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कॉलेजों की ग्रेडिंग कैसे करता है NAAC? जानिए क्यों जरूरी है यह मान्यता

NAAC एक ऐसी संस्था है जो भारत के कॉलेजों को मान्यता देती है। इस संस्था की मान्यता और ग्रेडिंग के आधार पर ही छात्र अपने लिए कॉलेज का चयन करते हैं।

NAAC

NAAC, Photo Credit: naac.gov.in

जब भी कोई छात्र अपने लिए कॉलेज का चयन करता है तो वह सबसे पहले उसकी रैंकिंग जरूर देखता है। रैंकिंग के आधार पर ही छात्र फैसला करते हैं कि किस कॉलेज में पढ़ना है और किसमें नहीं। जिस कॉलेज का जितना अच्छा रैंक उसमें एडमिशन लेने की होड़ भी उतनी ही ज्यादा होती है। भारत में कॉलेजों को रैंक करने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) सबसे अहम संस्था है। इसकी रेटिंग के आधार पर छात्र कॉलेज के महत्तव को आंकते हैं।


NAAC, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की एक ऑटोनॉमस बॉडी है। यह कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाने वाले कोर्स की गुणवत्ता के आधार पर उसका मूल्यांकन करता है। NAAC शिक्षण संस्थानों को मान्यता देता है। यह संस्थानों को A++ से D तक ग्रेड देता है। A++ को सबसे अच्छा और  D को सबसे खराब माना जाता है। यह ग्रेड किसी संस्थान में टीचर्स, शैक्षणिक माहौल और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मानदंड़ों पर दिए जाते हैं।

 

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NAAC ग्रेडिंग क्यों है जरूरी?

NAAC की स्थापना साल 1994 में हुई थी। इसके बाद से ही NAAC ने संस्थानों की ग्रेडिंग के लिए पैरामीटर्स तय कर लिए थे। UGC की गाइडलाइन के अनुसार, अब देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को NAAC से मान्यता लेना जरूरी है। भारत में कोई भी उच्च शिक्षण संस्थान NAAC से ग्रेडिंग लिए बिना कोर्स नहीं करवा सकता। अगर कोई उच्च शिक्षण संस्थान NAAC की ग्रेडिंग के लिए अप्लाई नहीं करता और जरूरी शर्तें पूरी नहीं करता तो उसे UGC मान्यता नहीं देता।  UGC भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों को मान्यता देने वाली संस्था है। UGC की ओर से दी जाने वाली ग्रांट आदि के लिए भी NAAC ग्रेडिंग जरूरी है।

NAAC ग्रेंडिक के पैरामीटर

NAAC सात अलग-अलग पैरामीटर के आधार पर ग्रेडिंग करता है।

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  • टीचिंग लर्निंग एंड इवेल्यूएशन
  • करिकुलम आस्पेक्ट्स
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड लर्निंग रिसोर्सेज
  • गवर्नेंस, लीडरशिप एंज मैनेजमेंट
  • रिसर्च, इनोवेशन एंड एक्सटेंशन
  • स्टूडेंट सपोर्ट एंड प्रोग्रेशन
  • इंस्टीट्यूशनल वेल्यूज एंड बेस्ट प्रैक्टिस

चार तरह के ग्रेड

NAAC ऊपर दिए गए पैरामीटर के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों को A/B/C/D ग्रेड देता है। सातों पैरामीटर के लिए स्कोर दिया जाता है और उसके बाद ओवरऑल स्कोर तैयार किया जाता है। ओवरऑल स्कोर के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है। 


A++ अगर किसी भी शिक्षण संस्थान को NAAC के मूल्यांकन में  3.51 4.00 CGPA मिल जाते हैं तो उस संस्थान को सबसे टॉ ग्रेड A++ मिलता है। इस संस्थान को बहुच अच्छा माना जाता है। 


A+ NAAC के मूल्यांकन में 3.26 3.50 तक CGPA मिलने पर A+ ग्रेड मिलता है। 


A - NAAC के मूल्यांकन में 3.01 3.25 तक CGPA मिलने पर A ग्रेड मिलता है। 


B++ - 2.51 से 2.75 CGPA पर यह ग्रेडिंग मिलती है


B+ - 2.51 से 2.75 CGPA अगर किसी संस्था को NAAC से मिलते हैं तो उसे  B+ ग्रेड मिलता है।


B - 2.01 से 2.50 CGPA CGPA पर यह ग्रेडिंग मिलती है


B - 2.01 से 2.50 CGPA CGPA पर यह ग्रेडिंग मिलती है


C-1.51 से 2.00 CGPA पर C ग्रेड मिलता है

 

अगर किसी संस्थान को 1.50 या इससे कम CGPA मिलता है तो उस संस्थान को D ग्रेड दिया जाता है। D ग्रेड वाले संस्थानों को NAAC मान्यता नहीं देता है।

 

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कैसे होता है मूल्यांकन?

NAAC ग्रेडिंग के लिए संस्थान इनकी आधिकारिक वेबसाइट पर अप्लाई करते हैं। इसके बाद NAAC की टीम उस संस्थान में आती है और पूरे संस्थान की जांच करती है। यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन के लिए कुल 6 मेंबर पैनल होता है। इसमें शामिल सभी लोग शिक्षा जगत से ही जुड़े होते हैं। कॉलेजों के मूल्यांकन के लिए कम से कम तीन लोगों की टीम जाती है। यह टीमें कम से कम तीन दिनों तक संस्थान में रहती हैं। मूल्यांकन के लिए सेल्फ स्टडी रिपोर्ट  को  70 फीसद वेटेज और 30 फीसदी वेटेज टीम जो मूल्यांकन करती है उससे मिलती है।

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