बिहार का पूर्वी चंपारण जिला, एतिहासिक जिलों में शुमार है। इस जिले में कुल 12 विधानसभा सीटें आती हैं, इन्हीं में से एक सीट पिपरा विधानसभा है। पिपरा से भारतीय जनता पार्टी के श्याम बाबू यादव विधायक हैं। इस विधानसभा की सीट संख्या 17 है। यह विधानसभा सीट सामान्य है। पिपरा नेपाल सीमा के करीब है। यह विधानसभा, मोतिहारी जिला मुख्यालय से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गंगा का मैदानी इलाके में बसा है। यहां से गंडक और बूढ़ी गंडक नदियां होकर गुजरती हैं।
पिपरा विधानसभा सीट, बिहार की पिछड़ी विधानसभा सीटों में से एक है। पहले यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, अब यह सामान्य सीट है। साल 2008 के परिसीमन के बाद मेहसी, चकिया, तेतरिया ब्लॉक को मिलाकर यह विधानसभा अस्तित्व में आई। यह विधानसभा तिरहुत मंडल के अंतर्गत आती है।
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इतिहास क्या है
यह विधानसभा पूर्वी चंपारण का हिस्सा है, जो देश के पौराणिक शहरों में से एक है। भागवत और दूसरे पुराणों में जिस ध्रुव का जिक्र आता है, उनके पिता राजा उत्तानपाद ने यहां ज्ञान प्राप्ति के लिए तपस्या की थी। यहीं से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी। यह तिरहुत प्रदेश का अंग था। इसे जानकीगढ़ और जानकीगढ़ भी कहते हैं। यह वैशाली साम्राज्य का भी हिस्सा रहा है।
मुद्दे क्या हैं?
यहां की ज्यादातर आबादी ग्रामीण है। कुछ इलाकों में जूट की भी खेती होती है। हर बार की बारिश में यहां बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है। पलायन और रोजगार भी यहां की स्थाई समस्या है।
जातीगत समीकरण क्या हैं?
यह विधानसभा मिश्रित आबादी वाली विधानसभा सीट है। यहां यादव, क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य मतदाता प्रभावी हैं। दलित वोटर यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
2020 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
यह सीट अभी भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है। यह सीट वाम दलों के दबदबे वाली सीट रही है लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से राजमंगल प्रसाद दूसरे स्थान पर हैं। यहां करीब 80,410 वोट उन्हें पड़े थे। अगर सीट बंटवारे में यह सीट सीपीआई (एम) के खाते में जाती है तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। यहां की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण है।
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2020 का चुनाव कैसा था?
साल 2020 में इस विधानसभा सीट से एनडीए की ओर से श्याम बाबू प्रसाद यादव चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्हें कुल 88587 वोट मिले थे। सीपीआई (एम) के राजमंगल प्रसाद को 80410 वोट पड़े थे। करीबी मुकाबले में उनकी हार हुई थी। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार अवधेश प्रसाद कुशवाहा थे।
साल 2015 के चुनाव में भी श्याम बाबू प्रसाद ने जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 65552 वोट पड़े थे। जेडीयू उम्मीदवार कृष्ण चंद्र हार गए थे। तीसरे नंबर पर सीपीआई (एम) के राज मंगल प्रसाद थे। साल 2015 में एनडीए बंट चुकी थी, नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जेडीयू, महागठबंधन का हिस्सा थी।
विधायक का परिचय
श्याम बाबू प्रसाद यादव बिहार बीजेपी के चर्चित नेता हैं। साल 2015 में वह पहली बार चुनाव जीते थे। उन्होंने पढ़ाई महाराजा हरेंद्र किशोर कॉलेज से की है। चकिया में उनका स्थाई निवास है। उन्होंने अपनी कुल आय 1 करोड़ 33 लाख घोषित की है। उनके खिलाफ 2 केस चल रहे हैं। पेशे से वह कृषक रहे हैं।
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पिपरा विधानसभा सीट का इतिहास
पिपरा विधानसभा सीट से साल 1957 में पहली बार गंगा नाथ मिश्रा विधायक चुने गए थे। साल 1962 इस सीट से सत्यदेव प्रसाद चौधरी चुने गए थे। साल 1967 और 69 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बीगू राम चुने गए। साल 1972 और 77 के चुनाव में तुलसी राम इस विधानसभा सीट से चुने गए थे। साल 2015 और 2020 में यहां से श्याम बाबू यादव विधायक चुने गए थे।
- 1957: गंगा नाथ मिश्रा- CPI
- 1962: सत्यदेव प्रसाद चौधरी- कांग्रेस
- 1967: बिगू राम कांग्रेस
- 1969: बीगू राम कांग्रेस
- 1972: तुलसी राम CPI
- 1977: तुलसी राम- CPI
- 1980: नंद लाल चौधरी- कांग्रेस
- 1985: नंद लाल चौधरी- कांग्रेस
- 1990: सहदेव पासवान- जनता दल
- 1995: सहदेव पासवान- जनता दल
- 2000: सुरेंद्र कुमार चंद्रा- राष्ट्रीय जनता दल
- 2005: कृष्णनंदन पासवान- भारतीय जनता पार्टी
- 2010: अवधेश प्रसाद कुशवाहा- JDU
- 2015: श्याम बाबू प्रसाद यादव- BJP
- 2020: श्याम बाबू प्रसाद यादव- BJP