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SIR: बिहार में किसी पार्टी ने नहीं दर्ज कराई आपत्ति, ECI ने दिया डेटा

बिहार में SIR के मुद्दे को लेकर विपक्ष हमलावर तो है लेकिन इस पर आपत्ति नहीं जता रहा है। चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक किसी भी पार्टी ने इसे लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।

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बिहार विधानसभा में SIR के खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन। (Photo Credit: PTI)

बिहार में चुनाव से पहले हुए वोटर रिविजन यानी SIR के मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां खूब हल्ला कर रहीं हैं। बिहार विधानसभा से लेकर देश की संसद तक SIR के मुद्दे पर चर्चा की मांग राजनीतिक पार्टियों की ओर से की जा रही है। बुधवार को भी संसद परिसर में इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने SIR पर चर्चा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने 'वोट चोर, गद्दी छोड़' और 'SIR वापस लो' जैसे नारे भी लगाए। हालांकि, विपक्षी पार्टियों का यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ सड़क और संसद में ही दिख रहा है लेकिन इस पर किसी भी पार्टी की ओर से चुनाव आयोग के सामने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।

 

दरअसल, चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट रोल जारी किया था। इसके बाद 1 अगस्त से 1 सितंबर तक इसे लेकर दावे-आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। चुनाव आयोग का कहना है कि पांच दिन बाद भी किसी भी पार्टी की तरफ से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।

 

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3,600 आपत्तियां, लेकिन पार्टी से एक भी नहीं

चुनाव आयोग हर दिन SIR को लेकर बुलेटिन जारी करता है। इसमें बताया जाता है कि कितने लोगों ने वोटर लिस्ट को लेकर आपत्ति जताई है।

 

बुधवार को जारी बुलेटिन में चुनाव आयोग ने बताया है कि 1 अगस्त से लेकर 6 अगस्त की सुबह 9 बजे तक वोटर लिस्ट को लेकर 3,659 आपत्तियां आ चुकी हैं। यह सभी आपत्तियां आम लोगों की तरफ से दर्ज कराई गई हैं।

 

 

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में सभी राजनीतिक पार्टियों के 1.60 लाख बूथ लेवल एजेंट (BLA) हैं। इनमें से एक भी BLA की ओर से वोटर लिस्ट को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।

 

आयोग ने बताया है कि 1 अगस्त से लेकर 6 अगस्त की सुबह 9 बजे तक 19,186 फॉर्म-6 भरे गए हैं। फॉर्म-6 वोटर लिस्ट में नया नाम जुड़वाने के लिए होता है। 

 

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1 अगस्त को जारी हुआ था ड्राफ्ट

बिहार में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं। इससे पहले स्पेशल इंसेटिव रिविजन यानी SIR की प्रक्रिया शुरू की गई। यह प्रक्रिया 24 जून से 25 जुलाई तक चली। 

 

SIR की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 1 अगस्त को चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी किया था। इसमें बिहार में 7.89 करोड़ पात्र वोटर्स में 65.63 लाख का नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो गया था। अब बिहार में 7.24 करोड़ वोटर्स ही योग्य हैं। 

 

चुनाव आयोग ने बताया था कि जिन 65.63 लाख लोगों के नाम इससे हटे हैं, उनमें से 22.34 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 36.28 लाख वोटरों ने अपना पता बदल लिया है। जबकि 7 लाख से ज्यादा वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम दो जगह पाए गए हैं, इसलिए उनका नाम हटा दिया गया है।

 

हालांकि, यह अभी ड्राफ्ट है। 1 सितंबर तक इसे लेकर दावे-आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि किसी भी आपत्ति को 7 दिन के भीतर निपटाना होगा। इसके बाद फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।

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