रूस और भारत के बीच तेल को लेकर बड़ा समझौता हुआ है। तेल कंपनी रोसनेफ्ट हर साल 5,00,000 बैरल कच्चा तेल ऑयल रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस को बेचेगा। यह दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा ऊर्जा समझौता है। रोसनेफ्ट और रिलायंस के बीच यह समझौता अगले 10 साल के लिए हुआ है। इस प्रोजेक्ट पर हर साल करीब 13 अरब रुपये खर्च होंगे।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक एक तरफ जहां रूस से दोस्ती जारी रखने की सजा अमेरिका के कई देशों को दे रहा है, वहीं भारत ने यह बड़ा प्रोजेक्ट हासिल किया है। पश्चिमी देश पहले ही रूस से दोस्ती को लेकर प्रतिबंध लगाने की बात कहते रहे हैं।
रिलायंस की ऑयल मार्केटिंग पूरी दुनिया में फैली हुई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले ही यह समझौता हो गया है। रूस भारत का अहम रणनीतिक भागीदार रहा है। जो बाइडेन की तुलना में डोनाल्ड ट्रम्प का रवैया रूस के प्रति इतना आक्रामक नहीं रहा है। उन्होंने कहा है कि वे बातचीत के जरिए रूस पर दबाव बनाएंगे कि यूक्रेन से वह पीछे हट जाए। ऐसे में उम्मीद है कि इस समझौते पर जब ट्रम्प सत्ता संभालेंगे तो कोई कड़ा फैसला नहीं लेंगे।
रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा निर्यातक है। रूस पेट्रोलियम, गैस और एनर्जी का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारत यूरोपियन यूनियन के बाद रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है। जब रूस ने साल 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था, तभी से ही यूरोपियन यूनियन ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जिसके बाद अब भारत सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
क्या भारत पर भी लगा है जुर्माना?
भारत अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करता है। विदेश मंत्रालय की ओर से कई बार साफ-साफ कहा जा चुका है कि भारत दुनिया के हर देश के साथ बेहतर संबंध रखेगा, अपने व्यापारिक हितों का ध्यान रखेगा। ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत ने बिना डरे कहा है कि वह दुनिया के किसी भी देश के साथ व्यापार अपनी शर्तों पर करेगा। अभी तक रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर किसी देश ने प्रतिबंध नहीं लगाया है।
अरब देशों पर भी पड़ेगा असर
रूस सबसे सस्ती दरों पर भारत को तेल देता है। रूस 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल बेचता है। भारतीय रुपये में इसकी कीमत 339.4 रुपये प्रति बैरल है। भारत और रूस के बीच रक्षा से लेकर ऊर्जा सेक्टर तक मजबूत समझौता है, जो दशकों से चला आ रहा है। रिलायंस और रोसनेफ्ट के इस समझौते का असर कुछ देशों पर पड़ सकता है। भारत अरब से भी तेल खरीदता है। तेल उत्पादकों के बीच भारत को लेकर प्रतिस्पर्धा रही है।

तेल का सबसे बड़ा बाजार बन रहा भारत!
विशाल आबादी की वजह से धीरे-धीरे तेल का सबसे बड़ा बाजार हिंदुस्तान ही बन गया है। यह तेजी से उभरता ऊर्जा बाजार है। रोसनेफ्ट करीब 20 से 21 विशाल कार्गो के जरिए तेल सप्लाई करेगा। इन कार्गो का वजन करीब 80,000 से 10,000 मीट्रिक टन होगा। जामनगर में ये खेप आएगी। यहीं रिलायंस का रिफाइनिंग कॉमप्लेक्स है, जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स है। साल 2024 में ही रिलायंस और रोसनेफ्ट के बीच 30 लाख बैरल क्रूड प्रति माह का एक समझौता हुआ था। मध्यस्थों के जरिए यह कंपनी पहले भी रिलायंस को तेल बेचती रही है।