सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की योग्यता को लेकर एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने अब टीचर बने रहने के लिए भी टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को अनिवार्य कर दिया है। यह नियम आगे होने वाली भर्तियों पर भी लागू होगा। इसके साथ ही अभी जो टीचर्स सेवाएं दे रहे हैं उन्हें भी TET पास करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें रिटायरमेंट लेना होगा। कोर्ट ने कहा है कि जिन टीचर्स की रिटायरमेंट में 5 साल से कम का समय बचा है उन्हें इस नियम से छूट मिलेगी। वे अपनी रिटायर्मेंट तक बिना TET के भी सेवाएं दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए कहा, 'जिन टीचर्स की नौकरी को 5 साल से ज्यादा बचे हैं, उन्हें TET क्वालिफाई करना जरूरी होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट लेना होगा।' कोर्ट ने फिलहाल माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस को इस फैसले से बाहर रखा है। कोर्ट ने कहा, 'यह निर्देश माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस पर लागू होगा या नहीं, इसका फैसला बड़ी बेंच करेगी।' सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और महाराष्ट्र में टीचिंग के लिए TET को जरूरी करने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
किन टीचर्स पर लागू होगा यह फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद टीचर्स में असमंझस और डर है कि यह फैसला किन पर लागू होगा और किन पर नहीं। इस फैसले के बाद नए टीचर बनने के लिए TET पास करना जरूरी होगा। जिन टीचर्स की सर्विस में पांच साल से कम का समय बचा है उन्हें इस फैसले में छूट दी गई है लेकिन अगर उन टीचर्स को प्रमोशन चाहिए तो TET पास करना जरूरी है। पांच साल से ज्यादा जिनकी सर्विस बची है और वे दो साल में TET पास नहीं कर सके तो उनको नौकरी छोड़नी होगी। ऐसे टीचर्स को जबरन रिटायरमेंट लेना होगा। इस फैसले से फिलहाल माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस को बाहर रखा गया है।
क्या है TET एग्जाम?
टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी TET नेशनल लेवल पर होने वाला एग्जाम है। इस एग्जाम को पास करने वाले उम्मीदवार ही पहली से आठवीं कक्षा तक के टीचर बनने के लिए योग्य हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने साल 2010 में टीचर बनने के लिए इस एग्जाम को जरूरी कर दिया था। यह एग्जाम केंद्र और राज्य दोनों ही अलग-अलग करवाते हैं। केंद्रीय स्तर पर CTET और स्टेट लेवल पर STET होता है। इसमें पहली से पांचवीं तक के लिए पेपर-1 और छठी से आठवीं तक पेपर-2 होता है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2009 में केंद्र सरकार राइट टू एजुकेशन ऐक्ट लेकर आई थी। इस ऐक्ट की धारा 23 (1) में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को शिक्षकों की योग्यता निर्धारित करने की शक्तियां दी गई थी। इसके अगले साल ही 23 अगस्त 2010 को NCTE ने एक नोटिफिकेशन जारी कर पहली से आठवीं तक शिक्षक बनने के लिए TET पास करना जरूरी कर दिया गया था। इस नोटिफिकेशन के अनुसार, NCTE ने TET पास करने के लिए 5 साल का समय दिया था लेकिन बाद में इसे 4 साल और बढ़ा दिया था।
इस फैसले के खिलाफ उम्मीदवारों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी साल जून में मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि जिन टीचर्स को 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त किया गया है उन्हें TET पास करना जरूरी नहीं है लेकिन प्रमोशन के लिए TET पास करना जरूरी होगा। इसी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अब फैसला दिया है।