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AAP-BJP और कांग्रेस: किसके सियासी तरकश में कितने तीर?

भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के हिसाब से अपनी चुनावी रणनीति अपनाती नजर आ रही है। आखिर क्यों, आइए विस्तार से समझते हैं।

Arvind Kejriwal

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नजर में सबसे भ्रष्ट नेताओं में से एक हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें भ्रष्ट कहने के बाद भी बीजेपी अपने चुनावी घोषणापत्र में यह कह रही है कि दिल्ली सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को खत्म नहीं किया जाएगा।

दिल्ली की प्रमुख लोक कल्याणकारी योजनाओं में फ्री बिजली, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा, महिलाओं को 2100 रुपये प्रतिमाह देने वादा, मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा है। भारतीय जनता पार्टी का भी चुनावी घोषणापत्र, इन्हीं वादों के आसपास घूमता नजर आ रहा है।

अरविंद केजरीवाल निशाने पर क्यों?
साल 2011 में अरविंद केजरीवाल की छवि सत्ताविरोधी लहर को दबाने के लिए उठने वाले एक ऐसे चेहरे की थी, जिसने कांग्रेस सरकार की नाक में दम कर दिया था। उनकी छवि हीरो की तरह बनाई गई। माना गया कि वह भ्रष्टाचार खत्म करने वाले नायक हैं लेकिन साल 2013 में, 2015 में और 2020 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन पर आरोपों की झड़ी लगी।

अब बीजेपी और कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की छवि 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटने वाले भ्रष्ट राजनेता के तौर पर गढ़ी है। इस चुनाव में भी दोनों राजनीतिक पार्टियों की ओर से कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्ट राजनेता हैं, जो दिल्ली की जनता को गुमराह करने के लिए फर्जी वादे करते हैं।

मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

क्यों बदली अरविंद केजरीवाल की छवि?
गृहमंत्रालय ने ED को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। दोनों नेताओं पर करोड़ों के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के गंभीर आरोप हैं। आरोप हैं कि इन्होंने दिल्ली आबकारी नीति बनाने के लिए करोड़ों की सौदेबाजी की, धांधली हुई। महीनों तक दोनों नेता जेल में रहे। अभी दोनों नेता जमानत पर बाहर हैं।

अगर सीएम भी बने तो क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के सीएम के तौर पर किसी भी सरकारी फाइल से दूर रहने के लिए कहा था। उन्होंने जब देखा प्रतिबंध हैं तो आतिशी को सीएम के तौर पर पेश कर दिया। मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल, अभी दोनों पर ये प्रतिबंध जारी रह सकते हैं। उधर धुर विरोधी बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी को 'आपदा' सरकार बता दिया है। 

BJP को उम्मीद क्या है?
बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र को आम आदमी पार्टी पहले ही अरविंद केजरीवाल का घोषणापत्र बता चुकी है। बीजेपी की कोशिश यह है कि किसी भी तरह से यह यह संदेश दिया जाए कि अरविंद केजरीवाल जिन योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं, उन्हें बीजेपी भी जारी रखेगी। बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं से भी कह रही है कि पार्टी की ही जीत हो रही है। बीजेपी कार्यकर्ता जमीन पर यह कहते नजर आ रहे हैं कि दिल्ली में सत्ताविरोधी लहर है, एक दशक के शासन से लोग असंतुष्ट हैं, इसलिए इन्हें बाहर कर दिया जाए।

अरविंद केजरीवाल की रणनीति क्या है?
अरविंद केजरीवाल ने सधे कदमों से दिल्ली विधानभा चुनावों की पूरी सियासत बदल दी है। उन्हें जिन-जिन विधायकों के हारने का डर था, उन्हें टिकट ही नहीं दिया। जिन सीटों पर हार की गुंजाइश थी, उनकी सीटें बदल दीं। अरविंद केजरीवाल सिर्फ यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि नेता कोई भी हो, सीएम चेहरा अरविंद केजरीवाल हैं, इसलिए वोट उन्हीं के चेहरे पर मिले। 

चुनावी कैंपेन में अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

 

कांग्रेस का दांव क्या है?
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा है कि अगर सरकार बनती है तो दिल्ली के लोगों को बीमा, महिलाओं के लिए प्यारी दीदी योजना और सस्ते गैस कनेक्शन दिए जाएंगे। कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये प्रति महीने मिलेंगे। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस और बीजेपी मिलकर यह चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस की ओर से भी मुफ्त योजनाओं के वादे किए जा रहे हैं। (Photo Credit: Congress, X)

AAP के वोट बैंक को कैसे देखती है BJP?
दिल्ली विधानसभा चुनावों में जमकर जुबानी जंग छिड़ी है। बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली की गरीब आबादी, मुस्लिम और कांग्रेस के वोट बैंक को अरविंद केजरीवाल ने अपने पाले में किया है। कांग्रेस का वोट शेयर एक जमाने में 9.7 फीसदी था, जो अब घटकर 4.26 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अब बीजेपी भी इन्हीं वोटरों को साधने में लगी है।

BJP का दांव क्या है?
बीजेपी चाहती है कि मध्यम वर्गीय वोटर, इस बार भगवा पार्टी को वोट करें। झुग्गी-झोपड़ियों को साधने के लिए बीजेपी 'जहां झुग्गी, वहीं मकान' के नारे दे रही है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं ने भी अब कमान संभाल ली है। साल 1998 में बीजेपी आखिरी बात दिल्ली में सत्ता में थी। डेढ दशक शीला दीक्षित, चट्टान की तरह दिल्ली पर काबिज रहीं, उसके बाद अब अरविंद केरीवाल बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं। बीजेपी चाहती है कि अब किसी तरह एक बार फिर दिल्ली की सत्ता हासिल की जाए। 

बीजेपी ने दिल्ली के लिए आम आदमी पार्टी की तरह ही घोषणापत्र लॉन्च किया है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 10 लाख तक मुफ्त इलाज का वादा, गैस सिलेंडर का दांव, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों पर आम आदमी पार्टी के तर्ज पर ही बीजेपी ने चलने का ऐलान किया है। अटल कैंटीन योजना भी बीजेपी की ओर से इसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है। 

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता एक जनसभा में। (File Photo Credit: BJP/X)

BJP की राह में बाधा क्या है?
अलग-अलग सर्वे में दावा किया गया है कि दिल्ली में मुस्लिम वोटरों की संख्या 12 प्रतीशत से कहीं ज्यादा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुस्लिम वोटर, अब कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी के करीब गए हैं। बीजेपी मुस्लिम वोटरों से बेहद दूर है। शाहीनबाग आंदोलन के बाद से परिस्थितियां और बदल गई थीं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली में अब मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए चुप्पी भी साधी है। बीजेपी के नेता बटेंगे तो कटेंगे वाले नारे भी नहीं दे रहे हैं। भले ही बीजेपी ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन मुस्लिमों वोट बैंक पर उस तरह से जुबानी हमले भी नहीं किए जा रहे हैं। 

गृहमंत्री अमित शाह एक जनसभा में। (Photo Credit: BJP)

मुफ्त की रेवड़ियों पर क्या राजनीति हो रही है?
BJP का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की महिलाओं के लिए जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं कर पाए। पंजाब में उनकी पूर्ण बहुमत से सरकार है लेकिन वह अपने सियासी वादे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि सत्तारूढ़ दल अपने-अपने राज्यों में मुफ्त वादे कर रहे हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी का यह कहना है कि उनकी ओर से जो चुनावी वादे किए जाते हैं, वह अमल में भी आते हैं। बीजेपी के पास मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए तैयार किए गए योजनाओं का उदाहरण भी है। 

आरोप-प्रत्यारोप की जंग अब हुई दिलचस्प
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि शनिवार को अरविंद केजरीवाल के काफिले पर उनके विरोधी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा के गुंडों ने हमला बोला है। कुछ ऐसे ही आरोप बीजेपी की ओर से लगाए गए हैं। बीजेपी आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप पहले भी लगा चुकी है।  बीजेपी अब योजनाओं पर भी अरविंद केजरीवाल को घेर रही है। बीजेपी अनाधिकृत कॉलोनियों पर ध्यान दे रही है।

झुग्गी झोपड़ियों, पिछड़े इलाकों पर बीजेपी का ध्यान है। बीजेपी कार्यकर्ता लगातार उन इलाकों में जा रहे हैं, लोगों से पूछ रहे हैं कि दिल्ली के लोगों को बुनियादी सुविधाएं कब मिलेंगी। बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार पानी, बिजली और सड़क तक नहीं दे पाई है।  दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना तक आम आदमी पार्टी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। वह अरविंद केजरीवाल के आरोपों पर आए दिन सफाई दे रहे हैं। खुद राज्यपाल भी दिल्ली की गलियों में उतरे हैं, अरविंद केजरीवाल के दावों की कथित हकीकत दिखा रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा। (Photo Credit: PTI)

बीजेपी के सियासी तरकश में कई तीर हैं, जिन पर अरविंद केजरीवाल घिर सकते हैं। अरविंद केजरीवाल के पास भी ऐसे ही सियासी हथियार हैं। अब दिल्ली दोनों बड़ी पार्टियों की चुनावी जंग में किसे चुनती है, जनता इसका फैसला 5 फरवरी को कर देगी। नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।

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