साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई विधानसभा गोकलपुर दिल्ली की आरक्षित सीटों में से एक है। यह विधानसभा नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र और वैसे यमुनापार के इलाके में आती है। इस सीट पर अभी तक कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है और पिछले दो चुनावों से इस सीट पर AAP का कब्जा है। इस बार AAP ने फिर से सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया है तो बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। बीजेपी ने प्रवीण निमेष को चुनाव में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने ईश्वर बागड़ी को टिकट दिया है। इस सीट पर चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ASP (कांशीराम) ने अरविंद कुमार को उतारा है।
पूर्वी दिल्ली में आने वाली यह विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी हुई है। इस विधानसभा सीट के अंदर गोकलपुर गांव, गंगा विहार, भागीरथी विहार, जोहारीपुर, मीतनगर, शक्ति गार्डन, प्रताप नगर, सबोली गांव, मंडोली गांव, मंडोली एक्सटेंशन और हर्ष विहार जैसे इलाके आते हैं।
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गोकलपुर की समस्याएं क्या हैं?
गंदगी, टूटी सड़कें और जलभराव इस इलाके की भी समस्या हैं। कुछ इलाकों में सीवर डालने और गलियां बनाने का काम हुआ है लेकिन सफाई की समस्या अभी भी बड़ा मुद्दा है। पीने का पानी गंदा आने और संकरी गलियों में अभी भी अतिक्रमण होने की वजह से लोग हर दिन परेशान होते हैं।
विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर साल 2008 में जब पहली बार चुनाव हुए तो बहुजन समाज पार्टी के सुरेंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी। तब फतेह सिंह निर्दलीय उम्मीदवार थे और चौथे नंबर पर रहे थे। 2013 में बीजेपी के रंजीत सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़े सुरेंद्र कुमार, AAP के देवी दयाल और कांग्रेस के बलजोर सिंह को चुनाव हराकर जीत हासिल की। 2013 में सुरेंद्र कुमार फिर से BSP के टिकट पर चुनाव लड़े, तत्कालीन विधायक रंजीत सिंह बीजेपी की ओर से लड़े और 2008 में निर्दलीय उम्मीदवार रहे फतेह सिंह को AAP ने टिकट दिया। AAP के फतेह सिंह ने बंपर जीत हासिल की और सुरेंद्र कुमार तीसरे तो रंजीत सिंह दूसरे नंबर पर चले गए। 2020 में AAP ने उन्हीं सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया जो अब तक निर्दलीय या BSP उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे थे। बीजेपी ने फिर रंजीत सिंह को उतारा लेकिन वह फिर से हार गए। इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार बदल दिया है।
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2020 में क्या हुआ?
सुरेंद्र कुमार की मजबूत दावेदारी और चौधरी फतेह सिंह के विवादों को देखते हुए AAP ने इस बार सुरेंद्र कुमार पर दांव लगाया। बीजेपी ने रंजीत सिंह को, कांग्रेस ने एसपी सिंह को तो बीएसपी ने प्रवीण कुमार को टिकट दिया था। तब फतेह सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर उतर गए। AAP की रणनीति काम कर गई। सुरेंद्र कुमार को 88,452 वोट मिले और वह विजेता बने। वहीं, रंजीत सिंह 68 हजार वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। प्रवीण कुमार (BSP) को 4599 वोट और कांग्रेस के एसपी सिंह को सिर्फ 2233 वोट मिले। तत्कालीन विधायक फतेह सिंह को सिर्फ 420 वोट मिले जबकि 456 वोट तो नोटा को मिल गए थे।
गोकलपुर का समीकरण
इस विधानसभा सीट पर गुज्जर, पंडित, राजपूत और सैन समुदाय के मतदाता अच्छी-खासी संख्या में हैं। आरक्षित सीट होने की वजह से इस सीट पर उम्मीदवारों के चयन में पार्टियों को जिताऊ कैंडिडेट चुनने की वजह से ज्यादा ही माथापच्ची करनी पड़ती है। इस बार सुरेंद्र कुमार को चुनौती देने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जमकर पसीना बहा रही हैं।