वादा- सर्किट रेट का युक्तिकरण
हम वास्तविक बाजार मूल्यों को ध्यान में रखकर दिल्ली में सर्किल रेट की व्यापक समीक्षा और युक्तिकरण करेंके ताकि संपत्ति मालिकों के हितों की रक्षा हो।
आम आदमी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता से कुल 28 वादे किए थे। इन्हीं वादों में से एक वादा दिल्ली में जमीनों के 'सर्किल रेट का युक्तिकरण' करना था। पिछले चुनाव में 'आप' का कहना था कि राजधानी में जमीनों के रेट युक्तिसंगत नहीं हैं। यानी कि जमीन के रेट को लोगों के हितों को देखते हुए इसे युक्तिसंगत किया जाएगा।
आम आदमी पार्टी ने कहा था कि वास्तविक बाजार मूल्यों को ध्यान में रखकर दिल्ली में सर्किल रेट की व्यापक समीक्षा की जाएगी और इसका युक्तिकरण करेंगे ताकि संपत्ति मालिकों के हितों की रक्षा हो सके।
कैसे निर्धारित होती है जमीन की कीमत?
दरअसल, राजधानी दिल्ली में अगर आप जमीन खरीदना चाहते या बेचना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि दिल्ली में जमीन की घोषित कीमत, रजिस्ट्रेशन चार्ज, स्टांप ड्यूटी चार्ज या दिल्ली के अलग-अलग इलाके के लिए सर्किल रेट के अनुसार कीमत निर्धारित की जाती है।
सर्किल रेट किसी इलाके में संपत्ति का न्यूनतम रेट होता है, यानी कि सर्किल रेट से कम पर जमीन या संपत्ति की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती। इसलिए इसको देखते हुए इसमें समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। दिल्ली सरकार जमीन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है, जिसे सर्किल रेट के नाम से जाना जाता है।
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दिल्ली में कैसे की जाती है सर्किल रेट की गणना?
आमतौर पर किसी भी आवासीय जमीन की तुलना में कमर्शियल जमीन का सर्किल रेट ज्यादा होता है। इसके अलावा जमीन किस तरह ही है इसके आधार पर भी सर्किल रेट अलग-अलग हो सकता है। राजधानी में सर्किल रेट से संबंधित फैसले दिल्ली सरकार लेती है, लेकिन इस फैसले पर फाइलन मुहर दिल्ली के उपराज्यपाल लगाते हैं। यानी कि अगर दिल्ली में सर्किल रेट बढ़ा है तो ये एलजी की अनुमति के बिना पास नहीं हो सकता।
सर्किल रेट क्या होता है?
जिला प्रशासन शहर में जमीन और दूसरी संपत्तियों के लिए एक मानक रेट तय करता है। यह रेट ऐसा होता है जिससे कम में जमीन की खरीद-बिक्री की रजिस्ट्री नहीं होगी। इसे ही सर्किल रेट कहते हैं। शहर बड़ा हो तो इलाके के हिसाब से रेट अलग-अलग भी हो सकता है। यही वजह है कि दिल्ली जैसे बड़े महानगर में सर्किल रेट अलग-अलग होते हैं।
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कृषि भूमि के बढ़ाए थे सर्किल रेट
दिल्ली की तत्कालीन अरविंद केजरीवाल सरकार ने साल 2023 में दिल्ली सरकार ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए कृषि भूमि के सर्किल रेट 10 गुणा तक बढ़ा दिया था। यह बढ़ोतरी लगभग 15 साल के बाद हुई थी। यह सर्किल रेट में दिल्ली में अलग-अलग इलाकों के लिए अलग-अलग तय किए गए थे। इसमें अवासीय और कमर्शियल जमीनें शामिल नहीं की गई थीं।
एलजी ने लगाई रोक
इसमें दक्षिणी दिल्ली जिला और नई दिल्ली जिला के लिए पांच करोड़ रुपये प्रति एकड़ सर्किल रेट तय किया गया था। वहीं, अन्य जिलों के लिए तीन करोड़ रुपये प्रति एकड़ से लेकर सवा दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक सर्किल रेट तय किए गए थे। दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित सर्किल रेट की फाइल को जल्द ही मंजूरी के लिए एलजी वीके सक्सेना के पास भेजा गया था, लेकिन एलजी ने संशोधित कृषि भूमि सर्किल रेट की फाइल को एक महीने बाद ही वापस दिल्ली सरकार को लौटा दी थी।
हालांकि, एलजी से मंजूरी मिलते ही नए रेट लागू हो गए होते, लेकिन उनकी आपत्ति के बाद ऐसा नहीं हो सका।
सर्किल रेट के युक्तिकरण का हाल
इसके बाद से ही आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार राजधानी में अपने पिछले वादे के मुताबिक 'सर्किल रेट का युक्तिकरण' नहीं कर पाई है। दिल्ली में पूरे बहुमत के साथ पांच साल सरकार चलाने के बाद भी पार्टी अपना वादा पूरा नहीं कर पाई है। इस बीच अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए दर्जनों वादों की झड़ी लगा दी है।
कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी का साल 2020 का वादा 'सर्किल रेट का युक्तिकरण' नहीं पूरा नहीं किया गया है।