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20-20% हिस्सेदारी, 24000 करोड़ का निवेश; सऊदी अरामको का प्लान क्या है?

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको अब भारत आने वाली है। बताया जा रहा है कि कंपनी ने भारत की दो सरकारी कंपनियों- ONGC और BPCL की नई रिफाइनरी में 20-20% हिस्सेदारी खरीद ली है।

Saudi Aramco

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Saudi Aramco)

सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको अब भारत में एंट्री करने जा रही है। इसके लिए कंपनी भारत की दो तेल कंपनियों- ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) की रिफाइनरी में हिस्सेदारी ले रही है। यह दोनों ही सरकारी कंपनियां हैं।


फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ONGC और BPCL दोनों ही नई रिफाइनरी खोलने जा रही हैं। इस रिफाइनरी में 20-20% हिस्सेदारी अरामको ने खरीद ली है। हालांकि, अभी आधिकारिक ऐलान होना बाकी है। अरामको दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल एक्सपोर्टर कंपनियों में से एक है। अरामको कई सालों से भारत में आने की तैयारी कर रही थी। 2018 में अरामको की रिलायंस इंडस्ट्रीज से भी बात चल रही थी। हालांकि, बाद में यह डील नहीं हो सकी।


बताया जा रहा है कि ONGC और BPCL में हिस्सेदारी खरीदने की इस डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब दौरे पर लग गई थी।

 

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क्या है अरामको का प्लान?

रिपोर्ट के मुताबिक, ONGC गुजरात में तो BPCL आंध्र में नई रिफाइनरी खोलने जा रही हैं। बाहर से आना वाला कच्चा तेल रिफाइनरी में ही प्रोसेस होता है और उससे ही पेट्रोल-डीजल बनता है। 


ONGC और BPCL की यह दोनों रिफाइनरी 1 लाख करोड़ रुपये में सेटअप की जाएगी। पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद इन रिफाइनरी से सालाना 1.2 करोड़ टन कच्चे तेल को प्रोसेस किया जा सकेगा।


अब सऊदी अरब की कंपनी अरामको इन दोनों रिफाइनरी में शुरुआत में 2.8 अरब डॉलर (24,000 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी। इससे कंपनी को दोनों रिफाइनरी की 20-20% हिस्सेदारी मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि आगे चलकर अरामको इन रिफाइनरी में 5 अरब डॉलर तक का निवेश करने की तैयारी कर रही है।

 

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इस सबसे हासिल क्या होगा?

इससे न सिर्फ अरामको को बल्कि भारत को भी फायदा होगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बनना चाहता है। भारत ऐसे समय में अपनी प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, जब पश्चिमी देश इसे घटा रही हैं। ऐसे में अरामको की मदद से भारत को रिफाइनरी बनाने में मदद मिलेगी।


सऊदी अरब ने अगले कुछ सालों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। अरामको की यह डील उसी वादे का एक हिस्सा है। अरामको भी लंबे समय से भारत आने की तैयारी कर रही थी। 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिफाइनरी में 15 अरब डॉलर में 20% हिस्सेदारी खरीदी थी। हालांकि, बाद में यह डील रद्द हो गई थी।


अब जब ONGC और BPCL नई रिफाइनरी खोलने जा रही हैं, तो ऐसे में अरामको ने 20-20% हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेश किया है। 

अरामको को एक फायदा यह भी होगा

भारत में अरामको इसलिए भी आना चाहती है, ताकि उसके कच्चे तेल का निर्यात बढ़ सके। अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है। पहले भारत अपनी जरूरत का सबसे ज्यादा कच्चा तेल सऊदी अरब से ही खरीदता था। मगर अब रूस से खरीद रहा है। 


भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां तेल की सबसे ज्यादा खपत होती है। ऐसे में अरामको के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है। अगर अरामको यहां रिफाइनरी खोलने में मदद करता है तो कच्चे तेल का निर्यात भी बढ़ सकता है। 


इतना ही नहीं, सऊदी से मिलने वाले कच्चे तेल को रिफाइनरी में प्रोसेस किया जाएगा और इसे फिर दुनियाभर में निर्यात किया जाएगा। इससे भारत का पेट्रोल-डीजल निर्यात भी बढ़ेगा।

 

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कितनी बड़ी कंपनी है अरामको?

अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है। इसकी मार्केट कैप 1.8 ट्रिलियन डॉलर है। मार्केट कैप के लिहाज से यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी कंपनी है। अरामको में 75 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।


इस कंपनी को 1933 में शुरू किया गया था। तब इसमें अमेरिका की भी हिस्सेदारी थी। कंपनी का फुल फॉर्म अरब अमेरिकन ऑयल कंपनी है। 1980 में सऊदी सरकार ने इस कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीद ली। इससे इसका नाम सऊदी अरामको हो गया। 


कंपनी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, अभी अरामको में 81.48% हिस्सेदारी सरकार की है। 16% हिस्सेदारी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) की है। इन्वेस्टमेंट के लिए यह फंड भी सरकार ने ही बनाया है। इसकी 2.46% शेयर ही पब्लिक हैं। 


सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में अरामको को 106.2 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था। भारतीय करंसी में यह रकम करीब 9 लाख करोड़ रुपये होती है। 2023 की तुलना में कंपनी का मुनाफा कम हुआ था। 2023 में 121 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था। कंपनी ने 2024 में 53 अरब डॉलर से ज्यादा कैपिटल इन्वेस्टमेंट किया था।

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