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ओम प्रकाश राजभर का बड़ा फैसला, NDA से अलग होकर लड़ेंगे बिहार चुनाव

उत्तर प्रदेश के मंत्री ओम प्रकाश राजभर NDA से अलग होकर बिहार चुनाव में अपने 64 प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करेंगें।

Om Prakash Rajbhar

ओम प्रकाश राजभर, Photo Credit- Social Media

उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर NDA गठबंधन से अलग होकर बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार करने उतरेंगें। इन चुनावी जनसभाओं में वह लोगों से NDA और महागठबंधन के बजाय अपने उम्मीदवारों को वोट देने के लिए कहेंगे। उन्होंने चुनाव में 64 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।

 

ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी रही है। पहले माना जा रहा था कि राजभर की पार्टी भी NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी पर ऐसा हुआ नहीं।

 

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नाराज क्यों है राजभर

खबरों के मुताबिक ओपी राजभर 4-5 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें गठबंधन में उतनी सीटें नहीं मिलीं, जिस कारण सीट पर समझौता नहीं हो पाया, इसलिए उन्होंने अकेले ही मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। राजभर का आरोप है कि बिहार बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने जानबूझकर गठबंधन के केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह किया और उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं दी।

 

ओपी राजभर का दावा है कि बिहार के राजभर, प्रजापति और राजवंशी जैसी अति पिछड़ी जातियों में उनकी पार्टी का अच्छा खासा जनाधार है। वे बीजेपी पर इन जातियों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हैं। उनका कहना है कि जब राजनीतिक हिस्सेदारी (यानी, चुनाव लड़ने के लिए टिकट) देने की बात आती है तो पार्टी मुकर जाती है।

 

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'जूता मारकर भगा देते हैं'

राजभर ने नाराजगी जाहिर करते हुए यहां तक कहा था कि जब बीजेपी को उपचुनावों में मदद की जरूरत होती है, तो वे समर्थन मांगते हैं, लेकिन जब हिस्सेदारी की बात आती है, तो 'जूता मारकर भगा देते हैं'। आगे उन्होंने कहा कि लोगों को अशिक्षित बनाकर और गुलाम बनाकर रखा हुआ है। अब इस बार बिहार के लोगों में जागरूकता आई है।

 

विधानसभा चुनावों में पार्टियां बहुत कम वोटों के अंतर से हार या जीत जाती हैं। कुछ हजार वोटों पर भी पार्टी के प्रभाव से नतीजे में काफी कुछ बदल सकता है। सुभासपा की एंट्री से सबसे ज्यादा असर कुछ सीटों पर पड़ सकता है। जैसे सिवान और छपरा की सीटें, गोपालगंज जिले की सीटें, नरकटियागंज (प. चंपारण), बेतिया, बगहामोतिहारी, ढाका, कैमूर और रोहतास क्षेत्र की कुछ सीटें, केसरिया (पू. चंपारण), कुशीनगर की सीमा से सटे इलाके हैं जहां इसका असर हो सकता है।

करेंगे चुनाव प्रचार

2 नवंबर को बक्सर जिले के राजपुर और दरौली विधानसभा क्षेत्र में वह चुनावी सभा करेंगे। 7 नवंबर को रजौली, सासाराम, चैनपुर तथा पूर्णिया में चार चुनावी सभाएं करेंगे। 8 नवंबर को वह रामनगर और दाउदनगर में जनसभाओं के माध्यम से 10 क्षेत्रों के मतदाताओं को साधने की कोशिश करेंगे।

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