संजय सिंह, पटना । जेडीयू विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर कमर कस चुकी है। मतदाताओं के मूड को भांपने के लिए अलग-अलग टीमें बनाकर विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। महिलाओं के लिए 40 और युवाओं के लिए 21 टीमें गठित की गई हैं। टीम के सदस्य सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी वोटरों तक पहुंचा रहे हैं।
संवाद के केंद्र में सबसे पहले महिलाओं को रखा गया है। महिला वोटरों पर जेडीयू की अच्छी पकड़ है और इस पकड़ को कमजोर करने का प्रयास विरोधी लगातार कर रहे हैं। नीतीश कुमार जब सत्ता में आए तो महिलाओं के लिए दो बड़े काम किए।
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महिलाओं पर असर
पहला, पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू की गई। इसका व्यापक असर महिलाओं पर पड़ा। शराबबंदी के कारण गरीब परिवारों में झगड़े और संघर्ष का माहौल कम हुआ, लेकिन दूसरी ओर, चोरी-छिपे ढंग से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी शराब बेची जा रही है।
दूसरा, महिलाओं को आरक्षण देकर लाभान्वित किया गया। ग्राम पंचायत, शिक्षा और पुलिस में महिलाओं को नौकरी मिली। लड़कियों के लिए पढ़ाई में विशेष सुविधाओं का ध्यान रखा गया और जीविका समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार के अवसर भी दिए गए।
अतिपिछड़ों पर नजर
जेडीयू की पूरी कोशिश है कि संवाद के केंद्र में अतिपिछड़ों को भी रखा जाए। अतिपिछड़ों के वोट बैंक पर जेडीयू की पकड़ मजबूत है। नीतीश कुमार के कार्यकाल में पिछड़े राजनीतिक रूप से सशक्त हुए हैं। पिछड़ों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। टीम का उद्देश्य है कि लोग सरकार की उपलब्धियों से अवगत रहें ताकि विरोधी भ्रम फैलाने में सफल न हो पाएं।
युवाओं से जुड़ेंगे
युवाओं से संवाद करने के लिए 21 अलग टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें युवाओं को बताएंगी कि सरकार रोजगार के प्रति कितनी संवेदनशील है। पलायन को रोकने के लिए भी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। परीक्षा शुल्क कम किया गया और पूरे प्रदेश में डोमिसाइल नीति लागू की गई। इतने बड़े पैमाने पर रोजगार किसी सरकार के कार्यकाल में पहले नहीं मिला।
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कुल मिलाकर, जेडीयू का प्रयास है कि संवाद के माध्यम से वोटरों को सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी दी जाए ताकि उनकी स्मृति धुंधली न पड़े। कमोवेश, भाजपा की ओर से भी इसी तरह का काम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है। महागठबंधन के मुकाबले में, सरजमीं पर एनडीए का प्रचार तंत्र फिलहाल मजबूत दिखता है।