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बिजवासन में कैलाश गहलोत बचा पाएंगे साख या AAP का जलवा रहेगा बरकरार

बिजवासन विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्याओं में से साफ सफाई के साथ में अतिक्रमण और खराब सड़कों का मुद्दा अहम है।

Bijwasan assembly seat

बिजवासन विधानसभा। Photo Credit: Khabargaon

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजवासन विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। यह कांग्रेस के लिए मुश्किल मानी जा रही है क्योंकि यहां कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है। बिजवासन विधानसभा सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। सत प्रकाश राणा यहां से पहली बार बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे। इस बार यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। 

 

इस निर्वाचन क्षेत्र में वसंत कुंज, धूलसिरस, महिपालपुर, रंगपुरी, नांगल देवत, बिजवासन, समालखा, बामनौली, कपासहेड़ा, शाहबाद मोहम्मदपुर, राजनगर शामिल है।

 

समस्याएं क्या हैं?

 

बिजवासन विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्याओं में से साफ सफाई के साथ में अतिक्रमण और खराब सड़कों का मुद्दा अहम है। लोग इसको लेकर परेशान पहते है। इसके अलावा बिजवासन में पार्कों में सुविधाएं न के बराबर हैं, जिसकी वजह से लोगों को सुबह-शाम सैर करने में दिक्कत होती है। साथ ही लोगों को अपना घर बनाने के लिए अभी भी निगम और पुलिस का चक्कर लगाने पड़ते हैं। जबकि पास में ही द्वारका में पालम से थोड़ी बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।

 

2020 में क्या हुआ था?

 

पिछले चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी के भूपेंद्र सिंह जून विधायक बिजवासन से चुने गए थे, लेकिन उनको बीजेपी के सत प्रकाश राणा से कड़ी टक्कर मिली थी। भूपेंद्र सिंह जून ने 2020 के चुनाव में लगभग 46 फीसदी वोट हासिल करते हुए 57,271 पाए थे। वहीं, सत प्रकाश राणा को करीबी मुकाबले में 45.22 फीसदी वोट शेयर के साथ 56,518 मत मिले थे। उन्हें मात्र 753 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के प्रवीण राणा को 5,937 वोट ही प्राप्त हुए थे।

 

इस बार आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता रहे कैलाश गहलोत बीजेपी के प्रत्याशी हैं। उनके मुकाबले में आम आदमी पार्टी ने सुरेंद्र भारद्वाज को मैदान में उतारा है। वहीं, देवेंद्र सहरावत कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।

 

विधानसभा का इतिहास

 

2013 में भी उन्हें जीत मिली, लेकिन 2015 और 2020 में उन्हें कड़े मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस बार आप, बीजेपी और कांग्रेस तीनों पार्टियों ने इस सीट पर उम्मीदवार बदले हैं।

बिजवासन सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। यहां जब पहली बार 2008 में चुनाव हुए तो बीजेपी ने सत प्रकाश राणा को टिकट देकर मैदान में उतारा। उन्होंने करीबी मुकाबले में कांग्रेस के विजय सिंह के 2,005 वोट से हरा दिया था। इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के देवेंद्र सहरावत को 2,414 वोटों से हराया। मगर, इसके बाद आम आदमी पार्टी ने 2015 के चुनाव में बीजेपी का किला ध्वस्त कर दिया।

 

'आप' के देवेंद्र सहरावत ने 2015 के चुनाव में 19,536 के बड़े अंतर से बीजेपी के दो बार के विधायक सत प्रकाश राणा को हरा दिया। 2020 में 'आप' के भूपेंद्र सिंह जून विधायक बिजवासन से एमएलए चुने गए।    

 

जातिगत समीकरण

बिजवासन में सबसे ज्यादा राजपूत और ब्राह्मण वोटर हैं। दोनों के मिलाकर कुल 27 फीसदी वोट हैं। यहां लगभग फांच फीसदी मुस्लिम वोट हैं। इसके असावा बिजवासन में यादव, मीणा सैनी वोटरों की भी अच्छी संख्या है।

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