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क्या है स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड, म्युचुअल फंड से कैसे है अलग?

सेबी 1 अप्रैल 2025 से स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड लाने वाला है जो कि इन्वेस्टर्स को एक नया विकल्प उपलब्ध कराएगा। जानें इसके बारे में सब कुछ।

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

मार्केट रेग्युलेटर सेबी एक नया स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड शुरू करने वाला है जो कि म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट  (पीएमएस) के बीच का काम करेगा। यह इन्वेस्टर्स को निवेश करने के ज्यादा बेहतर अवसर प्रदान करेगा। यह नया फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा।

 

सेबी का मानना है कि म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम्स के बीच अंतर पैदा हो गया है। इस अंतर को पाटने के लिए सेबी (म्युचुअल फंड) विनियम 1996 को संशोधित किया गया है। इसके जरिए निवेशकों को इक्विटी, डेट और हाइब्रिड जैसी विभिन्न रणनीतियों में निवेश का मौका देगा।

 

यह उनके लिए काफी बेहतर अवसर होगा जो म्युचुअल फंड की तुलना में ज्यादा फ्लेक्सिबिल और पीएमएस की तुलना में कम जोखिम भरे विकल्प चाहते हैं।

 

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दरअसल, म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए बहुत ही कम राशि की जरूरत होती है। जैसे कि तमाम म्युचुअल फंड में मात्र 100 रुपये से निवेश किया जा सकता है जबकि पीएमएस में निवेश करने करने की न्यूनतम राशि 50 लाख रुपये है। जबकि म्युचुअल फंड में इन्वेस्टर को 10 लाख रुपये से निवेश करने की छूट होगी।

 

क्या है नियम 

सेबी के नियमों के तहत रजिस्टर्ड कोई भी म्यूचुअल फंड एसएफआई को रजिस्टर कर सकता है, बशर्ते कि फंड कम से कम तीन वर्षों से चल रहा हो तथा पिछले तीन वर्षों में उसका एसेट अंडर मैनेजमेंट(एयूएम) 10,000 करोड़ रुपये हों, अथवा ऑल्टरनेट रूट से ऐसा किया जा सकता हो।

 

इसके अलावा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर को नियुक्त करना होगा जिसके पास 5 हजार करोड़ का एसेट मैनेज करने का कम से कम 10 साल का अनुभव हो। साथ ही एक फंड मैनेजर को भी नियुक्त करना होगा जिसे कम से कम तीन वर्ष तक 500 करोड़ रुपये मैनेज करने का अनुभव हो।

 

क्या हैं गाइडलाइन्स

म्युचुअल फंड को एसआईएफ से अलग करने के लिए सेबी ने अनिवार्य किया है कि उसे एसआईएफ के लिए अलग से ब्रांड आईडेंटिटी बनानी होगी। हालांकि, इसमें स्पॉन्सर का ब्रांड नाम यूज़ किया जा सकता है लेकिन उसे 'ब्रॉट टू यू बाय' या 'ऑफर्ड बाय' साफ-साफ यूज करना होगा।

 

इसके अलावा एसआईएफ की अपनी अलग से वेबसाइट होनी चाहिए ताकि रेग्युलर म्युचुअल फंड के साथ कन्फ्यूजन पैदा न हो।

 

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क्या होगी इन्वेस्मेंट स्ट्रैटजी

एसआईएफ इक्विटी, डेट और हाइब्रिड एसेट क्लास में मल्टिपल इन्वेस्टमेंट की का ऑप्शन देगा।  इक्विटी में भी लॉन्ग-शॉर्ट फंड, एक्विटी एक्स-टॉप 100 लॉन्ग-शॉर्ट फंड और सेक्टर रोटशन लॉन्ग-शॉर्ट फंड होंगे।

 

इक्विटी लॉन्ग-शॉर्ट फंड में, इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इन्सट्रूमेंट में न्यूनतम निवेश 80% होगा और इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इन्स्ट्रूमेंट में अनहेज्ड डेरिवेटिव पोजीशन के माध्यम से अधिकतम शॉर्ट एक्सपोजर 25% होगा।

 

इक्विटी एक्स-टॉप 100 लॉन्ग-शॉर्ट फंड में, मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर शीर्ष 100 शेयरों को छोड़कर इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इन्स्ट्रूमेंट में न्यूनतम निवेश 65% होगा और लार्जकैप शेयरों के अलावा अन्य इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इन्स्ट्रूमेंट में अनहेज्ड डेरिवेटिव पोजीशन के माध्यम से अधिकतम शॉर्ट एक्सपोजर 25% होगा।

 

इसी तरह, डेट (Debt) में इन्वेस्टमेंट की दो स्ट्रैटेजी होंगी - डेट लॉन्ग-शॉर्ट फंड और सेक्टोरल डेट लॉन्ग-शॉर्ट फंड। हाइब्रिड में भी दो इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी होगी - हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट फंड और हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट फंड।

 

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कितना होगा न्यूनतम इन्वेस्टमेंट

एसआईएफ में कोई भी न्यूनतम इन्वेस्टमेंट 10 लाख रुपये तक का कर सकेगा, जिसे पैन स्तर पर सभी निवेश रणनीतियों में बनाए रखा जाना चाहिए। इसके अलावा एएमसी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन भी उपलब्ध करा सकता है, जिसमें सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, सिस्टमेटिक विड्रॉल प्लान और सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान शामिल होगा। 

 

एएमसी इस बात को सुनिश्चित करेगा कि इन्वेस्टर की कुल इन्वेस्टमेंट वैल्यू न्यूनतम इन्वेस्टमेट वैल्यू से नीचे न गिरे।



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