दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से एक शाहदरा में हर बार मुकाबला दिलचस्प रहा है। पूर्वी दिल्ली जिले में पड़ने वाली शाहदरा विधानसभा यमुना नदी के किनारे है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सटे इस इलाके को आमतौर पर शाहदरा बॉर्डर भी कहा जाता है। शाहदरा दिल्ली के सबसे पुरानी बसाहटों में से एक है।
पूर्वी दिल्ली की सबसे पॉश कॉलोनियों में से एक विवेक विहार भी इसी सीट के अंतर्गत आती है। इसी इलाके में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं। यहां यूपी और बिहार से आए पूर्वांचलियों की भी अच्छी-खासी आबादी है।
इस बार कौन-कौन मैदान में?
आम आदमी पार्टी ने जितेंद्र सिंह शंटी को उम्मीदवार बनाया है। शंटी पहले अकाली दल में थे। बीजेपी ने संजय गोयल और कांग्रेस ने जगत सिंह को टिकट दिया है।
शाहदरा में क्या हैं मुद्दे?
दिल्ली के बाकी इलाकों में जिस तरह की समस्याएं हैं, वही शाहदरा में भी हैं। खराब सड़कें, पानी और सीवर की समस्याएं यहां आम हैं। सीवर की सही व्यवस्था न होने के कारण गंदा पानी सड़कों पर बहता दिखाई देता है। पीने के पानी की शिकायत भी यहां हैं। यहां काम करने वाले कुछ कारोबारियों का दावा है कि उन्हें बाकी इलाकों की तुलना में ज्यादा महंगी बिजली मिलती है।
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2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव में बीजेपी के संजय गोयल आम आदमी पार्टी के राम निवास गोयल से करीब 5 हजार वोटों से हार गए थे। राम निवास गोयल को 62,103 और संजय गोयल को 56,809 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार नरेंद्र नाथ सिर्फ 4,474 वोट ही हासिल कर सके थे।
क्या है इसका इतिहास?
शाहदरा सीट पर किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। 1993 में जब यहां पहली बार चुनाव हुए थे, तब बीजेपी के रामनिवास गोयल ने जीत दर्ज की थी। उनके बाद 1998 से 2008 तक लगातार 3 चुनाव में कांग्रेस के नरेंद्र नाथ ने जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव में अकाली दल के जितेंद्र सिंह शंटी यहां से जीतकर विधायक बने थे। 2015 और 2020 के चुनाव में रामनिवास गोयल ने जीत हासिल की थी।
क्या है जातिगत समीकरण?
शाहदरा विधानसभा वैश्य बहुल क्षेत्र है, इसलिए यहां कई बार रामनिवास गोयल जीतते आ रहे हैं। इस सीट पर पूर्वांचली भी निर्णायक भूमिका में हैं।