दरौली विधानसभा, बिहार के सिवान जिले में पड़ती है। यहां से वामपंथी आंदोलन से जुड़े नेता सत्यदेव राम विधायक हैं। वह आंदोलनों के नेता रहे हैं, राजनीतिक मुद्दों और जनसंघर्षों से उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। यह विधानसभा, बिहार की सबसे पिछड़ी विधानसभाओं में से एक है। सड़क, शिक्षा और रोजगार, यहां की सबसे बड़ी समस्या है। दरौली विधानसभा की सीट संख्या 117 है। दरौली विधानसभा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। दरौली सिवान शहर से 30 किमी, उत्तर प्रदेश के बलिया से 40 किमी, और पटना से करीब 150 किमी दूर है।
दरौली विधानसभा, उत्तर प्रदेश की सीमा के पास ही है। दरौली में कुल वोटरों की संख्या करीब 549256 है। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 287098 है, वहीं 262158 महिला वोटर हैं। यहां पलायन की स्थिति यह है कि सिर्फ 50.18% लोगों ने 2020 के विधानसभा चुनाव में वोट किया था। तीसरे लिंग के मतदाताओं की दर्ज संख्या 10 है। यह विधानसभा साल 2010 से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। साल 2008 में हुए परिसमीमन के बाद दलौरी में दरौली गुठनी और अंदर प्रखंड को शामिल किया गया।
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मुद्दे क्या हैं?
दरौली विधानसभा पूरी तरह ग्रामीण इलाका है। यहां की ज्यादातर आबादी कृषक है। यहां धान, गेहूं और मौसमी सब्जियां उगाई जाती हैं। पलयान और बेरोजगारी यहां का मुख्य मुद्दा है। स्कूल, अस्पताल और उद्योगों की कमी इस इलाके की सबसे बड़ी समस्याएं हैं।
समाजिक ताना-बाना
यहां अनुसूचित जाति के करीब 14.49 फीसदी मतदाता है। अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 4.54 प्रतिशत है। मुस्लिम मतदाता करीब 6.4 फीसदी हैं।
2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
अगर एनडीए के सीट बंटवारे में यह सीट बीजेपी के खाते में गई तो एक बार फिर रामायण मांझी पर पार्टी भरोसा जता सकती है। इंडिया ब्लॉक की तरफ से CPI (ML) (L) विधायक सत्यदेव राम का उतरना तय माना जा रहा है। |
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विधायक का परिचय
सत्यदेव राम सिवान जिले के कृष्णापाली गांव के रहने वाले हैं। वह दलित परिवार से आते हैं। उनके पिता राजबंशी राम किसान थे। वह श्याम लाल जैन उच्च महाविद्यालय, दरौली से स्नातक हैं। साल 1982 में उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। वह कृषि और सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। वह कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। कई बाद आंदोलनों के दौरान जेल जा चुके हैं। 2 फरवरी 1964 को उनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी कुल आय 11 लाख रुपये घोषित किया है।
2020 का चुनाव कैसा था?
यह विधानसभा वामपंथ का गढ़ बन गई है। यहां वाम दल बनाम राष्ट्रवादी दल की लड़ाई है। वाम दलों ने इस एक बार फिर इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं। साल 2010 में बीजेपी के रामायण मांझी ने 7,006 वोटों से जीत हासिल की थी। 2015 और 2020 में CPI(ML)(L) के सत्यदेव राम ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। 2015 में उन्होंने 9584 वोट से जीत दर्ज की, वहीं 2020 में 12119 वोटों से। 2020 में दूसरे नंबर पर बीजेपी उम्मीदवार रामायण मांझी रहे, उन्हें सिर्फ 68,948 लवोलट पड़े, जबकि सत्यदेव राम को 81,067 वोट पड़े थे।
सीट का इतिहास
दरौली विधानसभा में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। CPI (ML) (L) ने 5 बार जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने 4 बार। बीजेपी और जनसंघ ने 3 बार जीत दर्ज की। जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोकदल, जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है।
- 1952 विधानसभा चुनाव: रामायण शुक्ला, कांग्रेस
- 1957 विधानसभा चुनाव: बसवन राम, जनता पार्टी
- 1957 विधानसभा उप चुनाव: राजेंद्र प्रसाद सिंह, जनता पार्टी
- 1962 विधानसभा चुनाव: रामायण शुक्ला, कांग्रेस
- 1967 विधानसभा चुनाव: कृष्णा प्रताप सिंह, जनसंघ
- 1969 विधानसभा चुनाव: लक्ष्मण राउत, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- 1972 विधानसभा चुनाव: कृष्णा प्रताप सिंह, भारतीय जनसंघ
- 1977 विधानसभा चुनाव: कांग्रेस
- 1980 विधानसभा चुनाव: चंद्रिका पांडे, कांग्रेस
- 1985 विधानसभा चुनाव: शिव शंकर यादव, लोकदल
- 1990 विधानसभा चुनाव: जनता दल
- 1995 विधानसभा चुनाव: अमर नाथ यादव, CPI (M-L) (L)
- 2000 विधानसभा चुनाव: शिव शंकर यादव, RJD
- 2005 विधानसभा चुनाव: अमर नाथ यादव, CPI (M-L) (L)
- 2010 विधानसभा चुनाव: रामायण मांझी, BJP
- 2015 विधानसभा चुनाव: सत्यदेव राम, CPI (M-L) (L)
- 2020 विधानसभा चुनाव: सत्यदेव राम, CPI (M-L) (L)