बिहार के नालंदा जिले में आने वाली हिलसा विधानसभा सीट पर पिछले 20 साल से रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां कभी नीतीश कुमार की जेडीयू जीतती है तो कभी लालू प्रसाद यादव की आरजेडी। हिलसा विधानसभा में कभी कांग्रेस और जनसंघ और बीजेपी के बीच मुकाबला होता था लेकिन 1985 के बाद से यहां दोनों ही पार्टियां कभी जीत नहीं सकी हैं।
हिलसा विधानसभा की खास बात यह है कि यह दो प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों- पाटलिपुत्र और नालंदा के काफी करीब है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में होने कारण हिलसा विधानसभा में जेडीयू का प्रभाव है। 2005 से 2020 तक हुए 5 विधानसभा चुनावों में 4 बार जेडीयू ही जीती है।
मौजूदा समीकरण
हिलसा विधानसभा में मुस्लिम, यादव, कुर्मी और पिछड़ा वर्ग के समुदाय का अच्छा-खासा प्रभाव है। इनके अलावा पासवान, रविदास और भूमिहार वोटरों की भी अच्छी-खासी आबादी है। यहां दो दशक से जेडीयू और आरजेडी के बीच मुकाबला होता रहा है। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले में होने के बावजूद 2020 का चुनाव जेडीयू ने सिर्फ 12 वोटों के अंतर से जीता था। लंबे समय से सत्ता में होने के कारण इस बार यहां एंटी-इन्कम्बैंसी फैक्टर भी काम कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह सीट जेडीयू के हाथ से जा सकती है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में हिलसा में जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। जेडीयू उम्मीदवार कृष्णमुरारी शरण ने मात्र 12 वोटों से आरजेडी के अत्रि मुनि को हराकर जीत हासिल की थी। कृष्णमुरारी शरण को 61,848 और अत्रि मुनी को 61,836 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर एलजेपी के कुमार सुमन सिंह रहे थे, जिन्हें 17,471 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
कृष्ण मुरारी शरण कुर्मी समुदाय से आते हैं। यह जेडीयू के स्थानीय नेता हैं। इन्हें प्रेम मुखिया भी कहा जाता है। 2020 में जेडीयू ने इन पर भरोसा जताया था। उन्होंने मात्र 12 वोटों से जीत हासिल की थी, जिस पर विवाद भी हुआ था।
हाल ही में कृष्ण मुरारी तब चर्चा में आए थे, जब वह बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार के साथ मलावां गांव पहुंचे थे और गांववालों ने लाठी-डंडों से उनपर हमला कर दिया था। अगस्त में गांव में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ही कृष्ण मुरारी और श्रवण कुमार गांव पहुंचे थे लेकिन लोग उनसे नाराज थे, जिस कारण उन पर हमला कर दिया। इसके बाद दोनों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था।
2020 में चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में कृष्ण मुरारी ने अपने पास 3.07 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। वह 12वीं पास हैं और उनके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है।
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विधानसभा का इतिहास
हिलसा सीट पर 1957 से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर बीजेपी आखिरी बार 1980 और कांग्रेस 1985 के चुनाव में जीती थी।
- 1957: लाल सिंह त्यागी (कांग्रेस)
- 1962: जगदीश प्रसाद (जनसंघ)
- 1967: अवधेश कुमार सिंह (कांग्रेस)
- 1969: जगदीश प्रसाद (जनसंघ)
- 1972: नवल किशोर सिन्हा (कांग्रेस)
- 1977: जगदीश प्रसाद (जनता पार्टी)
- 1980: जगदीश प्रसाद (बीजेपी)
- 1985: सुरेंद्र प्रसाद तरूण (कांग्रेस)
- 1990: किशनदेव सिंह यादव (इंडियन पीपुल्स फ्रंट)
- 1995: बैजू प्रसाद (जनता दल)
- 2000: रामचरित्र प्रसाद सिंह (समता पार्टी)
- 2005: रामचरित्र प्रसाद सिंह (जेडीयू)
- 2005: रामचरित्र प्रसाद सिंह (जेडीयू)
- 2010: उषा सिन्हा (जेडीयू)
- 2015: शक्ति सिंह यादव (आरजेडी)
- 2020: कृष्णमुरारी शरण (जेडीयू)