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रिठाला में राणा कराएंगे BJP की वापसी या AAP लगाएगी हैट्रिक?

घनी बस्तियों और डीडीए फ्लैट वाली विधानसभा रिठाला में इस बार काफी रोचक लड़ाई हो गई है। पढ़िए इस सीट के समीकरण क्या हैं।

Rithala Assembly Seat

रिठाला विधानसभा, Photo Credit: Khabargaon

दिल्ली का रिठाला इलाका बाहरी क्षेत्र में आता है। घनी बस्तियां, डीडीए फ्लैट और इंडस्ट्री इस इलाके की पहचान हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस इलाके में मेट्रो के विस्तार का ऐलान हुआ है। बीजेपी अपने पुराने विधायक कुलवंत राणा पर एक बार फिर से भरोसा जता रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने लगातार दो बार के विधायक मोहिंदर गोयल पर तीसरी बार भी दांव लगाया है। यह मोहिंदर गोयल वही हैं जो कुछ दिनों पहले दिल्ली पुलिस के राडार पर भी आ गए हैं। अवैध बांग्लादेशियों के आधार कार्ड बनवाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने उनसे पूछताछ भी की है। कांग्रेस ने इस बार सुशांत मिश्रा को चुनाव में उतारा है।

 

इस विधानसभा सीट में रिठाला गांव, रोहिणी के सेक्टर 1, 4, 5, 6, 11, 16, 17, बुध विहार और विजय विहार जैसे इलाके आते हैं। रिठाला वही विधानसभा है जहां राहुल गांधी ने मकर संक्रांति के मौके पर महिलाओं से मुलाकात की थी और इलाके में गंदगी की समस्या देखी थी।

 

रिठाला की समस्याएं क्या हैं?

 

दिल्ली के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों की तरह रिठाला में भी टूटी नालियां, खराब सड़कें और गंदगी की समस्या है। कहीं-कहीं पर शिकायत के बाद समस्या ठीक हो जाती है तो ज्यादातर इलाकों में यह समस्या सालों से जस की तस बनी हुई है। हालांकि, इसके काउंटर में विधायक मोहिंदर गोयल लगातार अपना रिपोर्ट कार्ड शेयर करके दावा कर रहे हैं कि उन्होंने बहुत सारे काम करवाए हैं। उन्होंने कई क्षेत्रों में पानी की लाइन बिछवाने, सीवर का काम पूरा करवाने के साथ-साथ सड़कों और नालियों का काम पूरा करवाने का दावा करवाया है।

विधानसभा सीट का इतिहास

 

यह विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद ही अस्तित्व में आई। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कुलवंत राणा ने बंपर जीत हासिल की। हालांकि, 2015 में AAP  की लहर में वह भी चुनाव हार गए। 2015 में मोहिंदर गोयल ने कुलवंत राणा को हराया। वहीं, 2020 में मोहिंदर गोयल ने मनीष चौधरी को हराकर यह सीट अपने नाम की।

 

2020 में क्या हुआ था?

2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने अपने तत्कालीन विधायक मोहिंदर गोयल पर एक बार फिर से भरोसा जताया। 2015 में चुनाव हार चुके कुलवंत राणा को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया और उनकी जगह पर मनीष चौधरी को चुनाव में उतारा। वहीं, कांग्रेस ने भी रणनीति बदली और प्रदीप कुमार पांडेय को चुनाव में उतारा। नतीजे आए तो पिछले चुनाव की तुलना में 4 पर्सेंट कम वोट पाकर भी AAP के मोहिंदर गोयल विजेता बने। उन्हें 87940 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे मनीष चौधरी को 74 हजार वोट मिले और कांग्रेस के प्रदीप पांडेय सिर्फ 2651 वोट ही पा सके।

समीकरण

 

ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता वाली इस सीट पर कारोबारी समुदाय भी काफी हावी है। लगभग 28 पर्सेंट ब्राह्मण, 17 पर्सेंट बनिया, 10 पर्सेंट एससी, 16 पर्सेंट पंजाबी और 8 पर्सेंट मुस्लिम हैं। इस विधानसभा सीट के अंतर्गत MCD के कुल 5 वार्ड आथे हैं जिसमें से 4 पर AAP को जीत मिली थी और एक पर बीजेपी जीती थी। 10 साल के विधायक होने के चलते मोहिंदर गोयल के खिलाफ ऐंटी इनकमबेंसी जरूर है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल के नाम पर वोट पड़ेगा तो वह निकल जाएंगे। मुख्य टक्कर AAP और बीजेपी के बीच ही बताई जा रही है।

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