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29 साल का वो लड़का, जिसके चलते झारखंड में चूक गई BJP

जयराम कुमार महतो, झारखंड की सियासत के सबसे नए चेहरे हैं। वह लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

Jairam Mahto

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के नेता जयराम महतो।

जयराम कुमार महतो। उम्र 29 साल, असर झारखंड की 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर। चुनाव आयोग के आंकड़ों को अगर देखें तो साफ नजर आ रहा है कि अगर उनकी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JKLM) को जितने वोट मिले हैं, अगर उतने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को जाते तो यह गठबंधन 24 पर नहीं सिमटता।


जयराम महतो का चुनावी हलफनामा बाता है कि उनके पास सिर्फ 38000 रुपये कैश नामांकन दाखिल करते वक्त थे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक खाते में 9028 रुपये, दूसरे में 20155 रुपये। खाते दो और भी हैं, जिनमें क्रमश: 12674 रुपये और एक 5000 रुपये हैं। वह झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के अध्यक्ष हैं, उन्होंने 81 में से कुल 73 सीटों पर पर चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर ही हासिल हुई। 

 

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने झारखंड की 12 से ज्यादा सीटों पर हार-जीत को प्रभावित किया है। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) एनडीए की सहयोगी पार्टी रही है, सबसे ज्यादा चोट, JLKM ने इसी पार्टी को पहुंचाई है। साल 2014 में आजसू और बीजेपी ने एक साथ चुनाव लड़ा था और सत्ता में आए थे। 2019 के नतीजों से सबक लेते हुए बीजेपी ने इस बार साथ चुनाव लड़ा तो भी वोट ट्रांसफर नहीं हुए। 

किन सीटों पर जयराम महतो ने बिगाड़ा गेम?
अब आइए जानते हैं कि किन सीटों पर जयराम की महतो की पार्टी ने एनडीए को नुकसान पहुंचाया है। टुंडी सीट पर जीत झारखंड मुक्ति मोर्चा की हुई है लेकिन बीजेपी उम्मीदवार सिर्फ 25603 वोटों से चुनाव हारी है। इस सीट पर JLKM  को 44464 वोट पड़े हैं।  ईचाढ़ में भी आंकड़े कुछ ऐसे ही हैं। 

JMM जीती लेकिन जीत का अंतर सिर्फ 26523 रहा। JLKM को पड़े वोटों की संख्या 41138 थी। तमाड़, सिल्ली, बेरमो, चंदनकियारी, मांडु, बाघमारा और खिजरी सीटे हैं। खिजरी में कांग्रेस को कुल 12834 वोट पड़े, बीजेपी को 94274 और जीत का अंतर रहा 28560।

जयराम महतो की चुनावी सभाओं में खूब भीड़ उमड़ी।



जयराम कुमार महतो न डुमरी विधानसभा में 10945 मतों से जीत हासिल की। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की बेबी देवी को हराया है। जयराम महतो को कुल 94496 मत पड़े, वहीं बेबी देवी को 83551 वोट पड़े। तीसरे स्थान पर अजसू पार्टी की उम्मीदवार यशोदा देवी थीं। उन्हें कुल 35890 वोट पड़े थे। 

जयराम महतो हैं कौन?
जयराम महतो को उनके समर्थक टाइगर महतो भी कहते हैं। साल 1995 में जन्मे जयराम के पिता का नाम कृष्ण प्रसाद महतो है। वे किसी बड़े सियासी परिवार से नहीं आते हैं, न ही उनके पास बड़े संसाधन हैं। उनके साथी मनजीत बताते हैं कि जयराम विकास की राजनीति करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि झारखंड में इतना रोजगार हो कि लोगों को यहां से पलायन न करना पड़े। 

साल 2022 में पहली बार वे चर्चा में आए। राज्य स्तरीय परीक्षाओं में भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी भाषाओं को 11 जिलों में लिस्ट किए जाने के खिलाफ उन्होंने विरोध छेड़ दिया था। उनका कहना था कि झारखंड की स्थानीय भाषा को इसमें शामिल किया जाए, यहां के मूल लोगों की भलाई के लिए काम हो, स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिले, जिससे उन्हें बाहरी राज्यों में जाकर न बसना पड़े। 

गाड़ियों पर चढ़कर जनसभा संबोधित करने में माहिर हैं जयराम महतो। (तस्वीर- जयराम महतो, फेसबुक)

जून 2024 में जयराम महतो और कुछ छात्र नेताओं ने झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति बनाई। समिति का काम स्थानीयता को बढ़ावा देना, स्थानीय हितों की सुरक्षा और उनके लिए काम करना था। भाषाई आंदोलन को लेकर शुरू हुई इस समिति का संघर्ष ऐसा रहा कि भाषा संबंधी बदलाव लागू करने पड़े, 1932 के भूमि रिकॉर्ड दिखाने वाले आदेश को भी वापस लेना पड़ा। 

कैसे राजनीति में उतरे जयराम महतो, बनाई पार्टी?
जयराम महतो अगस्त 2024 से सियासत में उतरे। उन्होंने चुनाव आयोग में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा नाम से पार्टी रजिस्टर कराई। वे स्थनीय गौरव, पहचान और झारखंड को लेकर अपनी आवाज उठाने लगे। उन्होंने कई समर्थक जुटाए। वे राज्य में तेजी से लोकप्रिय होने लगे। उन्होंने वादा किया कि अगर चुनकर आते हैं तो अपने वेतन का 75 फीसदी हिस्सा, जनहित के कार्यों में खर्च करेंगे। 

किन वादों के सहारे चर्चा में आई पार्टी?
जयराम महतो की पार्टी का दावा है कि अगर उनकी सरकार बनी तो एंटी करप्शन ब्यूरो का गठन करेंगे, जिला और ब्लॉक स्तर पर इस ब्यूरो के कार्यालय रहेंगे। निवास आधारित रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर ही लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा। कुड़मी महतो समाज के हितों की रक्षा की जाएगी। राज्य में इस समुदाय की आबादी 15 फीसदी है। 

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