राबड़ी देवी से पहले और बाद में कोई अन्य महिला बिहार की मुख्यमंत्री नहीं बन पाई। वे इस पद तक पहुंचने वालीं पहली महिला हैं। विपरीत परिस्थितियों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने उनका नाम सीएम पद के लिए चुना था। मगर राबड़ी देवी की इच्छा सीएम बनने की बिल्कुल नहीं थी। लालू प्रसाद यादव के समझाने के बाद उन्होंने हामी भरी और एक नहीं बल्कि तीन बार बिहार की मुख्यमंत्री बनीं। आज बात गृहिणी से सीएम तक राबड़ी देवी के सियासी सफर की।
पांच जुलाई 1997 को लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नाम से नया दल बनाया था। लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। मगर जल्द ही उनके सामने एक सियासी संकट खड़ा हो गया। इस बीच उन्हें नए सीएम की तलाश करनी पड़ी। आइए जानते हैं इस सियासी संकट के बारे में।
चारा घोटाला और सीबीआई जांच
1996 में पटना हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने चारा घोटाले में एफआईआर दर्ज की। केंद्रीय एजेंसी ने 9 महीने बाद आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा समेत कुल 55 लोगों को आरोपी बनाया गया। लालू पर सीएम पद छोड़ने का दबाव बनने लगा, लेकिन वह इस्तीफा देने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि इस मामले में उनको फंसाया गया है और संविधान में सीएम के पद छोड़ने से जुड़ा कोई उपबंध भी नहीं है।
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जब कई नेताओं ने लालू को पद छोड़ने की दी सलाह
लालू प्रसाद यादव को एम. करुणानिधि और सीताराम केसरी ने पद छोड़ने की सलाह दी। बाद में बिहार के राज्यपाल एआर किदवई ने भी यही बात कही। 'गोपालगंज से रायसीना किताब' में लालू यादव लिखते हैं, 'किदवई ने सुझाव दिया कि अगर अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया और न्यायिक हिरासत में जाने का आदेश दिया तो सीएम के तौर पर काम करना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा।'
किसने दी थी राबड़ी को सीएम बनाने का सुझाव
लालू यादव इन नेताओं की सलाह को नजरअंदाज नहीं कर सके। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने उन्हें राबड़ी देवी को सीएम बनाने का सुझाव दिया। किताब में लालू यादव ने लिखा, 'मुझे इस सुझाव पर हंसी आई। मैंने 25 सालों में कभी भी अपनी पत्नी से राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की थी। परिवारवाद को भी बढ़ावा देने का मेरा कभी कोई इरादा नहीं था, लेकिन कानूनी तलवार मेरे सिर पर लटक रही थी और मुझे तत्काल प्रतिक्रिया की जरूरत थी।'
विधायक दल की बैठक में क्या हुआ?
24 जुलाई 1997 को पटना स्थित लालू प्रसाद के आधिकारिक आवास पर आरजेडी विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इसमें लालू यादव ने पद छोड़ने का एलान किया। उनकी बात सुनते ही सभी विधायकों के चेहरे पर मायूसी छा गई। बैठक में लालू ने किसी के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा। बिहार का अगला सीएम कौन होगा? इसका फैसला विधायकों पर छोड़ दिया।
आरजेडी विधायक दल की बैठक में रघुनाथ झा, रघुवंश प्रसाद सिंह, महावीर प्रसाद और जगदानंद सिंह ने राबड़ी देवी के नाम का प्रस्ताव रखा। सभी विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। विधायक दल की बैठक में क्या हो रहा था? इस बारे में राबड़ी देवी को कुछ भी पता नहीं था, क्योंकि वह बैठक में मौजूद ही नहीं थीं।
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जब रो पड़ीं राबड़ी देवी
जब लालू प्रसाद यादव ने विधायक दल के फैसले की जानकारी राबड़ी देवी को दी तो वह रो पड़ीं। उनकी सीएम बनने की कोई इच्छा नहीं थी। वह नहीं चाहती थी कि लालू प्रसाद यादव बतौर सीएम अपने पद से इस्तीफा दें। काफी समझाने के बाद राबड़ी देवी ने सीएम बनने पर हामी भरी।
बिहार को मिली पहली महिला मुख्यमंत्री
25 जुलाई 1997 को पहली बार राबड़ी देवी ने सीएम पद की शपथ ली। इसके ठीक पांच दिन बाद यानी 30 जुलाई को लालू प्रसाद यादव ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 11 फरवरी 1999 तक राबड़ी देवी सीएम रही। 11 फरवरी से 9 मार्च तक बिहार में राष्ट्रपति शासन रहा। 9 मार्च 1999 को राबड़ी देवी ने दूसरी बार शपथ ली और 2 मार्च 2000 तक सीएम रहीं। 11 मार्च 2000 को राबड़ी देवी तीसरी बार बिहार की मुख्यमंत्री बनीं और 6 मार्च 2005 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ।