भारत से एयरलिफ्ट हुए 15 लाख iPhone, Apple के लिए इतने जरूरी क्यों हैं?
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• NEW DELHI 11 Apr 2025, (अपडेटेड 12 Apr 2025, 6:15 AM IST)
ट्रंप के टैरिफ अटैक के बीच Apple ने iPhones का स्टॉक करना शुरू कर दिया है। मार्च के बाद से अब तक भारत से लगभग 15 लाख iPhones अमेरिका जा चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह iPhones फ्लाइट से अमेरिका भेजे गए हैं। ऐसे में जानते हैं कि Apple के लिए यह iPhones इतने जरूरी क्यों है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: @theapplehub)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने अमेरिकी कंपनी Apple की ही मुसीबत बढ़ा दी है। ट्रंप ने भले ही भारत समेत 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ पर 90 दिन का ब्रेक लगा दिया हो लेकिन चीन पर इसे बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसने Apple की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि दुनियाभर में सबसे ज्यादा iPhone 'मेड इन चाइना' ही होते हैं। लिहाजा, टैरिफ बढ़ने से iPhone महंगे न हो जाएं या मुनाफा न कम हो जाए, इसके लिए Apple ने तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि Apple ने 600 टन iPhone भारत से एयरलिफ्ट कर लिए हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ट्रंप के टैरिफ से बचने के लिए Apple ने 15 लाख iPhones भारत से एयरलिफ्ट कर लिए हैं। करीब 600 टन वजनी 15 लाख iPhones को लेकर यह चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट चेन्नई एयरपोर्ट से उड़ीं हैं।
चीन के अलावा, iPhones की मैनुफैक्चरिंग भारत में भी होती है। भारत पर ट्रंप ने 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था। हालांकि, फिलहाल इस पर तीन महीने की रोक लगा दी है। ऐसे में Apple ज्यादा से ज्यादा iPhones का स्टॉक करना चाहता है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी को बताया, Apple इस टैरिफ को मात देना चाहता है।
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अब तक 6 फ्लाइट लेकर जा चुका है Apple
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मार्च के बाद से अब तक Apple कम से कम 6 कार्गो फ्लाइट चेन्नई से अमेरिका ले जा चुका है। हर फ्लाइट में 100 टन का वजन था। इसी हफ्ते एक और फ्लाइट iPhone लेकर अमेरिका पहुंची है। इनमें iPhone 14 सीरीज के मॉडल्स और उनकी चार्जिंग केबल हैं।
बताया जा रहा है कि Apple ने इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटीज से चेन्नई एयरपोर्ट पर जल्द से जल्द कस्टम क्लियर करने की अपील की थी। पहले एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस में कम से कम 30 घंटे लगते थे लेकिन अब 6 घंटे में ही क्लियरेंस मिल जा रहा है। यह एक तरह से 'ग्रीन कॉरिडोर' की तरह है, ताकि कम समय में ज्यादा से ज्यादा कार्गो फ्लाइट अमेरिका जा सकें।
Apple हर साल दुनियाभर में लगभग 22 करोड़ से ज्यादा iPhones बेचता है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, इनमें से करीब 20% iPhones भारत से इम्पोर्ट होते हैं, जबकि बाकी चीन से आते हैं।
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मगर ऐसा क्यों कर रहा है Apple?
दरअसल, ट्रंप ने दुनियाभर पर अटैक कर दिया है। Apple भले ही अमेरिकी कंपनी है, लेकिन उसकी ज्यादातर मैनुफैक्चरिंग चीन, भारत और ताइवान में होती है। अब टैरिफ लगने की वजह से Apple को इन iPhones को अमेरिका लाने में पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इससे या तो iPhone महंगा होगा या फिर उसका मुनाफा। Apple इन दोनों से ही बचना चाहता है।
अभी ट्रंप ने भारत पर लगाए टैरिफ पर थोड़ी छूट दे दी है। अभी तो फिलहाल यह छूट 90 दिन की है लेकिन अगर उसके बाद 26% टैरिफ लगता है तो भारत से iPhone ले जाने के लिए भी Apple को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसलिए वह अभी से ही अमेरिका में iPhones का स्टॉक करके रख रहा है।
iPhone के सबसे बड़े सप्लायर में से एक Foxconn की एक फैक्ट्री चेन्नई में है। इस फैक्ट्री में पिछले साल iPhone 15 और 16 की 2 करोड़ से ज्यादा यूनिट्स बनी थीं। कंपनी से जुड़े सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया है कि फैक्ट्री में रविवार को भी काम हो रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा iPhones बन सकें। Foxconn ने इस साल जनवरी में 77 करोड़ डॉलर और फरवरी में 64.3 करोड़ डॉलर के iPhones अमेरिका में एक्सपोर्ट किए हैं। यह आंकड़ा पिछले कुछ महीनों से कहीं ज्यादा है। कस्टम डेटा के मुताबिक, पिछले साल के आखिरी 4 महीने में Foxconn ने हर महीने 11 से 33 करोड़ डॉलर के बीच एक्सपोर्ट किया था।
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लेकिन iPhone की इतनी चिंता क्यों?
ऐसे में सवाल उठता है कि Apple तो और भी प्रोडक्ट्स बनाता है लेकिन उसे सबसे ज्यादा चिंता iPhones की क्यों है? तो इसका जवाब है iPhone की बिक्री से होने वाली कमाई। Apple की आधे से ज्यादा कमाई iPhones से ही होती है।
SEC फाइलिंग में Apple ने बताया था कि 2024 में उसका कुल रेवेन्यू 391.03 अरब डॉलर का रेवेन्यू पैदा किया था। इसमें से 201.18 अरब डॉलर का रेवेन्यू iPhones की बिक्री से आया था। भारतीय करंसी में यह रकम 17.30 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती है।
Apple के मुताबिक, 2024 में उसके 391 अरब डॉलर के रेवेन्यू में से करीब 30 अरब डॉलर Mac, 27 अरब डॉलर iPad और 37 अरब डॉलर वियरेबल्स या दूसरी एसेसरिज की बिक्री से आया था। इसके अलावा 96 अरब डॉलर का रेवेन्यू सर्विसेस से मिला था।
Apple की सबसे ज्यादा कमाई अमेरिका में होती है। अमेरिका से कंपनी ने 167 अरब डॉलर का रेवेन्यू कमाया था। इसके बाद यूरोप से उसे 101 अरब डॉलर का रेवेन्यू मिला था। वहीं, चीन से 66 अरब डॉलर और चीन से 25 अरब डॉलर का रेवेन्यू आया था। बाकी एशियाई देशों में बिक्री से उसे 30 अरब डॉलर का रेवेन्यू मिला था।
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Apple के लिए इसलिए जरूरी है स्टॉक करना
Apple का सबसे बड़ा मार्केट अमेरिका ही है। अमेरिका में iPhones का मार्केट शेयर 60% के आसपास है। हालांकि, अमेरिका से Apple को अपने कुल रेवेन्यू का 43% के आसपास मिलता है। 2024 में Apple को अमेरिका में बिक्री से 167 अरब डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू आया था।
अब यहां Apple के लिए स्टॉक रखना इसलिए जरूरी हो जाता है, क्योंकि सबसे ज्यादा iPhone अमेरिका में ही बिकते हैं। अमेरिका में iPhones भले ही सबसे ज्यादा बिकते हों लेकिन यहां एक भी iPhone नहीं बनता है। अमेरिका में यह iPhone चीन, भारत और ताइवान से आते हैं। लिहाजा, मार्केट शेयर कम न हो और बिक्री न गिरे, इसके लिए iPhone का स्टॉक होना बहुत जरूरी है।
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iPhones महंगे होने का है डर!
ट्रंप के टैरिफ की वजह से iPhones की कीमतें बढ़ने का डर भी सता रहा है। हाल ही में रोजेनब्लाट सिक्योरिटीज ने अनुमान लगाया था कि अगर बढ़े टैरिफ का बोझ Apple अगर लोगों पर डालता है तो इससे iPhone की कीमतें 43% तक बढ़ सकती हैं।
अमेरिका में iPhone 16 के सबसे सस्ते मॉडल की कीमत 799 डॉलर है। अनुमान है कि टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर पड़ता है तो इससे iPhone की कीमत 1,142 डॉलर तक पहुंच सकती है। वहीं, सबसे महंगे iPhone 16 Pro Max की कीमत अभी 1,599 डॉलर है और इसकी कीमत भी 43% तक बढ़कर 2,300 डॉलर पर पहुंच सकती है।
इसी साल फरवरी में Apple ने सस्ते फोन के रूप में iPhone 16e को लॉन्च किया था। अमेरिका में इसकी कीमत 599 डॉलर है। अगर मान लिया जाएगा कि यह भी 43% तक महंगा हो जाएगा तो इसकी कीमत 856 डॉलर तक पहुंच सकती है।
ऐसे में अगर iPhones की कीमत बढ़ती है तो इसकी बिक्री पर असर पड़ सकता है। पिछले कुछ साल में iPhones की बिक्री में थोड़ी गिरावट भी आई है, जिसका असर उसके रेवेन्यू पर भी पड़ा है। 2022 की तुलना में 2024 में iPhones की बिक्री से होने वाली कमाई 2 फीसदी कम हो गई है। 2022 में Apple को iPhones की बिक्री से 205 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई हुई थी।
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