बिहार का कटिहार शहर मगध साम्राज्य से लेकर बंगाल के पाल वंश और फिर बख्तियार खिलजी के राज का साक्षी रहा है। यही वजह है कि यहां अलग-अलग संस्कृतियों की झलक एक साथ देखने को मिलती है। जहां मिथिला पेंटिंग इसे मैथिलों से जोड़ती है वहीं यहां बसने वाली एक बड़ी बंगाली आबादी से पश्चिम बंगाल के त्योहारों और रीति-रिवाजों की झलक दिखती है। कटिहार खूबसूरत झीलों के साथ-साथ अब मखाना उद्योगों के चलते भी अपनी पहचान बना रहा है। यहां बनी कॉटन की साड़ियां बांग्लादेश से लेकर नेपाल तक पहुंचती हैं।
आबादी के लिहाज से यहां 76 फीसदी हिंदू और 22 फीसदी मुस्लिम हैं। कटिहार की विधानसभा सीट बिहार की सबसे पुरानी सीटों में से एक है। इस पर कांग्रेस, BJP से लेकर कम्युनिस्ट, जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का राज रहा है।
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मौजूदा समीकरण
2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के तारिक अनवर ने जीत हासिल की थी। इसका बहुत ज्यादा असर 2025 के विधानसभा चुनाव पर कम ही पड़ने की उम्मीद है। वजह यह है कटिहार विधानसभा से तारिक की बजाय JDU के उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिले थे।
कटिहार विधानसभा सीट पर BJP के तारकिशोर प्रसाद का दबदबा है। तारकिशोर पिछले 4 चुनाव से इस सीट को जीतते रहे हैं। इस बार भी पार्टी उन पर दांव लगा सकती है। हालांकि, एंटी इनकंबेंसी तारकिशोर के लिए बड़ी चुनौती भी हो सकती है।
2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव में महागठबंधन की तरफ से यह सीट RJD को मिली थी। हालांकि, तारकिशोर ने RJD के उम्मीदवार राम प्रकाश महतो को लगभग 10 हजार वोटों से हरा दिया था।
इस सीट पर NCP ने भी चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह कुछ खास वोट नहीं बटोर सकी।
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कटिहार की सीट पर तारकिशोर और राम प्रकाश महतो के बीच की टक्कर काफी पुरानी है। 2000 में यह सीट राम प्रकाश महतो के पास थी। 2005 में राम प्रकाश महतो ने यह सीट जीती थी लेकिन उपचुनाव में वह तारकिशोर से हार गए। हालांकि, दोनों के बीच सिर्फ 165 वोट का अंतर था।
विधायक का परिचय
छात्र राजनीति से पॉलिटिक्स में एंट्री करने वाले तारकिशोर प्रसाद बिहार के 5वें उप- मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। प्रसाद की गिनती बिहार में BJP के बड़े नेताओं में होती है। वह RSS के सक्रिय सदस्य रहे हैं। उन्होंने पहला चुनाव 2005 में लड़ा था। वह बिहार फाइनेंस और कमर्शियल टैक्स के साथ-साथ अर्बन डेवलेपमेंट मिनिस्टर भी रह चुके हैं।
तारकिशोर ने 2020 के हलफनामे में अपनी संपत्ति 1 करोड़ 90 लाख के करीब बताई है। उनके खिलाफ कटिहार कोर्ट में एक मामला लंबित है। वह अपनी आय का मुख्य साधन कृषि और व्यापार को बताते हैं। कटिहार के व्यापारियों के बीच तारकिशोर की पकड़ काफी अच्छी मानी जाती है। 2001 में वह कटिहार में चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष भी रहे हैं।
विधानसभा सीट का इतिहास
कटिहार सीट 1957 में बनी थी। BJP और कांग्रेस के अलावा CPI, जनता दल, RJD और लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी भी इस सीट को जीत चुकी है।
- 1957- बाबुलाल मांझी, सुखदेव नारायण सिंह (INC)
- 1962- सुखदेव नारायण सिंह (INC)
- 1967- जगबंधू अधिकारी (जनसंघ)
- 1969- सत्य नारायण बिस्वास (लोकतांत्रिक कांग्रेस)
- 1972- राज किशोर प्रसाद सिंह (CPI)
- 1977- जगदबंधू अधिकारी (जनता पार्टी)
- 1980- सीताराम चमारिया (INC)
- 1985- सत्य नारायण प्रसाद (INC)
- 1990- रामप्रकाश महतो (जनता दल)
- 1995- जनदबंधू अधिकारी (BJP)
- 2000- राम प्रकाश महतो (RJD)
- 2005- राम प्रकाश महतो (RJD)
- 2005- तारकिशोर प्रसाद (BJP) उपचुनाव में जीते
- 2010- तारकिशोर प्रसाद (BJP)
- 2015- तारकिशोर प्रसाद (BJP)
- 2020- तारकिशोर प्रसाद (BJP)