1 मिनट के लिए भी ठप हो UPI तो क्या होता है असर? समझें पूरा गणित
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• NEW DELHI 15 Apr 2025, (अपडेटेड 15 Apr 2025, 6:39 AM IST)
पिछले 20 दिन में तीन बार ऐसा हुआ है जब UPI की सर्विसेस डाउन हो गईं। कई यूजर्स को पैसे ट्रांसफर करने में दिक्कत आ रही थीं। मगर ऐसा क्यों हुआ? और क्या होता है जब UPI डाउन होता है? समझते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: X@GooglePayIndia)
गूगल पे पर 50 रुपये प्राप्त हुए.... फोनपे पर 20 रुपये प्राप्त हुए... पेटीएम पर 80 रुपये प्राप्त हुए... अब किसी भी जगह चले जाएं, वहां की दुकानों पर लगे स्पीकरों से ऐसी आवाजें आती रहती हैं। यह दिखाता है कि टेक्नोलॉजी से थोड़ा बचकर चलने वाले भारतीयों की जिंदगी कैसे डिजिटल पेमेंट पर निर्भर हो गई है। मगर क्या हो कि यह डिजिटल पेमेंट, जिसे हम UPI कहते हैं, वह ठप हो जाए? ऐसा लगेगा कि मानो जिंदगी थम सी गई हो।
मगर अब ऐसा होने लगा है। पिछले 20 दिन में तीन बार UPI की सर्विस डाउन हो चुकी है। पहली बार 26 मार्च, दूसरी बार 2 अप्रैल और तीसरी बार 12 अप्रैल को।
बार-बार क्यों ठप हो रहा है UPI?
UPI आज पैसों के लेन-देन का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। इसने कैश की जरूरत को लगभग-लगभग खत्म कर दिया है या कम कर दिया है।
हालिया दिनों में तीन बार UPI की सर्विस डाउन होने पर NPCI ने हर बार इसे 'इंटरमिटेंट टेक्निकल इशू' बताया। इसका मतलब हुआ कि कुछ देर के लिए सर्विसेस में रुकावट आना। UPI का सारा काम नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI ही संभालता है। यह RBI और बैंकों की बनाई एक संस्था है।
NPCI is currently facing intermittent technical issues, leading to partial UPI transaction declines. We are working to resolve the issue, and will keep you updated.
— NPCI (@NPCI_NPCI) April 12, 2025
We regret the inconvenience caused.
2 अप्रैल को NPCI ने बताया था कि कुछ बैंकों के सक्सेस रेट में उतार-चढ़ाव के कारण UPI सर्विस में कुछ देर के लिए रुकावट आई थीं। इसके बाद 12 अप्रैल को भी NPCI ने बताया था कि 'इंटरमिटेंट टेक्निकल इशूज' के कारण UPI ट्रांजेक्शन नहीं हो रहे हैं।
UPI सर्विस डाउन होने की वजह से लोगों को गूगल पे, फोन पे या पेटीएम के जरिए ट्रांजेक्शन करने में दिक्कत आ रही थी। DownDetector के मुताबिक, UPI सर्विस डाउन होने की वजह से करीब 80% लोगों को ट्रांजेक्शन करने और 17% को फंड ट्रांसफर करने में समस्या आई थी। 12 अप्रैल को करीब 90 मिनट तक UPI सर्विस डाउन रही।
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अब तक कब-कब ठप हुआ है UPI?
भारत में UPI सर्विस को 2016 में शुरू किया गया था। तब से अब तक कई बार UPI सर्विस ठप हुई है। NPCI अपनी वेबसाइट पर हर महीने डाउनटाइम का आंकड़ा बताती है। इसके मुताबिक, मार्च 2020 से अब तक UPI की सर्विस कम से कम 17 बार डाउन हो चुकी है।
UPI की सर्विस दो तरह से डाउन होती हैं। पहली- शेड्यूल और दूसरी- अनशेड्यूल। शेड्यूल मतलब जब NPCI या बैंक मेंटेनेंस के लिए UPI की सर्विस को कुछ देर के लिए बंद कर देती हैं। वहीं, अनशेड्यूल्ड में यह होता है कि UPI सर्विस अचानक से ठप पड़ जाती है।
मार्च 2020 में UPI की सर्विस करीब 5 मिनट तक डाउन रही थी। अप्रैल 2020 में 75 मिनट तक सर्विस बंद रही थी। इसके बाद जनवरी 2021 में भी शेड्यूल मेंटेनेंस के चलते 30 मिनट तक UPI डाउन रहा था। इस हिसाब से देखा जाए तो मार्च 2020 से मार्च 2025 तक लगभग एक हजार मिनट से ज्यादा UPI डाउन रहा है। अब तक का सबसे लंबा डाउनटाउम जुलाई 2024 में रहा था। तब 207 मिनट तक UPI सर्विस डाउन रही थी। इसी साल मार्च में भी 95 मिनट तक UPI सर्विस डाउन रही है।
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क्या होता है इसका असर?
UPI की सबसे खास बात यह है कि इससे छोटा सा छोटा ट्रांजेक्शन भी किया जा सकता है। इसके लिए कुछ चार्ज या फीस भी नहीं देनी पड़ती। यही वजह है कि UPI अब हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है।
अगर आज के वक्त कुछ मिनटों के लिए भी UPI सर्विस डाउन हो जाए तो इसका बड़ा असर पड़ता है। इसे ऐसे समझिए कि 11 अप्रैल को UPI के जरिए 62 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, जिनमें 85 हजार 297 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था। वहीं, 12 अप्रैल को कुछ मिनटों के लिए UPI डाउन रहने की वजह से 55 करोड़ ट्रांजेक्शन ही हुए और इसके जरिए 68 हजार 876 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।
यानी, सर्विस डाउन होने की वजह से 11 अप्रैल की तुलना में 12 अप्रैल को 10 फीसदी ट्रांजेक्शन कम हुए। इतना ही नहीं, 11 अप्रैल के मुकाबले 12 अप्रैल को UPI के जरिए रुपयों के लेन-देन में 20 फीसदी की कमी आ गई।
इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि 12 अप्रैल को 68,876 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ। इसका मतलब हुआ कि हर मिनट औसतन 47 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन UPI से किया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक मिनट के लिए भी अगर UPI डाउन होता है तो इससे औसतन 47 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन प्रभावित हो सकता है।
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UPI से हर महीने कितना ट्रांजेक्शन?
भारत का UPI एक IMPS इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम करता है, जिससे एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे ट्रांसफर करना आसान हो जाता है।
UPI सर्विस को 2016 में लॉन्च किया गया था और उसके बाद से लगातार इसके यूजर्स बढ़ते रहे हैं। NPCI की वेबसाइट के मुताबिक, जुलाई 2016 में महज 38 लाख रुपयों का लेन-देन UPI के जरिए हुआ था। इसी साल मार्च में UPI ट्रांजेक्शन ने नया रिकॉर्ड बनाया है। मार्च में UPI के जरिए 24.77 लाख करोड़ रुपयों का लेन-देन हुआ था। यह आंकड़ा फरवरी की तुलना में 12.7 फीसदी ज्यादा था।
अब भारत का UPI ग्लोबल भी बन चुका है। भारत के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), श्रीलंका, भूटान, फ्रांस, नेपाल, सिंगापुर, त्रिनिदाद और टोबैगो और मॉरिशस में भी UPI का इस्तेमाल होता है।
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