बीजेपी ने दिल्ली का किला आखिरकार फतह कर ही लिया। 8 फरवरी को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीत लीं। इसके साथ ही बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है। पिछले दो चुनाव से 60 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बना रही आम आदमी पार्टी इस बार 22 सीटों पर सिमट गई। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे तमाम बड़े नेता चुनाव हार गए।
मगर ये सब हुआ कैसे? 2015 और 2020 के चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं करने वाली बीजेपी इस बार कैसे दो तिहाई से भी ज्यादा सीटें जीत सकी? तो इसकी वजह है गांव। बड़ी-बड़ी इमारतों और चकाचौंध दफ्तरों के बीच दिल्ली में आज भी एक बड़ी आबादी गांवों में रहती है। बीजेपी ने इसी गांव वाली दिल्ली में सेंध लगाई।
कैसे किया ये सब?
दिल्ली के गांवों में जाट और गुर्जरों की अच्छी-खासी आबादी है। बीजेपी ने इन्हें ही टारगेट किया है। दिल्ली बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हमने जाट, गुर्जर, यादव, सैनी और प्रजापति जैसी 52 ओबीसी जातियों के 24 ग्रुप बनाए। ये लगभग दिल्ली की आधी आबादी है।'
यादव बताते हैं कि 'सम्मेलनों के जरिए करीब 24 हजार लोगों तक पहुंचे। छोटी-छोटी बैठकें कीं। इन बैठकों में 10-10 लोग आते थे। करीब 65 हजार लोगों ने इन बैठकों से जुड़ी तस्वीरें-वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया और इस तरह हम करीब 1 लाख लोगों तक पहुंचे।'
गांवों में सेंध लगाने में बीजेपी को मजबूती तब मिली, जब पिछले साल 22 दिसंबर को मंगोलपुरी कलां में 360 गांवों के नेताओं ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया। उस महापंचायत में इन नेताओं ने उस पार्टी के समर्थन का ऐलान किया, जो उनकी मांगों को पूरा करेगी।
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बीजेपी को मिला 36 बिरादरी का साथ!
वोटिंग से कुछ दिन पहले 1 फरवरी को 'पालम 360' के प्रमुख सुरेंदर सोलंकी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बीजेपी को समर्थन दिया। सोलंकी का दावा है कि वो सभी 360 गांवों और उनमें रहने वाली 36 बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये शायद 'पालम 360' के साथ का ही असर था कि बीजेपी ने 18 में से 13 सीटें जीतीं। इनमें से 6 सीटों पर बीजेपी ने 50 फीसदी से ज्यादा के अंतर से चुनाव जीता। जबकि, पिछली बार सिर्फ एक ही सीट जीती थी।
ये जीत इतनी बड़ी थी कि बीजेपी के नेताओं के साथ-साथ सुरेंदर सोलंकी ने भी अगला मुख्यमंत्री ग्रामीण इलाके से होने की मांग रख दी। सोलंकी ने कहा, 'आम आदमी पार्टी का सफाया हो गया है, क्योंकि उसने हमारी बातें नहीं सुनी। हमें लगता है दिल्ली देहात से को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।'
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बीजेपी का वोट शेयर भी बढ़ा
दिल्ली की ग्रामीण बेल्ट में बीजेपी का प्रदर्शन पिछले चुनाव की तुलना में काफी बेहतरीन रहा। पिछले चुनाव में बीजेपी को रूरल बेल्ट में 38 फीसदी वोट मिले थे। इस बार उसे लगभग 45 फीसदी वोट मिले हैं। दूसरी तरफ, इन सीटों पर आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 56 फीसदी से घटकर 43 फीसदी पर आ गया।
बीजेपी ने पिछले चुनाव की तुलना में इस बार चेहरों पर भी काफी जोर दिया। अरविंद केजरीवाल के सामने जाट चेहरा प्रवेश वर्मा को टिकट दिया। नई दिल्ली सीट से प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को करीब 4 हजार वोटों से हराया।
चुनाव से कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आए कैलाश गहलोत को बिजवासन से उम्मीदवार बनाया। कैलाश गहलोत भी जाट हैं और उन्होंने यहां से आम आदमी पार्टी के सुरेंद्र भारद्वाज को 11 हजार वोटों से हराया। बीजेपी के गुर्जर चेहरा रमेश बिधूड़ी भले ही चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने कालकाजी सीट पर मुख्यमंत्री आतिशी को तगड़ी टक्कर दी।
सोलंकी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मैसेज पहुंचाने के लिए 5 वॉट्सऐप ग्रुप बनाए थे। इनसे 5 हजार लोग जुड़े थे। इनके अलावा सभी 360 गांवों के अपने-अपने वॉट्सऐप ग्रुप थे। उनका एक मैसेज घंटेभर के अंदर सभी गांवों तक पहुंच जाता था।'