logo

ट्रेंडिंग:

NIRF में कैसे तय होती है रैंकिंग? जानिए रैंकिंग से क्या फायदा होगा

NIRF रैंकिंग 2025 जारी कर दी गई है। इस रैंकिंग सिस्टम को लागू हुए 10 साल हो गए हैं। जानि NIRF में कैसे तय होता है शिक्षण संस्थानों का रैंक।

NIRF

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: FreePik

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस साल के लिए इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) रैंकिंग जारी कर दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस रैंकिंग को जारी किया। इस रैंकिंग में इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, डेंटल,  फार्मेसी और लॉ समेत अन्य कैटेगरी के टॉप कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को शामिल किया जाता है। इस रैंकिंग के आधार पर छात्र फैसला लेते हैं कि उन्हें किस यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एडमिशन लेना है। ऐसे में सवाल उठता है कि यह रैंकिंग छात्रों के लिए क्यों जरूरी है और इसमें यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को कैसे रैंक किया जाता है?

 

NIRF रैंकिंग में सरकार कॉलेजों को अलग-अलग आधार पर रैंक करती है। यह पहल 2015 में शुरू की गई थी। इसका मकसद छात्रों को अलग-अलग शिक्षण संस्थानों के बारे में सही जानकारी पहुंचाना था ताकि छात्र रैंकिंग के आधार पर अपने लिए सही कॉलेज का चयन कर सकें। इस रैंकिंग में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तय नियमों के आधार पर शिक्षण संस्थानों को रैंकिंग देता है। 

 

यह भी पढ़ें-- 12वीं के बाद AI में बनाएं करियर, 6 महीने से 4 साल तक के बेस्ट कोर्स

 

कैसे तय होती है रैंकिंग?

NIRF रैंकिंग में किसी  भी शिक्षण संस्थान की रैंकिंग पांच पैमानों पर तय होती है। इन पैमानों को अलग-अलग वेटेज दिया गया है। इन सभी की वेटेज को मिलाकर एक स्कोर तैयार होता है, जिसके आधार पर फिर रैंकिंग जारी की जाती है। 

 

  • टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्स- 30 प्रतिशत वेटेज
  • रिसर्च और प्रोफेशनल प्रैक्टिस- 30 प्रतिशत वेटेज
  • ग्रेजुएशन आउटकम- 20 प्रतिशत वेटेज
  • आउटरीच और इनकलुसीवीटी- 10 प्रतिशत वेटेज
  • प्रिसेप्शन - 10 प्रतिशत वेटेज

किन-किन कैटेगरी में जारी होती है रैंकिंग?


NIRF रैंकिग को अलग-अलग कैटेगरी में जारी किया जाता है। इस बार कुल 17 कैटेगरी को शामिल किया गया है। 

 

  • ओवरऑल
  • यूनिवर्सिटी
  • कॉलेज
  • रिसर्च संस्थान
  • इंजीनियरिंग
  • मैनेजमेंट
  • फार्मेसी
  • मेडिकल
  • डेंटल
  • लॉ
  • आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग
  • एग्रीकल्चर एंड अलायड सेक्टर
  • इनोवेशन
  • ओपन यूनिवर्सिटी
  • स्किल यूनिवर्सिटी
  • स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी
  • सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल

यह भी पढ़ें--  NIRF रैंकिंग में टॉप पर IIT मद्रास, JNU को कौन सा स्थान मिला?

क्यों जरूरी है यह रैंकिंग?

किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए यह रैंकिंग उतनी ही जरूरी है जितना जरूरी किसी छात्र के लिए उसका स्कोर कार्ड होता है। जितनी अच्छी रैंकिंग होगी उतना ही फायदा उस संस्थान को मिलने की संभावना होती है। संस्थान को मिलने वाली ग्रांट पर भी इसका असर दिखता है। इसके साथ ही रिसर्च प्रोजेक्ट और अन्य गतिविधियां भी इससे प्रभावित होती हैं। इन सब के अलावा छात्र इसी रैंकिंग के आधार पर अपने लिए कॉलेज का चयन करते हैं। ऐसे में कॉलेजों के लिए इस रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन करना बहुत जरूरी हो जाता है।

छात्रों के लिए क्या फायदा?

देश के टॉप कॉलेज कौन से हैं इसका फैसला इसी रैंकिंग के जरिए होता है। सरकार टॉप कॉलेजों की स्थिति को और बेहतर करने के लिए काम करती है। रैंकिंग के आधार पर छात्र अपने लिए कॉलेज का चयन कर सकते हैं। अच्छी रैंकिंग वाले संस्थानों में दाखिला लेने से छात्रों के लिए करियर के अच्छे विकल्प खुल जाते हैं। इसके साथ ही रिसर्चर्स की पहली पसंद भी टॉप संस्थान ही होते हैं, जिससे वहां के छात्रों को सीखने के बेहतरीन विकल्प मिलते हैं। 

 

Related Topic:#NIRF#Career News

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap