्ते में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सोने के भंडार में लगभग आधे टन की बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले पांच सालों में सोने की कीमत में 80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ ही भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। 18 जुलाई 2025 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 12.1% हो गई, जो पिछले साल 19 जुलाई 2024 को 8.9% थी। RBI के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून तक भारत का सोना भंडार 879.8 टन हो गया था, जो इसके ठीक एक हफ्ते पहले 879.6 टन था। इस दौरान RBI ने 4 क्विंटल सोना खरीदा।
सोना मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) यानी कि महंगाई से बचाव का एक सुरक्षित साधन माना जाता है। हाल के दिनों में कई बड़े संस्थानों ने सोने में अपना इन्वेस्टमेंट बढ़ाया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने लगातार तीन साल तक हर साल 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीदा है, जो पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है।
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ज्यादा रिटर्न दे रहा है सोना
RBI की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत में रिज़र्व मैनेजमेंट के दो मुख्य लक्ष्य हैं - सिक्युरिटी और लिक्विडिटी। लेकिन इस दौरान रिटर्न को भी ध्यान में रखा जाता है।' सोना भारत में सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले निवेशों में से एक है, लेकिन RBI अपने सोने के भंडार को बेचता नहीं है।
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तुर्की के बाद भारत का स्थान
WGC के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में भारत में सोने ने करीब 26% रिटर्न दिया। इस मामले में केवल तुर्की ने भारत को पीछे छोड़ा, जहां सोने ने 40% से ज्यादा रिटर्न दिया। भारत का सोने का रिटर्न पाउंड स्टर्लिंग, जापानी येन, यूरो और चीनी रेन्मिन्बी जैसी प्रमुख मुद्राओं से बेहतर रहा, भले ही चीन सोने का एक बड़ा उपभोक्ता है।
सोने की बढ़ती कीमत और इसकी मांग भारत के लिए आर्थिक स्थिरता का एक मजबूत संकेत है। RBI का यह कदम देश की आर्थिक नीति को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।