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'रोटी, माटी और बेटी', कैसे BJP का एक नारा बना झारखंड का चुनावी मुद्दा?

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव 2024 को रोटी, माटी और बेटी बचाने का चुनाव बता रही है। आखिर क्यों, आइए समझते हैं।

Himanta Biswa Sarma

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा एक चुनावी जनसभा में। (तस्वीर-PTI)

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्ष नेतृत्व का दावा है कि झारखंड में रोटी, माटी और बेटी संकट में है, जिन्हें बचाने के लिए मौजूदा सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार की विदाई जरूरी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से लेकर प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी तक, इसी चुनावी नारे के इर्दगिर्द चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि झारखंड में अवैध घुसपैठियों ने झारखंड की आदिवासी आबादी की प्रकृति ही बदल दिया है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में यहां की बहुसंख्यक आबादी, अल्पसंख्यक हो जाएगी। यह दावा, सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की ओर से बार-बार दोहरा जा रहा है।

घुसपैठियों को समाज के लिए खतरा बता रहे हिमंता 
रविवार को ही एक चुनवी जनसभा में सीएम हिमंता ने दावा किया कि  बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड की संस्कृति और समाज के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। सीएम हिमंता का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सरकार घुसपैठ को संरक्षण देती है। वे गोड्डा में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। 

बीजेपी नेताओं के दावे क्या हैं?
झारखंड बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड में घुस रहे हैं, आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं और उनकी जमीनें हड़प रहे हैं। वे जमीन और लव जिहाद की कला जानते हैं। वे हमारे समाज और संस्कृति के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।' कुछ ऐसे ही दावे पीएम मोदी और अमित शाह भी कर चुके हैं। सीएम योगी भी इसी तरह के दावे कर चुके हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता ने दावा किया, 'आज इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 1951 में 90 प्रतिशत से घटकर 67 प्रतिशत रह गई है, जबकि इस अवधि में मुस्लिम आबादी बढ़कर 31 प्रतिशत हो गई है। झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार वोट बैंक के लिए घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है।'

'रोटी, माटी और बेटी' क्यों बना बीजेपी का चुनावी नारा?
बीजेपी हेमंत सोरेन सरकार पर आरोप लगा रही है कि राज्य में रोजगार के पर्याप्त अवसर यह सरकार नहीं दे रही है। इसकी वजह से झारखंड के लोगों को पलायन करना पड़ रहा है, जबकि सबसे ज्यादा प्राकृतिक संसाधन इसी राज्य के पास हैं। बीजेपी का यह भी आरोप है कि झारखंड के आदिवासी जमीनों को बाहरी लोग खरीद रहे हैं। वे जमीन की प्रकृति को ही आदिवासी जमीन से बदलकर, सामान्य जमीन बता दे रहे हैं, जिससे की स्थानीय भूमि कानून लागू ही न होने पाएं।



बीजेपी का कहना है कि घुसपैठिया समाज, यहां पैसों के दम पर अपनी जमीनें बना रहा है और मासूम आदिवासियों की जमीनें छीनी जा रही हैं। बीजेपी का यह भी कहना है कि घुसपैठिए, आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं, उन्हें लव जिहाद में फंसा रहे हैं, उनके नाम से जमीनें खरीद रहे हैं, प्रधानी और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा रहे हैं और राजनीति में अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं। आदिवासी जनता का वे शोषण कर रहे हैं और कर्ज के दलदल में फंसाकर उनकी जमीनें हड़प रहे हैं।



झारखंड की राजनीति पर नजर रखने वाले सीनियर पत्रकार आनंद दत्त बताते हैं कि झारखंड में कुछ महीने पहले तक एंटी इनकंबेंसी जैसी चीज नहीं थी। बीजेपी की इसी आक्रामक रणनीति के चलते राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी देखने को मिल रही है। देखने वाली बात ये है कि बीजेपी इन मुद्दों को भुना पाती है या नहीं। 

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