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पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार देने के वादे का क्या हुआ?

आम आदमी पार्टी ने 2020 में दिल्ली के लोगों से वादा किया था कि पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार दिलाएंगे। पांच साल बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी का यह वादा कितना जमीन पर उतरा है आइए जाने हैं।

ownership rights to unauthorized colonies

Creative Image: (Photo Credit: Khabargaon)

वादा- पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार

हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर पुनर्वास कॉलोनियों के निवासियों के लिए फ्री होल्ड की स्थिति के साथ पूर्ण मालिकाना अधिकार सुनिश्चित करें।

 

आम आदमी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के लोगों से 'पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार' देने का वादा किया था। पिछले चुनाव के समय 'आप' का कच्ची कॉलोनियों में रह रहे लोगों से कहना था, 'हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर पुनर्वास कॉलोनियों के निवासियों के लिए फ्री होल्ड की स्थिति के साथ पूर्ण मालिकाना अधिकार सुनिश्चित करेंगे।'

 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1700 से अधिक अनधिकृत कॉलोनी हैं, जिसमें 40 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। अनधिकृत कॉलोनी का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। यह एक ये ऐसा मुद्दा है जो चुनाव लड़ रही तीनों पार्टियों के लिए बड़ा है, तीनों ही दल इस पर ध्यान लगाए हुए हैं। 

 

मालिकाना हक नहीं दिला पाई है 'आप' 

 

अनधिकृत कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार देने का वादा आम आदमी पार्टी पहले ही कर चुकी है। बीजेपी और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्रों में अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को संपत्तियों का पूर्ण मालिकाना हक देने का वादा किया है। मगर, पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को 'आप' सरकार अभी तक मालिकाना हक नहीं दिला पाई है। इसकी एक प्रमुख वजह दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच तालमेल का ना बैठना है।

 

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कहां अटका है पंगा?

 

इसमें, एक पहलू ये भी है कि पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार देने का फैसला दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल में से कोई एक अकेला नहीं कर सकता। इसके लिए दोनों का एकमत होना जरूरी है। दिल्ली में उप-राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है, यानी कि केंद्र में जिस पार्टी की सरकार उप-राज्यपाल उसका। 

 

केंद्र में अभी बीजेपी की सरकार है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रही है। इस वजह से दोनों पार्टियों के बीच इस मुद्दे पर एकमत होना नामुमकिन है। दरअसल, दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक देने के लिए प्रधानमंत्री अनधिकृत कॉलोनी दिल्ली आवास अधिकार योजना (PM-UDAY) शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, सरकारी जमीन पर कन्वेयन्स डीड के जरिए मकान का मालिकाना हक दिया जाता है। 

 

केंद्र की योजना

 

बता दें कि 29 अक्तूबर 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने एक योजना 'प्रधानमंत्री अनधिकृत कॉलोनी दिल्ली आवास अधिकार योजना' शुरू की थी। इसमें भारत सरकार ने दिल्ली की 1731 अनधिकृत कॉलोनियों के 40 लाख निवासियों को मकान या प्लॉट का मालिकाना हक देने के लिए इस योजना की शरुआत की थी।  

 

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यह काम दिल्ली सरकार अकेले नहीं कर सकती है। इस काम को करने के लिए दिल्ली सरकार को उप-राज्यपाल के साथ मिलकर काम करना है, इसलिए बिना राज्यपाल की सहमति के दिल्ली में पुनर्वास कॉलोनियों के लिए मालिकाना अधिकार देने संभव नहीं है। 

 

बता दें कि बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता में आने पर 1,700 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को संपत्तियों का पूर्ण मालिकाना हक देने का दावा किया है, जिससे लोगों के लिए बिक्री, खरीद और निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।

 

वहीं, कांग्रेस ने भी सत्ता में आते के बाद राजधानी में पुनर्वास कॉलोनी के लाखों लोगों को मालिकाना हक देने के लिए काम करने की बात कही है।

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