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बांग्लादेश के उत्पादों पर नई पाबंदियां, मुनाफे का सौदा क्यों? समझिए

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक नियम अब बदल गए हैं। भारत ने कुछ सामानों को लैंड पोर्ट से प्रतिबंधित किया है। इनका असर क्या होगा, आइए समझते हैं।

India Bangladesh Trade

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Social Media)

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों में बदलाव हुए हैं। अब बांग्लादेश से आने वाले फल, प्रोसेस्ड फूड, कॉटन, प्लास्टिक और लकड़ी के फर्नीचर उत्तर-पूर्व के लैंड पोर्ट से नहीं आ सकेंगे। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से नए प्रतिबंधों का ऐलान हुआ है। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड(DGFT) ने इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है। बांग्लादेश के रेडीमेड गारमेंट को सिर्फ जवाहर पोर्ट और कोलकाता पोर्ट के जरिए ही लाया जा सकेगा। सभी स्थलीय बंदरगाह अब रोके जा रहे हैं। 

बांग्लादेश ने हाल ही में भारतीय सूती धागे, चावल और अन्य वस्तुओं पर अपने कर नियमों में कुछ बदलाव किया था, जिसके बाद भारत सरकार ने नए दौर के प्रतिबंध लागू किए हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक रिश्ते 6 अगस्त 2024 के बाद से ही प्रभावित हैं। बांग्लादेश ने भारत के सामानों पर ऊंचे ट्रांजिट फीस लगाए और अपने बाजरों तक भारतीय उत्पादों की पहुंच सीमित कर दी। पूर्वोत्तर के राज्यों को सिर्फ कृषि उत्पाद बेचने की ही इजाजत दी गई। ऐसे में भारत ने भी अपने व्यापारिक नियमों में बदलाव करने की ठान ली। 

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यह भारत के लिए फायदेमंद क्यों हो सकते हैं, आइए समझते हैं- 

बांग्लादेश के चर्चित ब्रान्ड जो भारत में पसंद किए जाते हैं
भारत बांग्लादेश से फल, प्रोसेस्ड फूड, कॉटन, प्लास्टिक, और लकड़ी के उत्पाद आयात करता है। बांग्लादेशी आम और लीची भी भारत में खूब बिकते हैं। प्रोसेस्ड फूड में 'प्रान' जूस, स्नैक्स, प्रान कोला जैसे ब्रान्ड भारत में बिकते हैं। ACI मसाले और हक जैसे ब्रान्ड भी चर्चा में रहे हैं। कॉटन और रेडीमेड गारमेंट्स में आरोंग और येलो जैसे ब्रान्ड सुर्खियों में रहते हैं। कुछ कपड़ो थोक बाजारों में बिकते हैं। रफीक प्लास्टिक और प्लास्टिक के कंटेनर खूब बिकते हैं, जो पूर्वोत्तर में लोकप्रिय हैं। लकड़ी के फर्नीचर में हातिल और ओटो जैसे ब्रांड्स खरीदे जाते हैं। 

नए प्रतिबंधों का असर क्या होगा?
नए प्रतिबंधों की वजह से अब कोलकाता पोर्ट और मुंबई पोर्ट के रास्ते ही व्यापार होगा। अब बांग्लादेश के लिए भारत में कारोबार की राह मु्श्किल होगी।

बांग्लादेश को घाटा कितना हो सकता है?
ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए प्रतिबंधों की वजह बांग्लादेश के साथ करीब 6 हजार 500 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित होगा। बांग्लादेश पर लगे प्रतिबंधों की वजह से 77 करोड़ डॉलर के सामानों की डिलीवरी रुकेगी। यह भारत-बांग्लादेश के कुल आयात का 42 फीसदी हिस्सा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के निर्देश पर ये पाबंदियां लगाई हैं। 

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किन वजहों से लगी थी रोक?

बांग्लादेश के नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने भारत से सूत के आयात पर रोक लगा दी थी। फैसले के बाद भारत का सूत केवल समुद्री रास्ते से ही बांग्लादेश जा सकता था। बांग्लादेश ने कई औद्योगिक उत्पादों पर रोक लगा दी थी, कृषि को छोड़कर व्यापारिक उत्पादों के लिए राहें बंद कर दी थी। भारत के लिए व्यापारिक नजरिए से यह बेहद महंगा पड़ता है। जवाब में भारत ने बांग्लादेश के कपड़ों पर जमीनी मार्ग से आयात बंद कर दिया। 

बांग्लादेश को क्या घाटा होगा?

  • बांग्लादेश के कपड़ा निर्यात को बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि भारत उसका अहम बाजार है।
  • जमीन के रास्ते व्यापार रुकने से दोनों देशों के बीच व्यापार लागत बढ़ सकती है।

पूर्वोत्तर के लिए मुनाफे का सौदा क्यों है?

भारत ने पूर्वोत्तर के सभी लैंड कस्टम स्टेशन (LCS) और इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) पर कुछ सामानों के आयात पर रोक लगा दी है। असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, और उत्तरी पश्चिम बंगाल का एक बड़ा हिस्सा, बांग्लादेशी उत्पादों को खरीदता है। बांग्लादेश ने अपनी सीमा पर पाबंदियां लगाई हैं। बांग्लादेश तो आसानी से अपने उत्पाद भारत में बेच रहा था लेकिन भारतीय उत्पादों के बिकने की राह वहां आसान नहीं थी। पूर्वोत्तर के स्थानीय उत्पाद और औद्योगिक सामान बांग्लादेश में नहीं बिक पाते।

 

बांग्लादेश ने केवल कृषि उत्पादों की खरीदारी की इजाजत दी है। ऐसे में भारत तो वहां से सामान खरीद रहा था लेकिन बेच नहीं पाता था। भारत को व्यापारिक नुकसान हो रहा था। बांग्लादेशी उत्पादों का दबदबा स्थानीय बाजार में था, जिसकी वजह से पूर्वोत्तर के उत्पादों के लिए जमीन सिमट रही थी। नई पाबंदियों की वजह से स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है। बांग्लादेश भारत की तुलना में सस्ते सामान बेच रहा था, जिसकी वजह से भारतीय उत्पादों की अनदेखी हो रही थी। अब भारतीय उत्पादों के लिए नया अवसर बन सकता है। 

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नए नियमों का असर क्या?
बांग्लादेश में निर्मित रेडीमेड कपड़े, अब असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और उत्तरी पश्चिम बंगाल के लैंड कस्टम स्टेशन और चेक पोस्ट से भारत नहीं आ सकेंगे। बांग्लादेश के 77 करोड़ डॉलर के रेडीमेड कपड़े अब केवल कोलकाता और न्हावा शेवा समुद्री बंदरगाहों से ही आयात हो सकेंगे।


भारत और बांग्लादेश का व्यापार कैसा है

बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट www.mea.gov.in के मुताबिक साल 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 15.9 अरब डॉलर का है। बांग्लादेश हर साल भारत को करीब 2 अरब डॉलर का सामान बेचता है। साल 2023 में 1.11 लाख करोड़ का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ है। भारत 94 हजार करोड़ का एक्सपोर्ट बांग्लादेश को करता है। बांग्लादेश से भारत में इंपोर्ट 17 हजार करोड़ रुपये का है। 

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बांग्लादेश और भारत के बीच कैसा है कपड़ों का व्यापार

           बांग्लादेश से भारत की खरीद

  • बांग्लादेश भारत को हर साल लगभग 5,880 करोड़ रुपये के रेडीमेड कपड़े बेचता है।
  • टेक्सटाइल और कपड़ों की कुल खरीद लगभग 2,822 करोड़ रुपये की है।

    भारत से बांग्लादेश को बिक्री
  • भारत बांग्लादेश को लगभग 18,900 करोड़ रुपये के टेक्सटाइल और कपड़े बेचता है।
  • अप्रैल-अक्टूबर 2021 में भारत ने लगभग 17,640 करोड़ रुपये का कपास और सूत बेचा।

(आंकड़े: www.ibef.org)

नए फैसलों की इनसाइड स्टोरी
भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध दोनों नाजुक दौर में हैं। मोहम्मद युनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा है। 2009 से 2024 तक शेख हसीना के शासन में भारत और बांग्लादेश ने मिलकर लैंड पोर्ट्स को बेहतर व्यापार के लिए तैयार किया था। नवंबर 2024 में भारत और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कुछ लैंड पोर्ट्स को 24 घंटे खोलने पर बात शुरू की थी। इस पर अमल नहीं हो सका। 

बांग्लादेश की नई सरकार लोकतांत्रिक नहीं है, आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही है। मोहम्मद युनुस भारत की जगह चीन से कूटनीतिक संबंध बेहतर करना चाहते हैं। उन्होंने अपने चीन दौरे पर कहा था कि पूर्वोत्तर के राज्य हर तरफ जमीन से घिरे हैं, समुद्र तक पहुंच ही नहीं है। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश को इस इलाके में समंदर का एकमात्र संरक्षक है।

पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों ने इसकी आलोचना की थी। मोहम्मद युनुस ने नेपाल के डिप्टी स्पीकर से भी कहा था कि वह पूर्वोत्तर भारत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को मिलाकर क्षेत्रीय विकास चाहते हैं। भारत को लगता है कि ये बयान और बांग्लादेश का चीन की ओर झुकाव ठीक नहीं है। भारत चाहता है कि बांग्लादेश कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करे।

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