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'न पानी न बिजली', दिल्ली का गांव जहां नाव के जरिए ही पहुंच सकते हैं

दिल्ली में एक ऐसा गांव है जहां सिर्फ नाव के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। इस गांव में न बिजली है न पानी। लोगों की हालत काफी दयनीय है।

Representational Image। Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और कई सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी अपने विकास कार्यों का ढोल पीट रही है, लेकिन दिल्ली में ही एक गांव ऐसा भी है जहां तक पहुंचने का कोई सहारा नहीं है सिवाय नाव के। गांव का नाम है चिल्ला खादर।


यहां की हालत यह है कि बच्चों को पढ़ने के लिए भी नाव के जरिए ही जाते हैं और लोगों को कमाने जाने के लिए भी नाव का ही सहारा लेना पड़ता है।

गांव के प्रधान ने क्या कहा

गांव के प्रधान सुरेश साहनी ने खबरगांव को बताया कि इस गांव तक आने जाने के लिए एक तो नाव का रास्ता है और जो दूसरा रास्ता है वह  कच्चा रास्ता है. दूसरा रास्ता काफी लंबा है और वह कुछ ऐसे सुनसान जगह से भी गुजरता है जहां रास्ते में कुत्ते वगैरह भी परेशान करते हैं इसलिए उस रास्ते से जाना काफी मुश्किल है।

पटपड़गंज में पड़ता है गांव

यह गांव पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां पर अभी तक दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया विधायक थे. अब इस सीट से आम आदमी पार्टी से अवध ओझा चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधान सुरेश साहनी ने कहा कि नेता लोग आते हैं वोट मांगने के लिए और आश्वासन भी देते हैं कि पक्की रोड बनवा देंगे लेकिन पिछले 30 साल से कुछ नहीं हुआ। इस गांव में 250-300 परिवार रहते हैं।

ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर

यहां पर रहने वाले ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। यहां पर रहने वाले काफी लोग बाहर से आए हैं। यह क्षेत्र यमुना के डूब क्षेत्र में आता है। जब यमुना में बाढ़ आती है तो ये लोग ऊपरी इलाकों में चले जाते हैं जहां पर सरकार के कैंप में रहते हैं और जब पानी नीचे उतरता है तो ये लोग दोबारा लौट आते हैं।

 

इसके अलावा यमुना के डूब क्षेत्र की जमीन पर ये खेती भी करते हैं लेकिन खास बात यह है कि यह खेती ये लोग किसी और के लिए करते हैं अपने लिए नहीं। यानी कि ये उस खेत पर मजदूर हैं न कि मालिक। सवाल यह भी है कि अगर यह सरकारी जमीन है तो इस पर मालिकाना हक किसका है और इनसे उस जमीन पर खेती करवाता है?

 

बच्चों ने छोड़े स्कूल

तमाम बच्चों ने आने जाने का रास्ता न होने की वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया है। एक लड़की ने खबरगांव को बताया कि उसके पास पैसे नहीं थे इसलिए हायर एजुकेशन के लिए वह एडमिशन नहीं ले पाई। उसके परिवार को महीने की कुल इनकम 7-10 हजार रुपये है।

क्या कहती है सरकार

इस गांव में कोई विकास न होने के पीछे सरकार का कहना है कि यह गांव अवैध ज़मीन पर बना हुआ है,लेकिन फिर सवाल है कि इस गांव के लोगों का वोट कैसे है।


अवैध गांव होने का मतलब है कि यहां के लोग भी अवैध रूप से रह रहे हैं तो फिर इस पते पर उनका वोटर कार्ड कैसे बन सकता है।

पानी से हो रहे बीमार

पानी की स्थिति ऐसी है कि लोग पीकर बीमार पड़ रहे हैं। उन्हें पीने के लिए खरीद के पानी पीना पड़ रहा है। एक महिला ने खबरगांव को बताया कि गंदा पानी पीने पर अक्सर पेट में दर्द होता है और अस्पताल जाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि रोजाना उन्हें एक परिवार के लिए लगभग दो बोतल पानी लेना पड़ता है जिससे रोज़ के उन्हें 40 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उनकी रोज की आय 100 से 150 रुपये है ऐसे में उनके लिए पानी पर इतना पैसा खर्च करना आसान नहीं है।

 

लोगों को कहने को गैस का कनेक्शन भी मिला है लेकिन अभी भी लोग चूल्हे का प्रयोग करते हैं क्योंकि उनके पास पैसे नहीं हैं।

 

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में किसकी योजना दमदार, किस पार्टी को मिलेगा महिलाओं का साथ?

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