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क्या पीएम की मां पर दिया गया बयान बिहार में राहुल पर भारी पड़ जाएगा?

ऐसा लग रहा था कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा उनके लिए फायदेमंद साबित हो जाएगी, लेकिन पीएम मोदी की मां पर टिप्पणी के बाद इस पर पानी फिरता हुआ दिख रहा है।

वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी । Photo Credit: PTI

वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी । Photo Credit: PTI

संजय सिंह । राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा कई मायनों में पार्टी के लिए उपयोगी रही। पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी लीड रोल में रहे। जिन लोगों के मन में यह भ्रम था कि कांग्रेस, आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी है, उनका भ्रम भी टूट गया। दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक कांग्रेस की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे थे, लेकिन दरभंगा की घटना ने किए-कराए पर पानी फेर दिया। एनडीए प्रधानमंत्री की मां को गाली दिए जाने के मामले को जोर-शोर से उछाल रही है। चार सितंबर को पांच घंटे का बिहार बंद एनडीए के लिए परीक्षा की घड़ी है। यदि बंद को व्यापक समर्थन मिलता है तो यह माना जाएगा कि प्रधानमंत्री की मां को गाली देने का मामला लोगों के दिल-दिमाग में बैठ चुका है।

 

इस बीच बिहार के प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा है कि किसी की मां के बारे में गलत बोलना शोभनीय नहीं है। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस मामले में अब तक मौन है। मालूम हो कि महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत दलित नेता स्वर्गीय जगजीवन राम के क्षेत्र सासाराम से की गई थी। यह पहला मौका था कि इस यात्रा की कमान राहुल गांधी ने अपने हाथों में ली थी। यात्रा उन्हीं क्षेत्रों से गुजरी जहां महागठबंधन को वोट की उम्मीद है। इतनी लंबी यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में पहले कभी नहीं हुई थी। इस यात्रा से चुनावी वर्ष में कांग्रेस चर्चा में आ गई। यात्रा के दौरान जगह-जगह युवाओं और तटस्थ मतदाताओं का समर्थन भी मिला।

 

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धार्मिक भावनाओं को साधने की कोशिश

वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने धार्मिक भावनाओं को भी साधने का प्रयास किया। सीतामढ़ी में माता जानकी की जन्मस्थली जाकर माथा टेककर उन्होंने हिंदू मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। वहीं, मुंगेर में खानकाह जाकर मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की। उन्होंने लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया कि उनके लिए सभी धर्म समान हैं। भागलपुर दंगों के बाद पहली बार मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव राहुल गांधी की यात्रा में देखने को मिला। भागवत झा आजाद के मुख्यमंत्रित्व काल के बाद से ही मुस्लिम वोटरों की नाराजगी कांग्रेस से बढ़ गई थी।

 

कांग्रेस कार्यकर्ता भी निराश होकर या तो घर बैठ गए थे या किसी दूसरे दल में चले गए। कुछ लोगों ने तो राजनीति से संन्यास भी ले लिया था, लेकिन राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से उपेक्षित कार्यकर्ता फिर से सक्रिय और उत्साहित हो गए। जिन इलाकों में कांग्रेस का झंडा-पोस्टर तक नजर नहीं आता था, वहां अब झंडा-पोस्टर से माहौल सज गया।

बीजेपी ने उठाया मुद्दा

इधर, दरभंगा की घटना से इस यात्रा पर ग्रहण लगता नज़र आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा में अपनी मां के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि कांग्रेस और आरजेडी के मंच से मेरी स्वर्गवासी मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की जाएगी। यह सिर्फ मेरी मां का नहीं बल्कि देश की हर मां, बहन और बेटी का अपमान है।

 

उधर, पीएम की मां पर अभद्र टिप्पणी के खिलाफ एनडीए ने पांच घंटे के बिहार बंद का आह्वान किया है। इसका नेतृत्व महिला मोर्चा को दिया गया है। एनडीए इस नैरेटिव को गांव-गांव तक फैलाने की कोशिश कर रही है। बंद का आह्वान वास्तव में इस नैरेटिव की परीक्षा की घड़ी है। एनडीए जानती है कि पिछले दो-तीन चुनावों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ही अधिक संख्या में मतदान किया है। यदि महिलाओं के मन में प्रधानमंत्री की मां के अपमान की बात बैठ जाती है, तो चुनाव में इसका व्यापक असर दिखेगा।


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बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को आखिरकार चुप्पी तोड़नी पड़ी, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अब तक इस मामले में खामोश है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा से जो एक हाथ से कमाया, उसे दूसरे हाथ से गंवा दिया।

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