महागठबंधन के पक्ष में आया चुनाव NDA के पक्ष में कैसे दिखने लगा?
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक साल पहले से ही जेडीयू-बीजेपी की एनडीए सरकार के ऊपर बिहार से हो रहे पलायन, राज्य की खराब कानून-व्यवस्था, 20 साल में सरकार ने रोजगार कितने दिए इसको मुद्दा बनाया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Sora
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बीच सीधी लड़ाई है। दोनों खेमों का एक ही लक्ष्य है- किसी भी तरह से बहुमत हासिल करके बिहार में सरकार का गठन करना। दोनों ही खेमें एक दूसरे पर हमला करके उसे कमजोर करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, जिससे कि जनता के बीच उनकी बढ़त हासिल हो सके। शह और मात के इस सियासी खेल में शतरंज की तरह बिसात बिछने लगी हैं। अपनी-अपनी सियासत से कभी महागठबंधन तो कभी एनडीए चुनाव में बढ़त बना रही हैं।
इस बीच खबर है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले तो इस खबर को लेकर कयास ही लगाए जा रहे थे लेकिन इस खबर पर महागठबंधन ने ही मुहर भी लगा दी। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव अपने पूरे उफान पर पहुंच चुका है लेकिन महागठबंधन के बीच कई मुद्दों को लेकर अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है। जो महागठबंधन एक महीने पहले तक चुनाव में बढ़त बनाते हुए दिख रहा था, वही गठबंधन आज अपने ना सुलझे मुद्दों में उलझ गया है। ऐसे में वर्तमान में बिहार चुनाव चुनाव NDA के पक्ष में दिखने लगा है। यह कैसे हुआ आइए जानते हैं...
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महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी तक स्थिती साफ नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ एनडीए खेमें में बीजेपी से लेकर एलजेपी (रामविलास) और जीतनराम मांझी की पार्टी एक सुर में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। राष्ट्रीय जनता दल लगातार महागठबंधन में शामिल अपनी सहयोगी दलों से यह मांग कर रही है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। मगर, कांग्रेस तेजस्वी को लेकर अपनी स्थिती साफ नहीं कर रही है। वाम दलों ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया है।
महागठबंधन में सीट बंटवारा
महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर हो रही मचे घमासान की खबरें मीडिया के जरिए बाहर आ गई हैं। सीटों को लेकर आरजेडी और कांग्रेस के बीच अनबन की खबरें जब फैल गईं तब जाकर महागठबंधन में सीटों को लेकर ऑफिशियल अनाउंसमेंट की गई। इसमें आरजेडी 143, कांग्रेस 61, वीआईपी 16, सीपीआई (ML) 20, भाकपा 9 और माकपा 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इस घोषणा के बाद भी महागठबंधन में कई विधानसभा सीटों को लेकर लड़ाई है।
यही वजह है कि महागठबंधन ने कम से कम 10 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं। एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी उतारे जाने की घटना ने भी विपक्ष में आपसी टकराव की खबरों को बल दिया है।
तेजस्वी का पलायन-रोजगार को मुद्दा बनाना
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक साल पहले से ही जेडीयू-बीजेपी की एनडीए सरकार के ऊपर बिहार से हो रहे पलायन, राज्य की खराब कानून-व्यवस्था, 20 साल में रोजगार कितने दिए इसको मुद्दा बना दिया था। तेजस्वी इस बातों को अपनी पर प्रेस कॉन्फ्रेंस, सभा और रैली में दोहरा रहे थे। जमीन से लेकर सोशल मीडिया पर इसकी बात होने लगी थी। लोग बीजेपी और जेडीयू से सवाल पूछने लगे थे कि दोनों पार्टियों ने बिहार में 20 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद पलायन, कानून-व्यवस्था, रोजगार को लेकर क्या किया?
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राहुल की वोटर अधिकार यात्रा
यह सिलसिला तेजस्वी ने अगस्त महीने तक चलाया और इन मुद्दों को उठाया। मगर 17 अगस्त से लेकर 1 सितंबर 2025 तक कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली। इस यात्रा में उन्होंने वोट चोरी को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। जबतक उन्होंने यात्रा निकाली तब तक इसको लेकर चर्चा होती रही लेकिन अब यात्रा के दो महीने के बाद बिहार से वोट चोरी का मुद्दा गायाब है।
इस समय बिहार में फिर से वही पेट पालने के लिए लोगों का शहरों के तरफ पलायन, बिहार में कानून-व्यवस्था का हाल और पटना, मुजफ्फरपुर और दरभंगा में सरकारी नौकरी की तैयारी करते युवाओं के लिए रोजगार की चर्चा होने लगी है। यानी कि राहुल गांधी की वोरट अधिकारी यात्रा के दौरान और उसके बाद से इन मुद्दों पर मीडिया-सोशल मीडिया पर चर्चा
कम होने लगी थी।
तेजस्वी के सवालों का जवाब देना मुश्किल
बिहार में बीजेपी-जेडीयू लगभग 20 सालों से राज्य की सत्ता में हैं। इस लिहाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी की बिहार से हुए लाखों लोगों का पलायन, उन्हें बिहार में ही नौकरी ना दे पाने, युवाओं को सरकारी नौकरी ना दे पाने, राज्य में उद्योग धंधो को विकसित ना कर पाने की जिम्मेदारी है। तेजस्वी यादव जब इस मुद्दों को उठाकर एनडीए सरकार के ऊपर हमला कर रहे थे और उनसे सवाल कर रहे थे तो ऐसे में जेडीयू-बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो रहा था।
राहुल NDA के लिए फायदेमंद साबित हुए?
मगर, वोटर अधिकार यात्रा ने कुछ समय के लिए इन मुद्दों से ध्यान भटका दिया, जिससे एनडीए ने महागठबंधन को घेरना शुरू किया। एनडीए ने चुनाव आयोग के डेटा के सहारे राहुल गांधी और कांग्रेस के हमलों का बखूबी काउंटर किया। इसके बाद महागठबंधन में टिकटों और सीट बंटवारे को लेकर मचे घमासान के बाद महागठबंधन के पक्ष में आया चुनाव NDA के पक्ष में दिखने लगा। क्योंकि एनडीए ने समय रहते ही अपने सीटों का बंटवारा कर लिया, जिससे उसे चुनाव में आपसी तालमेल के सहारे बढ़त मिलते दिखी।
इन घटनाक्रमों के बीच आरजेडी नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में किसी विवाद के बारे में पूछे जाने पर बुधवार को कहा कि गठबंधन में कोई विवाद नहीं है। बता दें कि 23 अक्टूबर को तेजस्वी यादव की अगुवाई में इंडिया गठबंधन की साझा प्रेस कांफ्रेंस करने वाली है, जिसमें महागठबंधन के एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की जाएगी। संभव है कि इस दौरान तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार भी घोषित किया जाए और एक बार फिर से विपक्ष एक होता दिखे।
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