नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा क्षेत्र में तेजी से बदलाव किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE ) स्कूली शिक्षा को ग्लोबल बनाने के लिए अपने करिकुलम में बदलाव करने वाली है। सीबीएसई ने ग्लोबल करिकुलम बनाने की तैयारी तेज कर दी है। बोर्ड का कहना है कि अगले साल वह अपना ग्लोबल करिकुलम शुरू करने की योजना बना रहा है। बोर्ड का मानना है कि उसका ग्लोबल करिकुलम मौजूदा इंटरनेशनल बोर्ड का एक मजबूत और किफायती विकल्प होगा।
25 जून को हुई सीबीएसई गवर्निंग बॉडी की 141वीं बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव लाया गया था। गवर्निंग बॉडी ने प्रस्ताव को मंजूर कर फाइनेंस कमेटी के पास भेज दिया है। हालांकि, इस प्रस्ताव और ग्लोबल करिकुलम से क्या बदलाव होने वाला है, इस बारे में अभी बोर्ड ने विस्तृत जानकारी नहीं दी है लेकिन माना जा रहा है कि इस फैसले के जरिए सीबीएसई अन्य इंटरनेशनल बोर्डों का विकल्प बनेगा। इससे भारत शिक्षा क्षेत्र में इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान को और ज्यादा मजबूत करेगा।
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क्या है प्लान?
सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की बैठक के बाद जारी की गई जानकारी के अनुसार, ग्लोबल करिकुलम बनाने के लिए सीबीएसई भारतीय ज्ञान परंपरा पर फोकस करेगा। सीबीएसई का प्लान है कि ग्लोबल करिकुलम बनाकर वह इंटरनेशनल छात्रों के लिए एक विकल्प पेश करे। इस करिकुलम के बाद सीबीएसई, इंटरनेशनल बोर्ड को चुनौती दे सकेगा। सीबीएसई ने कहा है कि अभी तक इंटरनेशनल स्कूल दूसरे शैक्षणिक बोर्डों से मान्यता प्राप्त हैं। ग्लोबल करिकुलम बनने से ऐसे स्कूलों के पास सीबीएसई के करिकुल को अपनाने का विकल्प होगा।
करोड़ों होंगे खर्च
सीबीएसई को इस नए ग्लोबल करिकुलम को अपनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे। गवर्निंग बॉडी की बैठक में इस प्रोजेक्ट को लॉन्च करने और टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए एजेंसी चुनने का प्रस्ताव मंजूर हो चुका है। इस पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और इसका प्रस्ताव मंजूरी के लिए फाइनेंस कमेटी के पास भेज दिया गया है। सीबीएसई अब टेक्निकल सपोर्ट के लिए किसी एजेंसी की तलाश करेगी। इस एजेंसी का काम ग्लोबल करिकुलम को तैयार करना और उसे लॉन्च करना होगा। नया करिकुलम सीबीएसई बोर्ड के भारतीय शिक्षा प्रणाली में सालों के अनुभव पर आधारित होगा।
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अब आगे क्या होगा?
अब इस प्लान को मंजूरी मिलने के बाद एजेंसी को चुना जाएगा। इसके बाद करिकुलम बनाने का काम शुरू होगा। इसके लिए विदेशों में स्थित सीबीएसई स्कूलों और अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम (आइबी, कैम्ब्रिज) चलाने वाले संस्थानों के विशेषज्ञों की समितियां बनाई जाएंगी। एजेंसी इस पूरे काम में अधिकारियों की मदद करेगी। एजेंसी हर सब्जेक्ट के हिसाब से शिक्षण-सामग्री, मूल्यांकन ढांचा (पेपर) और विभिन्न देशों के संबंध में मानक (पैरामीटर) तैयार करेगी।
किन स्कूलों में होगा लागू?
इस फैसले को मंजूरी मिलने के बाद अब इतना साफ हो चुका है कि सीबीएसई एक इंटरनेशनल बोर्ड बनने जा रहा है। अब सीबीएसई इंटरनेशनल बोर्ड के विकल्प के रूप में खुद को पेश करेगी। अब सवाल यह है कि क्या सीबीएसई का यह करिकुलम देश के अंदर मौजूद स्कूलों में भी लागू होगा या यह सिर्फ इंटरनेशनल स्कूलों में ही लागू होगा? इस संबंध में अभी सीबीएसई ने कोई खास जानकारी नहीं दी है।
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सीबीएसई का लक्ष्य है कि इस पहल के तहत अगले पांच सालों में दुनियाभर के करीब एक हजार स्कूलों को जोड़ा जाए। इससे बोर्ड की पहुंच प्रवासी भारतीय समुदाय से आगे बढ़कर विभिन्न देशों के स्थानीय छात्र समुदाय तक होगी। संभव है कि देश के अंदर भी कुछ स्कूलों को चिह्नित करके देश के अंदर भी इस करिकुलम को लागू किया जाए।